गौतमबुद्धनगर: अपना प्रत्याशी बदलने के बाद भी समाजवादी पार्टी में अशांति कम होने का नाम नहीं ले रही है। नाम में बदलाव के बाद अब पार्टी दो धड़ों में बट गई है। जिसके बाद पार्टी में भीतरघाट की आशंकाएं भी बढ़ गई हैं। इन सबको देखते हुए ही माना जा रहा है कि होली बाद एक बार फिर दोबारा पार्टी का राजनीतिक समीकरण बदल सकता है। वहीं दूसरी तरफ प्रत्याशियों की ओर से भी एक दूसरे पर लगाए जा रहे आरोपों की जांच कराई जाने की मांग की जा रही है जिसको लेकर हाईकमान सक्रिय हैं और माना जा रहा है कि अन्तिम फैसला 26 मार्च तक हो जाएगा मतलब गौतमबुद्धनगर मे पार्टी का चेहरा युवा योद्धा राहुल अवाना ही रहेंगे या फिर अनुभवी डॉक्टर महेंद्र नागर।
गौरतलब हैं कि भाजपा को चुनावी शिकस्त देने के लिए सपा तथा कांग्रेस ने चुनावी गठबंधन किया है। जिसके बाद सपा के खाते में गौतम बुद्ध नगर की लोकसभा सीट आई थी। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से 2 वर्ष पहले ही कांग्रेस को छोड़कर सपा में शामिल हुए डॉक्टर महेंद्र नागर को अपना प्रत्याशी घोषित किया गया था लेकिन 1 सप्ताह के बाद ही पार्टी ने महेंद्र नागर का टिकट काट कर राहुल अवाना को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया, फलत: अंदर खाने राजनीतिक सुगबुगाहट बढ़ते बढ़ते यहां तक पहुंच गई।
दरअसल इस प्रक्रिया के बाद समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता 2 धड़ों में बट गए हैं। साथ ही कांग्रेसियों के अंदर भी राहुल अवाना के नाम को लेकर बेरुखी जाहिर होने लगी है। जब यह बात राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास पहुंची तब उन्होंने पार्टी के कुछ बड़े पदाधिकारी की एक कमेटी का गठन किया तथा उसे पूरे प्रकरण की जांच करने के लिए निर्देश भी दिए। अब राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा जिले की कमेटी दोनों के द्वारा प्रत्याशियों की अच्छाई एवं उनकी खामियों की रिपोर्ट बनाई जा रही है।
हालांकि पार्टी के सूत्रों का यह कहना है कि आने वाली 26 मार्च को यह घोषणा हो जाएगी कि गौतमबुद्ध नगर से प्रत्याशी राहुल अवाना ही रहेंगे अथवा फिर डॉक्टर महेंद्र नगर को पुनः प्रत्याशी बनाया जाएगा।
समाजवादी पार्टी के द्वारा जब डॉक्टर महेंद्र नागर को अपना प्रत्याशी घोषित किया गया तो राहुल अवाना अपने साथियों के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे। जहां उन्होंने पूर्व सीएम को यह बताया कि डॉक्टर महेंद्र नागर जब कांग्रेस के जिला अध्यक्ष थे तब 2 प्रत्याशी प्रोफेसर रमेश चंद्र तोमर तथा अरविंद सिंह ने चुनाव में भाजपा के लिए कांग्रेस का मैदान छोड़ दिया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाये कि डॉक्टर महेंद्र नागर संघ से भी जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इस बार यदि पार्टी ने डॉक्टर महेंद्र नागर को टिकट दिया तो वह भी डॉक्टर महेश शर्मा को सहयोग देने के लिए ऐन वक्त पर मैदान छोड़कर भाग सकते हैं। हालांकि इस पूरे प्रकरण में डॉक्टर महेंद्र नागर ने अपनी पूरी सफाई सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष पेश कर दी है। बताया जा रहा है कि उनकी तरफ से यह कहा गया है कि गौतम बुद्ध नगर में वर्तमान में अवाना गोत्र के कुछ ही गांव है जबकि वहीं गुर्जरों के अन्य गोत्रों में भी डॉक्टर महेंद्र नागर का क्रेज बताया जा रहा है और यहां तक कि करीबन 1 लाख से अधिक मतदाता उनके ही गोत्र के हैं।
सपा के पूर्व प्रत्याशी रहे डॉक्टर महेंद्र नागर ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से उनको यह निर्देश दिया गया है कि वह फिलहाल साइकिल के लिए चुनाव प्रचार करते रहे। अब उनका टिकट होगा अथवा नहीं यह तो पार्टी ही तय करेगी लेकिन उनको जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी उसे उनके द्वारा निभाया जाएगा। उन्होंने कहा की उनके उपर जो भी आरोप लगाए गए हैं वह बिल्कुल निराधार हैं।
गौतम बुद्ध नगर की सीट से सपा से टिकट कटने के बाद डॉक्टर महेंद्र नागर अपने समर्थकों के लेकर लखनऊ में पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात करने पहुंचे तथा अपनी बात भी रखी। उन्होंने अखिलेश यादव को अपने तर्कों के माध्यम से जीतने का भारोसा दिलाने की कोशिश भी की। हालांकि होली के बाद इस पर फैसले का आश्वासन उनको दिया गया है।
दरअसल माना जा रहा है कि राहुल अवाना को पार्टी से टिकट मिलने के बाद सपा की अंदरूनी राजनीति में एक बार फिर तेज़ी आ गई है। सपा के कई नेता यह चाहते हैं कि डॉक्टर नागर को ही यहां से चुनाव लड़ाया जाए, वहीं दूसरी ओर कुछ नेताओं के द्वारा राहुल अवाना को टिकट देकर युवा शक्ति के सहारे ही चुनावी वैतरणी को पार लगाने का दावा किया गया है।
अवाना ने डॉक्टर पर आरोप भी लगाया है कि डॉक्टर महेंद्र अपने कार्यकाल में अपने उम्मीदवार ही नहीं संभाल सके थे तथा डॉक्टर नागर तो खुद भी कांग्रेस से ही सपा में आए हैं। सपा में उनको आए हुए सिर्फ 2 साल ही हुए हैं। ऐसे में पार्टी का उन पर भरोसा करना ज्यादा ठीक नहीं है।
संभव है कि इसी आरोप और तर्क के सहारे ही राहुल अवाना टिकट पाने में भी कामयाब हो गए हैं। हालांकि अब डॉक्टर नागर यह कह रहे हैं कि पिछले चुनाव में जो। उम्मीदवार दूसरी पाली में चले गए थे, उनका इसमें कोई भी रोल नहीं था। उन्होंने कहा कि वह एक बेहद ईमानदार नेता तथा सपा कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी से जुड़े हैं और लगातार काम कर रहा हूं।
सूत्रों का मानना है कि पार्टी के हाई कमान उनको भी यह संकेत दिया है कि वह भी चुनाव मैदान में बने रहे। उनसे पार्टी द्वारा यह कहा गया है कि वह जमीनी स्तर पर अपना प्रयास करते रहे। होली के पश्चात हाई कमान जल्द ही इस मामले में अपना अंतिम फैसला करेगा। गौतमबुद्ध नगर जिले के लोगों का यह कहना है कि साल 2009 में भी एक बार ऐसे ही उलट पलट हो चुका है। उस समय नरेंद्र भाटी तथा मदन चौहान टिकट के लिए प्रतिद्वंदी रहे थे। जिसके बाद नरेंद्र भाटी को टिकट पाने में सफलता मिली थी।