कौन होगा रतन टाटा का उत्तराधिकारी: जो संभालेगा 3800 करोड़ का बड़ा साम्राज्य, जानें किन नामों पर हो रही है चर्चा, क्या वह कर पाएंगे कंपनी का विस्तार, जानें पूरी खबर…
कौन होगा रतन टाटा का उत्तराधिकारी

दिग्गज उद्योगपति तथा टाटा संस के मानद प्रमुख पद्म विभूषण श्री रतन टाटा का बीते बुधवार की रात को स्‍वर्गवास हो गया। वह 86 साल के थे। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। यदि रतन टाटा की कोई संतान होती तो शायद कभी हुई यह सवाल खड़ा नहीं होता कि उनके जाने के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन होगा?

वहीं रतन टाटा के जाने के पश्चात टाटा के समूह की जिम्मेदारी किसके कंधों होगी उसमें वर्तमान में कई नाम शामिल है। जिसमे नोएल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई का नाम सबसे आगे है। सिर्फ नोएल टाटा पर ही नही बल्कि टाटा की नई पीढ़ी के कंधों पर भी टाटा समूह की जिम्मेदारी होगी।

टाटा की नई पीढ़ी में फिलहाल लिआ, माया तथा नेविल शामिल हैं, जो रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल नवल टाटा के ही बच्चे हैं। वह अन्य पेशेवरों की तरह ही कंपनी के माध्यम से आगे बढ़ते हुए टाटा ग्रुप के भीतर लगातार अपनी जगह बना रहे हैं।

लिआ टाटा हैं समूह में बड़े पद पर कार्यरत:

सबसे बड़ी लिआ टाटा के द्वारा स्पेन के मैड्रिड में IE बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर डिग्री हासिल की गई है। वह साल 2006 में टाटा समूह में ताज होटल रिसॉर्ट्स एंड पैलेसेस में सहायक बिक्री प्रबंधक के रूप में शामिल हुईं थीं तथा अब विभिन्न भूमिकाओं के माध्यम से लगातार प्रगति करते हुए वह द इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में वर्तमान में उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करती हैं।

माया टाटा तथा नेविल भी उत्तराधिकारी की दौड़ में:

वहीं छोटी बेटी माया टाटा के द्वारा समूह की प्रमुख वित्तीय सेवा कंपनी में एक विश्लेषक के रूप में अपना करियर टाटा कैपिटल में शुरू किया गया है। वहीं, उनके भाई नेविल टाटा के द्वारा ट्रेंट में अपनी पेशेवर यात्रा भी शुरू की, जिस खुदरा श्रृंखला के निर्माण में उनके पिता के द्वारा मदद की गई थी। बता दें कि नेविल की शादी मानसी किर्लोस्कर से हुई है, जो वर्तमान में टोयोटा किर्लोस्कर समूह की उत्तराधिकारी हैं।

कंपनी में खुद साल 1991 में संंभाली कमान:

दरअसल साल 1991 में, जब उनके चाचा JRD टाटा ने पद छोड़ दिया था तो उस वक्त उन्होंने समूह का नेतृत्व संभाला था। यह समय भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि देश के द्वारा अपने अर्थव्यवस्था को विश्व के लिए खोलने तथा तेज तरक्की के युग की भी शुरुआत करने के लिए क्रांतिकारी सुधार शुरू किए गए थे।

अपने शुरुआती कदमों में से एक के रूप में रतन टाटा के द्वारा समूह की कुछ कंपनियों के प्रमुखों की शक्ति को भी नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। उन्होंने सेवानिवृत्ति आयु भी लागू की तथा युवा लोगों को वरिष्ठ पदों पर पदोन्नत भी किया तथा कंपनियों पर नियंत्रण बढ़ाया।

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