नोएडा प्राधिकरण : बिल्डरों ने खाली कर दी प्राधिकरण की तिजोरी, योजनाएं पूरी करने के लिए नहीं रहा पैसा ?
नोएडा प्राधिकरण

नोएडा: अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के बाद, सरकार ने फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उम्मीद है कि इससे न केवल खरीदारों की रजिस्ट्री होगी बल्कि प्राधिकरण को भी उनके पैसे वापस मिलेंगे। अगर पैसे वापस नहीं मिलते हैं, तो विकास परियोजनाओं पर भी असर पड़ सकता है। वर्तमान में बिल्डरों पर करीब 40 हजार करोड़ का बकाया है जबकि प्राधिकरण के खजाने में मात्र 6600 करोड़ रुपये बचे हुए हैं।

हाल ही में, औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंद को दिए गए विवरण में इस बारे में जानकारी दी गई है कि प्राधिकरण ने दो सरकारी बैंकों में 4300 करोड़ रुपये और तीन निजी बैंकों में 2300 करोड़ रुपये जमा करवाए हैं। इसके अतिरिक्त, बिल्डरों के बकाये का आंकड़ा प्रकट हुआ है, जिसमें 45 ग्रुप हाउसिंग के बिल्डरों के लिए लगभग 29 हजार करोड़ रुपये और वाणिज्यिक विभाग के 10 बिल्डरों के लिए लगभग आठ हजार करोड़ रुपये की देनदारी है। संस्थागत विभाग की चार एजेंसियों के पास भी लगभग दो हजार करोड़ रुपये का बकाया है। इसके अलावा, औद्योगिक विभाग की एक आवंटी पर 327 करोड़ रुपये की देनदारी है। इस तरह, बिल्डरों के पास कुल मिलाकर प्राधिकरण के लगभग 40 हजार करोड़ रुपये बकाया है।


कोर्ट में प्राधिकरण के फंसे 20 हजार करोड़

कई बिल्डर्स के मामले कोर्ट में फंसे हुए हैं, जिसमें वाणिज्यिक विभाग और ग्रुप हाउसिंग विभाग के बिल्डर्स के मामले शामिल हैं। आम्रपाली के परियोजनाओं के मामले में प्राधिकरण ने कोर्ट के आदेश के बाद बिना बकाये की वसूली के रजिस्ट्री कराने में सहायता की है। यूनिटेक के मामले में भी प्राधिकरण के करीब 10 हजार करोड़ का बकाया है। करीब 17 मामले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में हैं, जिसमें पैसा तब मिलेगा जब या तो परियोजना का काम शुरू हो जाए या फिर परियोजना की नीलामी हो। कोर्ट के मामलों में प्राधिकरण के करीब 20 हजार करोड़ रुपए फंसे हुए हैं।


प्राधिकरण कर रहा खर्चों में कटौती

प्राधिकरण ने बिल्डरों के मामले में खजाने के कमी के बाद परियोजनाओं के खर्चों में कटौती के लिए कई उपाय अपनाए हैं। कुछ परियोजनाओं को पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप के मॉडल पर लाया गया है, जहां एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया जाता है। इसके अलावा, बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओट) मॉडल पर भी काम किया जा रहा है, जिसमें एजेंसी निर्माण करती है और फिर उसे प्राधिकरण को वापस कर दिया जाता है। ये सभी उपाय खर्चों में कटौती के लिए अपनाए जा रहे हैं।


परियोजनाओ को पूरी करने के लिए है पैसे की जरूरत

एनएमआरसी द्वारा ग्रेनो वेस्ट परियोजना की शुरुआत के लिए नोएडा प्राधिकरण को धनराशि देने की आवश्यकता है। गाजियाबाद को इलेक्ट्रॉनिक सिटी से जोड़ने वाली लाइन के लिए भी वित्त की आवश्यकता हो सकती है। चिल्ला और भंगेल एलिवेटेड रोड परियोजना के लिए भी अधिक वित्त की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, शहर में सौंदर्यीकरण और अन्य विभागों के कार्य वर्ष भर चलते रहते हैं, जिसमें व्यय हो सकता है।


एजेंसियां नहीं कर रहीं ऋण का भुगतान 

नोएडा प्राधिकरण ने कुछ एजेंसियों को लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया है। यह ऋण बढ़ते हुए लगभग 8-9 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। कुछ एजेंसियों ने ऋण का भुगतान किया है, लेकिन कुछ ने नहीं। इस प्रकार, प्राधिकरण का धन फंस हुआ है।


100 करोड़ से अधिक के है कुछ बड़े बकायेदार

पेबेल्स प्रोलिज प्राइवेट लिमिटेड-287 करोड़ , थ्री प्लेटिनम सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड-167 करोड़, ग्रेनाइट गेट प्रोपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड-984 करोड़, सुपरटेक लिमिटेड-612 करोड़, लाॅजिक्स इंफ्राटेक लिमिटेड-727 करोड, थ्री सी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड-540 करोड़, एम्स मैक्स गार्डेनिया डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड-1634 करोड़ और गार्डेनिया एम्स डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड के पर 665 करोड़ रुपये बकाया है।
 

अन्य खबरे