विधायक और DM में जमकर हुई तीखी बहस: सांसद ने किया हस्तक्षेप...जानें क्या हैं पूरा मामला
विधायक और DM में जमकर हुई तीखी बहस

दरअसल हल्द्वानी के सर्किट हाउस में सांसद अजय भट्ट की अध्यक्षता में "दिशा" की बैठक चल रही थी, जिसका उद्देश्य विभिन्न विकास कार्यों और योजनाओं की समीक्षा करना था। 

बैठक के दौरान एक अप्रत्याशित मोड़ आया जब लालकुआँ के विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट और नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह के बीच तीखी बहस हो गई।

गौला नदी चैनेलाइजेशन के लिए हुई बहस

विवाद का मुख्य कारण गौला नदी में चल रहे चैनेलाइजेशन के काम को लेकर था। विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने सिंचाई विभाग द्वारा पोकलैंड मशीनों का उपयोग करके किए जा रहे काम पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि सिंचाई विभाग को यह काम सौंपा जाना उचित नहीं है और इसमें अनियमितताएँ हो सकती हैं। उन्होंने जिलाधिकारी पर आरोप लगाया कि इस काम के लिए सही विभाग या एजेंसी का चयन नहीं किया गया है।

विकास कार्यों में लापरवाही का लगा आरोप

जिलाधिकारी वंदना सिंह ने इसका प्रतिवाद करते हुए कहा कि उन्होंने वन विभाग को यह काम करने के निर्देश दिए थे और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है। उन्होंने विधायक के आरोपों को खारिज करते हुए बताया कि काम पूरी पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा रही है।

सांसद अजय भट्ट को शांत कराना पड़ा मामला

यह बहस सांसद अजय भट्ट के सामने काफी देर तक चलती रही। सांसद ने दोनों पक्षों को शांत करने की कोशिश की और अंत में कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि जिले में क्या चल रहा है। उन्होंने इस बहस को मामूली घटना बताते हुए टालने का प्रयास किया और कहा कि इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा लिया जाएगा।

विधायक ने मीडिया से बात कर अधिकारियों पर लगाए आरोप

बैठक के बाद, विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने मीडिया से बात करते हुए अधिकारियों पर जनता के प्रति गंभीर न होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के कामों में लापरवाही हो रही है और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर चैनेलाइजेशन का काम कल से शुरू नहीं हुआ तो वह अपने निजी पैसों से यह काम करवाएंगे, क्योंकि जनता की सुरक्षा उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

तालमेल की कमी के कारण विकास कार्यों में आ रही रुकावटें

इस पूरी घटना ने "दिशा" की बैठक के उद्देश्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं और प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल की कमी को उजागर किया है। यह स्थिति प्रशासनिक व्यवस्था की चुनौतियों को भी दर्शाती है, जहां विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण विकास कार्यों में रुकावटें आ रही

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