नैनीताल में भूस्खलन का बढ़ता खतरा! : चौतरफा दरक रही पहाड़ियां, वैज्ञानिक सर्वे से स्थायी समाधान मिलने की उम्मीद?
नैनीताल में भूस्खलन का बढ़ता खतरा!

नैनीताल: नैनीताल में लगातार बढ़ रहे भूस्खलन की समस्या को गंभीरता से लेते हुए अब वैज्ञानिक स्तर पर समाधान की पहल की जाएगी। उत्तराखंड शासन के निर्देश पर उत्तराखंड भूस्खलन शमन और प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) के विशेषज्ञ अगले छह महीनों तक वैज्ञानिक अध्ययन करेंगे। इस दौरान शहर के विभिन्न क्षेत्रों में भूस्खलन के कारणों का गहराई से विश्लेषण किया जाएगा। अध्ययन के आधार पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिससे भविष्य में भूस्खलन रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें। इसके अलावा भविष्य में प्रस्तावित निर्माण कार्यों की योजना बनाने में भी यह रिपोर्ट उपयोगी साबित होगी।

भूस्खलन से शहर पर मंडरा रहा खतरा

नैनीताल के विभिन्न इलाकों में हो रहे भूस्खलन ने शहर के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। शहर की तलहटी में स्थित बलियानाला, चाइना पीक, टिफिन टॉप, राजभवन मार्ग, ठंडी सड़क, कैलाखान और चार्टन लाज जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ये घटनाएं न केवल प्राकृतिक असंतुलन को दर्शाती हैं बल्कि शहर की भारवहन क्षमता पूरी होने का भी संकेत देती हैं।

हालांकि जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से भूस्खलन रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन यह समस्या इतनी गंभीर है कि केवल स्थानीय उपाय पर्याप्त नहीं हो रहे हैं। बढ़ती चुनौती को देखते हुए अब विशेषज्ञों की टीम द्वारा वैज्ञानिक विधियों से सर्वेक्षण किया जाएगा।

अगले छह महीनों तक वैज्ञानिक सर्वेक्षण

यूएलएमएमसी के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार के अनुसार नैनीताल में विभिन्न वैज्ञानिक विधियों से छह महीने तक अध्ययन किया जाएगा। इस दौरान शहर की टोपोग्राफिक और जियोटेक्निकल स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा। टोपोग्राफिक सर्वेक्षण में शहर की ढलान, समतल क्षेत्र, सड़कों और भवनों का डाटा एकत्र किया जाएगा। इन आंकड़ों के जरिए कंटूर मैपिंग की जाएगी जो भौगोलिक स्थिति को समझने में मदद करेगी।

वहीं जियोटेक्निकल सर्वे में मिट्टी और चट्टानों के नमूने लेकर उनकी मजबूती की जांच की जाएगी। भूमिगत संरचनाओं और संभावित जोखिमों का अध्ययन भी इस सर्वे का हिस्सा होगा।

अध्ययन भूस्खलन रोकथाम में होगा सहायक

डॉ. शांतनु का कहना है कि यह अध्ययन शहर की भूगर्भीय और भौगोलिक स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा। अध्ययन से जो डाटा सामने आएगा उसके आधार पर यह तय किया जाएगा कि भूस्खलन रोकने के लिए किस प्रकार के उपाय किए जा सकते हैं। इसके अलावा यह रिपोर्ट अन्य विभागों के साथ साझा की जाएगी ताकि भविष्य में शहर में होने वाले निर्माण कार्यों और योजनाओं को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।

शहर के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

यह पहल नैनीताल जैसे संवेदनशील शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। भूस्खलन की समस्या से न केवल शहर के प्राकृतिक सौंदर्य पर असर पड़ रहा है बल्कि यहां रहने वाले लोगों के जीवन और आजीविका पर भी इसका गहरा प्रभाव हो रहा है। विशेषज्ञों का यह अध्ययन इस संकट का स्थायी समाधान निकालने में सहायक साबित होगा।