उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में साइबर अपराध के मामले लगातार तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। माना जा रहा है कि पुलिस की तुलना में अब साइबर अपराधी ज्यादा हाइटेक हो गए हैं। इसलिए नोएडा पुलिस ने साइबर अपराधियों की कमर तोड़ने हेतु अब जिले की साइबर सेल को और भी आधुनिक बनाए जाने पर जोर दिया है।
1.20 करोड़ रुपए का मांगा बजट:
बता दें कि साइबर सेल को आधुनिक करने के लिए ही पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह के द्वारा शासन से 1.20 करोड़ रुपये का बजट मांगा गया है। बता दें कि इस बजट के माध्यम से साइबर सेल के लिए साइबर फोरेंसिक यूनिट, सेंट्रलाइज्ड डेस्क, लैपटाप-मोबाइल का डेटा रिकवर करने के लिए लैब की स्थापना की जाएगी।
वहीं इसी के साथ जांच अधिकारियों हेतु नियमित चलने वाली कार्यशाला तथा उनके लिए ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किया जाएगा। बता दें कि वर्तमान समय में साइबर सेल में तैनात पुलिसकर्मी इन सभी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसलिए इनको हाइटेक करने के बाद साइबर अपराधियों को चिह्नित करने तथा उन्हें पकड़ने के लिए भी तैयार किया जाएगा।
साइबर अपराधी AI तकनीक का कर रहे हैं इस्तेमाल:
आपको बता दें कि वर्तमान समय में साइबर अपराधी अपराध करने के लिए AI तकनीक का भी उपयोग कर रहे हैं। इसलिए उनको पकड़ने के लिए जिले की पुलिस फिलहाल तैयार नहीं है।
वहीं इसके अलावा मोबाइल एवं लैपटाप के डेटा को रिकवर करने के लिए दूसरे स्थानों पर बनी हुई लैब में भेजना पड़ता है। जिस कारण समय की भी बर्बादी होती है तथा इसका लाभ अपराधियों को भी मिल जाता है।
शासन को भेजा गया है मांग पत्र:
पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह के द्वारा बताया गया है कि जिले में साइबर सेल में तैनात सभी पुलिसकर्मी न सिर्फ आधुनिक हों, बल्कि वह वर्तमान रूप से जरूरी सभी संसाधनों से भी लैस हों। इसी मंशा के साथ यह काम किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जिले में साइबर फोरेंसिक यूनिट, ट्रेनिंग सेंटर, डाटा रिकवर करने हेतु लैब तथा कार्यशाला होने के बाद साइबर अपराधियों को पकड़ने में काफी मदद मिलेगी। फिलहाल शासन को मांग पत्र भेज दिया गया है। उनकी अनुमति मिलने के बाद आगे की कवायद तुरंत शुरू की जाएगी।
यूनिट बनने से मिल सकेंगे तकनीकी साक्ष्य:
उन्होंने बताया कि ठगी तथा धोखाधड़ी सहित अन्य कई मामले में लैब बन जाने के बाद आरोप पत्र तैयार करते समयक मिश्नरेट पुलिस के द्वारा तकनीकी साक्ष्य भी जुटाए जा सकेंगे। क्योंकि ऐसा होता है कि सभी मामलों में साइबर अपराध एवं ठगी करने के बाद चैट तथा लिंक तेजी के साथ डिलीट कर दिए जाते हैं।
सिर्फ यही नहीं ग्रुप में जोड़कर भी जो ठगी की जाती है उसमें से एक पीड़ित को बाहर निकलने के बाद अन्य के साथ भी वही ठगी शुरू हो जाती है। ऐसे सभी मामलों में पीड़ित के माेबाइल फोन से पुलिस साइबर फोरेंसिक यूनिट के द्वारा बहुत से अपराधियों का डेटा आसानी से प्राप्त कर पाएगी।
सेंट्रलाइज्ड डेस्क भी बनाने का खाका होगा तैयार:
बता दें कि इसके साथ ही सभी साइबर क्राइम थानों में एक सेंट्रलाइज्ड डेस्क बनाने के लिए भी खाका तैयार किया जा रहा है। दरअसल यह डेस्क सभी थानों की साइबर हेल्प डेस्क से जोड़ी जाएगी।
जिसके बाद किसी भी थाने में होने वाली शिकायत पर तकनीकी जांच अथवा सबूत जुटाने की जरूरत पड़ने पर इस डेस्क के साथ तेजी से फोरेंसिक लैब से काम करवा सकेगी।
विदेशी गिरोह पर भी कसेगा शिकंजा:
ऐसा माना जा रहा है कि विदेशी ठगों को देश के भीतर से ही बैंक खाता उपलब्ध कराया जाता है। वहीं जब तक पुलिस को इस ठगी की जानकारी मिलती है, तब तक संबंधित खाते से रकम क्रिप्टो सहित अन्य कई माध्यमों से दूसरे देशों में पहुंच जाती है।
इसलिए फोरेंसिक लैब के बन जाने से इस रकम को गोल्डन आवर में ही पुलिस के द्वारा होल्ड करा दिया जाएगा। जिससे यह राशि विदेशों में जाने से बच जाएगी, साथ ही अपराधी को पकड़ना भी आसान हो जाएगा।
समझते हैं जिले में वर्षवार आए कुल मामले:
वर्ष 2020 : 1585
वर्ष 2021 : 1227
वर्ष 2022 : 1306
वर्ष 2023 : 1184
वर्ष 2024 : 534
कुल योग : 5836
साइबर अपराध थाने में दर्ज किए गए मुकदमे:
वर्ष मुकदमे
2020 : 09
2021 : 37
2022 : 50
2023 : 180
2024 : 43
कुल योग : 317
साइबर अपराध थाना पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए गए अपराधी:
वर्ष अपराधी
2020 : 16
2021 : 28
2022 : 32
2023 : 38
2024 : 14
कुल योग : 128