रामपुर तिराहे कांड में तीन दशक के बाद आया अदालत का फैसला: :  गैंगरेप, लूट और छेड़छाड़ मामलें में पीएसी के दो सिपाही दोषी करार
रामपुर तिराहे कांड में तीन दशक के बाद आया अदालत का फैसला:

मुजफ्फरनगर: अदालत ने एक दुष्कर्म के मामले में दो सिपाही को  दोषी करार ठहराया है। जिसके अंतर्गत दोनों सिपाहियों को सज़ा सुनाई गई है। बता दें कि ये घटना लगभग तीन दशक पहले कि है।  जिसमें उत्तर प्रदेश से अलग राज्य की मांग पर महिला एवं पुरुषों ने आंदोलन किया था। जहाँ ये सभी आंदोलनकारी दिल्ली जा रहे थे। इस दौरान सभी आंदोलनकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया था। हालांकि ऐसा बोला गया था कि इसमें मामले में पुलिस ने इनपर बल का प्रयोग किया था। 
गौरतलब है कि  30 साल पहले मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर दिल्ली जा रहे महिला एवं पुरूष आंदोलनकारियों को रोका गया था। उस समय ये सभी लोग उत्तराखंड बनाने की अपनी मांग को लेकर दिल्ली जा रह थे। तब आंदोलनकारियों को रोकने के लिए पीएसी के जवानों ने फायरिंग की थी। जिसमें 7 लोगों की मौत हो गयी थी। हालांकि तब पीएसी के जवानों पर ऐसा आरोप भी लगाया गया था कि पीएसी के जवानों ने आंदोलन में शामिल कई महिलाओं से छेड़खानी एवं दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया है। 

पीएसी के दो जवानों को दोषी करार

बता दे अब इस मामले में कोर्ट ने एक्शन लिया है। जहां महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में बीते शुक्रवार को अदालत ने पीएसी के दो जवानों को दोषी करार किया है। हालांकि अदालत ने जिन सिपाहियों को दोषी करार किया है। उसमें पीएसी के सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप का नाम है। वहीं इन्हें जिन मामलों में दोषी करार किया गया है उसमें गैंगरेप, लूट और छेड़छाड़ के मामले शामिल हैं। बताते चलें कि दोनों सिपाहियों को सजा सुनाने के लिए 18 मार्च का दिन तय किया गया है। 
गौरतलब है कि उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा, शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा और सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह का कहना है कि 30 साल पुराने रामपुर तिराहा कांड से जुड़े मिलाप सिंह केस में अदालत ने 15 मार्च को फैसला सुनाने का दिन मुकर्रर किया था। हालांकि फैसले को लेकर कोर्ट परिसर में पुख्ता इंतजाम किये गये थे। वही पीएसी गाजियाबाद में सिपाही मिलाप सिंह तैनात हैं। इनके बारे में बात की जाए तो ये एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव का रहने वाला है। वहीं दूसरा सिपाही वीरेंद्र प्रताप सिद्धार्थनगर के गांव गौरी का रहने वाला है। 

क्या है पूरा मामाला

आइए जानते हैं क्या है पूरा मामाला यह केस अक्तूबर, 1994 का है। जब अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलनकारी बसों में सवार होकर देहरादून से दिल्ली जा रहे थे। हालांकि जब आंदोलनकारी रामपुर तिराहा पर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोकना चाहा। लेकिन आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर किसी भी तरह दिल्ली से जाना चाहते थे। वहीं जब इनलोगों ने पुलिस की बात नहीं मानी तो पुलिसकर्मियों ने आंदोलनकारियों पर फायरिंग कर दी, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी।
बताते चलें कि इस मामले में CBI ने कई अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। वहीं 2 दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों पर रेप, डकैती और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ जैसे गंभीर मामले में मुकदमा दर्ज हुए थे। हालांकि दो PAC जवानों को कोर्ट ने गैंगरेप, लूट और छेड़छाड़ में दोषी करार दिया है। इस मामले की सुनवाई पांच मार्च को ही पूरी हो गई थी। अब देखने वाली बात होगी कि अदालत इन्हें 18 मार्च को क्या सजा सुनाती है।

अन्य खबरे