नोएडा: वेस्ट यूपी में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर दर्ज किया जा रहा है। प्रदूषण के इस स्तर को "गंभीर" श्रेणी में रखा जाता है। जिसमें हवा में मौजूद PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म कण सांस लेने में बाधा डालते हैं और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए लोगों ने अपने घरों और दफ्तरों में एयर प्यूरीफायर लगाना शुरू कर दिया है।
700 करोड़ का एक उभरता हुआ बाजार
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ अक्टूबर और नवंबर महीने में ही वेस्ट यूपी के 15 जिलों में एयर प्यूरीफायर का कारोबार 700 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर में यह आंकड़ा और बढ़ेगा। इस क्षेत्र में हर साल एयर प्यूरीफायर की मांग में 15% की वृद्धि हो रही है। त्योहारों के बाद का समय, खासकर दिवाली के बाद, इस उद्योग के लिए सबसे व्यस्त अवधि होती है, जब प्रदूषण अपने चरम पर होता है।
प्रमुख जिलों में भारी मांग
नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, आगरा और अलीगढ़ जैसे जिलों में एयर प्यूरीफायर की मांग सबसे ज्यादा है।
नोएडा और गाजियाबाद: यहां हर दिन लगभग 1 करोड़ रुपये के एयर प्यूरीफायर बिक रहे हैं।
मेरठ और आगरा: इन जिलों में बिक्री का स्तर लगभग गाजियाबाद और नोएडा के बराबर पहुंच चुका है।
अन्य जिलों जैसे सहारनपुर, बरेली, मुजफ्फरनगर, मथुरा और मुरादाबाद में भी तेजी से मांग बढ़ रही है।
प्रदूषण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
वायु प्रदूषण से सांस की समस्याएं जैसे खांसी, गले में जलन और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। खासतौर पर अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के मरीजों को गंभीर खतरा है। विशेषज्ञों के अनुसार मास्क पहनने के बावजूद लोग हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एयर प्यूरीफायर खरीदने पर मजबूर हो रहे हैं।
लोकल प्यूरीफायर से हो सकता है खतरा लाभ
डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बाजार में बिकने वाले कई सस्ते और लोकल एयर प्यूरीफायर खतरनाक साबित हो सकते हैं।
1. कम गुणवत्ता वाले फिल्टर: ये प्रदूषक तत्वों को प्रभावी रूप से नहीं हटा पाते।
2. बैक्टीरिया और वायरस का खतरा: सही रखरखाव न होने पर ये प्यूरीफायर संक्रमण का स्रोत बन सकते हैं।
3. मरकरी और अन्य विषैले तत्व: खराब गुणवत्ता के प्यूरीफायर से मरकरी जैसे हानिकारक तत्व हवा में मिल सकते हैं।
नोएडा के उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष नरेश कुच्छल का कहना है कि लोकल एयर प्यूरीफायर सस्ते तो होते हैं लेकिन उनकी क्षमता बेहद सीमित होती है। इनसे PM 2.5 और PM 10 जैसे खतरनाक कणों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
कमरा पूरी तरह बंद होने पर ही हो पाएगा साफ
KENT के CMD महेश गुप्ता ने बताया कि एक अच्छा एयर प्यूरीफायर कमरे के 100 से 250 स्क्वायर फीट तक के क्षेत्र को साफ कर सकता है। हालांकि यह तभी प्रभावी होता है जब कमरा पूरी तरह से बंद हो।
400 AQI जैसे गंभीर स्तर पर एयर प्यूरीफायर कम प्रभावी साबित होते हैं क्योंकि हवा का आवागमन (दरवाजे या खिड़कियों के खुलने के कारण) लगातार होता रहता है। प्यूरीफायर की कार्यक्षमता सीधे तौर पर कमरे के एयरटाइट होने और रखरखाव पर निर्भर करती है।
रखरखाव और सावधानियां
डॉक्टरों और विशेषज्ञों का सुझाव है कि एयर प्यूरीफायर का सही रखरखाव बेहद जरूरी है। इनमें कुछ उपाय निम्न है:
1. फिल्टर को समय-समय पर बदलना: फिल्टर भले ही गंदा न दिखे, लेकिन उसमें सूक्ष्म कण और बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
2. ब्रांडेड प्रोडक्ट का चुनाव: हमेशा अच्छी गुणवत्ता और प्रमाणित ब्रांड का प्यूरीफायर खरीदना चाहिए।
मैक्स अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. ज्ञानेंद्र अग्रवाल के अनुसार, प्यूरीफायर का अधिकतम लाभ तभी मिलता है जब कमरे को बंद रखा जाए। उन्होंने बताया कि दरवाजे और खिड़कियां खुलने से प्यूरीफायर की कार्यक्षमता में भारी कमी आती है।
बढ़ती कीमतें और बाजार का रुझान
एयर प्यूरीफायर के बाजार में डिमांड और सप्लाई का प्रभाव साफ देखा जा सकता है। नवंबर और दिसंबर में मांग बढ़ने के कारण इनकी कीमतें सामान्य रहती हैं जबकि गर्मियों में डिस्काउंट दिए जाते हैं। रिदम इलेक्ट्रॉनिक्स के ओनर नीरज महेश्वरी ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में बिक्री में 15% की वृद्धि दर्ज की गई है।
मौजूदा हालात को देखते हुए एयर प्यूरीफायर एक जरूरी निवेश
प्रदूषण के मौजूदा हालात को देखते हुए एयर प्यूरीफायर अब जरूरत बन गए हैं। हालांकि सही उत्पाद का चयन और उसका रखरखाव महत्वपूर्ण है। घटिया गुणवत्ता के लोकल प्यूरीफायर से बचते हुए ब्रांडेड और प्रमाणित उपकरणों का उपयोग करना ही सुरक्षित और प्रभावी समाधान हो सकता है।