गौतम बुद्ध नगर: गौतम बुद्ध नगर की लोकसभा सीट पूरे देश की चर्चित और वीआईपी सीटों में से एक मानी जाती है। एनसीआर का हिस्सा होने के कारण इसकी गिनती काफी हाई प्रोफाइल सीटों में की जाती है और प्रदेश का सबसे समृद्ध जिला होने से आकर्षण का केन्द्र होना लाजिमी भी हैं।
दरअसल इस सीट से एक बार फिर भाजपा ने डॉक्टर महेश शर्मा को ही अपना प्रत्याशी बनाया है। साल 2014 तथा साल 2019 के आम चुनाव में डॉक्टर शर्मा के द्वारा भाजपा के टिकट पर ही इस सीट से जीत हासिल की गई। ऐसे में पिछले करीब एक दशक में किए विकास कार्यों के आधार पर भाजपा यहां से हैट्रिक लगाने की तैयारी में दिख रही है।
वहीं दूसरी ओर सपा ने 1 सप्ताह में यहां 2 बार प्रत्याशी घोषणा फिर भी राजनीतिक उठापटक जारी...दरअसल सपा ने यहां से पहले डॉक्टर महेंद्र नागर को अपना प्रत्याशी बनाया था वहीं बुधवार को अपने इस फैसले को काटते हुए पार्टी के नेतृत्व ने राहुल अवाना को यहां से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है। माना जाता है कि अवाना साधारण कार्यकर्ता हैं और उनके पास संगठन के अंदर कोई भी पद नहीं है। हालांकि उन्होंने अभी तक कोई चुनाव भी नहीं लड़ा है। इसलिए सपा ने राजनीति के नए खिलाड़ी पर अपना दांव लगाया है इस लोकसभा चुनाव में राहुल अवाना का सामना राजनीति के जाने माने खिलाड़ी तथा पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एवं लगातार 2 बार जीत दर्ज कर चुके BJP के प्रत्याशी वर्तमान लोकसभा सांसद महेश शर्मा से होगा।
गौतम बुध नगर की लोकसभा सीट साल 2008 में घोषित हुई नई परिसीमन के बाद बनाई गई थी। इससे पहले यहां की सीट को खुर्जा लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। उस समय इसमें दादरी, जेवर, खुर्जा, सिकंदराबाद तथा डिबाई विधानसभा के क्षेत्र आते थे। वहीं साल 2008 में हुए नए परिसीमन के तहत डिबोई बुलंदशहर की लोकसभा क्षेत्र में चला गया तथा दादरी ,सिकंदराबाद जेवर एवं खुर्जा के साथ ही बनाए गए नोएडा विधानसभा क्षेत्र को ही गौतम बुद्ध नगर में शामिल कर लिया गया।
खुर्जा की लोकसभा सीट काफी लंबे समय से सुरक्षित चली आ रही थी किंतु नए परिसीमन के पश्चात वहां आरक्षण भी बदला तथा बुलंदशहर की लोकसभा सीट को सुरक्षित एवं गौतम बुद्ध नगर की सीट को सामान्य कर दिया गया। साल 2009 में इस लोकसभा सीट पर हुए पहले इलेक्शन में बसपा के प्रत्याशी के रूप में सुरेंद्र नागर ने अपनी जीत दर्ज कराई थी।
उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी के नाम का गौरव हासिल करने वाला नोएडा शहर हो अथवा फिर जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ ही पूरे प्रदेश में सर्वाधिक निवेश भी राज्य के इसी इलाके में आ रहा है। इसके चलते ही यहां पर रोजगार के अवसर भी सबसे अधिक उपलब्ध हुए है। ऐसे में माना जाता है कि इस लोकसभा के चुनाव में क्षेत्र की सुविधा तथा विकास को बढ़ाना ही यहां का सबसे बड़ा मुद्दा होगा। भाजपा प्रत्याशी भी विकास के सहारे ही अपनी चुनावी नैया को पार लगाने के जुगत में है।
गौतम बुध नगर के संसदीय क्षेत्र में पिछले 3 चुनाव में देखें तो जिस उम्मीदवार को जेवर तथा दादरी के विधानसभा क्षेत्र में बढ़त मिली है , चुनाव में उसके सिर पर ही जीत का सेहरा बंधता है। पिछले 3 लोकसभा चुनाव की वोटिंग ट्रेंड भी इसकी गवाही देते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि यहां दूसरे नंबर वाले उम्मीदवार ने भी काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।
साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां बसपा के सुरेंद्र नागर को जेवर तथा दादरी में क्रमशः 55553 तथा 74023 वोट मिले थे तथा उन्होने जीत भी हासिल की थी। इसी तरह से देखें तो साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के डॉक्टर महेश शर्मा के द्वारा जेवर तथा दादरी में इससे और अच्छा प्रदर्शन करते हुए 77637 वोट तथा 111490 वोट प्राप्त किए गए।
हालांकि दूसरे नंबर पर रहे सपा के प्रत्याशी नरेंद्र भाटी ने भी डॉक्टर महेश शर्मा को जेवर में कड़ी टक्कर देते हुए करीब 70000 से अधिक वोट हासिल किए गए। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के यहां प्रदर्शन में और ज्यादा सुधार हुआ तथा भाजपा के डॉक्टर महेश शर्मा ने क्रमशः 108264 वोट तथा 194212 वोट पाए। यहां इसके बाद बसपा के सतवीर नागर के द्वारा जेवर में महेश शर्मा को काफी कडी टक्कर दी गई तथा उनको करीब 1 लाख से अधिक वोट भी मिले थे।
जेवर तथा दादरी विधानसभा के क्षेत्र गौतम बुद्ध नगर के सबसे केंद्र में रहे हैं। लोकसभा के चुनाव में यहां से जीत हासिल करने के लिए बेहद कड़ी परीक्षा भी देनी होती है। बता दें कि दादरी शहरी तथा ग्रामीण मिश्रित क्षेत्र है। जिसमें ग्रेनो वेस्ट एरिया के हाईराइज वाले लोग भी यहां आते हैं। वहीं दूसरी ओर जेवर में वहां के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचना ही टेढ़ी खीर साबित होती है। यहां के वोटरों की बात करे तो उनका भी मिला-जुला ट्रेंड देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त ठाकुर, बनिया, मुस्लिम, ब्राह्मण तथा एससी आदि के वोटर भी पर्याप्त संख्या में हैं। जिनका रुझान चुनाव में समय के साथ ही बदलता रहता है।