नोएडा में मिनी जू की तर्ज पर 30 एकड़ में बनेगा डियर पार्क, केंद्र से मिली मंजूरी!: 40 करोड़ होंगे खर्च, अफ्रीकी से आएंगे हिरण और रात के अंधेरे में?
नोएडा में मिनी जू की तर्ज पर 30 एकड़ में बनेगा डियर पार्क, केंद्र से मिली मंजूरी!

नोएडा: शहर के सेक्टर-91 स्थित जैव विविधता पार्क में प्रस्तावित डियर पार्क को केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल चुकी है। अब केवल स्वीकृति पत्र का आना शेष है। इसके बाद नोएडा प्राधिकरण पार्क की रूपरेखा तैयार करवाने की दिशा में कदम बढ़ाएगा। इस परियोजना के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने हेतु जल्द  ही किसी सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी।

परियोजना की तैयारी जोरों पर, प्रशासन ने पूरी की ज़रूरी कागजी प्रक्रिया

प्राधिकरण के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि इस योजना के लिए राज्य और केंद्र दोनों स्तरों की मंजूरी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अब योजना को धरातल पर उतारने के लिए डीपीआर तैयार करवाई जाएगी। जिसके आधार पर आगे की निर्माण गतिविधियां संचालित होंगी।

30 एकड़ में मिनी जू की तर्ज पर विकसित होगा डियर पार्क

यह डियर पार्क लगभग 30 एकड़ भूमि में फैला होगा और इसे मिनी जू की तर्ज पर तैयार किया जाएगा। इसकी अनुमानित लागत लगभग 40 करोड़ रुपए आंकी गई है। इस पार्क की विशेषता यह होगी कि यहां 'सनसेट सफारी' की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी जो नोएडा में पहली बार शुरू की जाएगी। इस सफारी में लोग रात के 10 बजे तक विशेष स्पेक्ट्रम लाइट्स की रोशनी में हिरणों और जलीय पक्षियों को निहार सकेंगे।

जानवरों को नहीं होगा लाइट का अहसास

अधिकारियों के मुताबिक इन स्पेक्ट्रम लाइट्स की खास बात यह है कि इससे पार्क में मौजूद जानवरों को अंधेरा ही प्रतीत होगा जिससे उनका सामान्य व्यवहार प्रभावित नहीं होगा। जबकि आगंतुकों को यह लाइट्स रोशनी प्रदान करेंगी जिससे वे स्पष्ट रूप से वन्यजीवों को देख सकेंगे। 

अफ्रीका से लाए जाएंगे हिरण

योजना के तहत यहां 10 विभिन्न नस्लों के कुल 132 हिरण लाए जाएंगे। इनमें से तीन नस्लों को सीधे अफ्रीका से आयात किया जाएगा। शेष प्रजातियों को भारत के कानपुर, लखनऊ और हैदराबाद स्थित चिड़ियाघरों से लाकर यहां बसाया जाएगा।

नोएडा-गाजियाबाद में नहीं है कोई ऐसा पार्क

नोएडा प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि नोएडा, गाजियाबाद व इसके आसपास के क्षेत्रों में अभी तक ऐसा कोई डियर पार्क उपलब्ध नहीं है। इसी वजह से यहां पर डियर पार्क बनाया जा रहा है। हिरणों को नई जगह पर समायोजित करने के लिए वन्यजीव विशेषज्ञों से भी सलाह-मशविरा किया गया है ताकि विदेशी हिरणों को यहां के मौसम और वातावरण के अनुकूल बनाया जा सके।

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