भारत ने 97 साल के लंबे अंतराल के बाद शतरंज ओलंपियाड के ओपन सेक्शन में स्वर्ण पदक जीतकर एक नया इतिहास रचा है। हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित 2024 शतरंज ओलंपियाड में यह गौरवपूर्ण क्षण भारत को प्राप्त हुआ। लगभग एक सदी के बाद यह जीत भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसमें नोएडा की वंतिका अग्रवाल का विशेष योगदान रहा।
वंतिका अग्रवाल ने माँ को दिया सफलता का श्रेय
नोएडा के सेक्टर-27 की निवासी वंतिका अग्रवाल बचपन से ही शतरंज में रुचि रखती थीं। वंतिका की मां, संगीता अग्रवाल, ने उनकी प्रतिभा को समझते हुए हमेशा उनका साथ दिया और उनका मार्गदर्शन किया। संगीता ने केवल एक मां के रूप में नहीं, बल्कि एक खेल प्रबंधक के रूप में भी वंतिका का साथ दिया और उनके सपनों को साकार करने में पूरी मदद की। वंतिका ने अपनी इस ऐतिहासिक सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया है, जिन्होंने हर कदम पर उनका समर्थन किया।
महिला ग्रैंड मास्टर से अंतरराष्ट्रीय महिला मास्टर तक का सफर
वंतिका की कड़ी मेहनत और उनके समर्पण का परिणाम यह रहा कि उन्होंने 2021 में महिला ग्रैंड मास्टर का खिताब हासिल किया और 2023 में अंतरराष्ट्रीय महिला मास्टर बनीं। वंतिका का शतरंज में सफर सफलता की ओर बढ़ता रहा और उन्होंने भारतीय शतरंज जगत में एक प्रमुख स्थान प्राप्त किया।
2020 में भी स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा
वंतिका ने 2020 के शतरंज ओलंपियाड में भी भारतीय टीम का हिस्सा बनकर स्वर्ण पदक जीता था। उनकी टीम ने उस समय शानदार प्रदर्शन किया था और इस साल, 2024 में, वंतिका ने फिर से बेहतरीन खेल दिखाया। इस साल के ओलंपियाड में उन्होंने चार मैचों में 3.5 व्यक्तिगत स्कोर हासिल कर टीम की स्वर्णिम जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वंतिका की ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री ने दी बधाई
वंतिका की इस ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें बधाई दी। वंतिका ने बताया कि उनकी पूरी टीम प्रधानमंत्री मोदी से कल मुलाकात करेगी। यह मुलाकात वंतिका और उनकी टीम के लिए इस जीत को और भी खास बनाएगी।
एक सदी के बाद मिला स्वर्ण पदक
97 साल के इंतजार के बाद भारत ने शतरंज ओलंपियाड के ओपन सेक्शन में स्वर्ण पदक जीता है। वंतिका अग्रवाल की इस अद्वितीय उपलब्धि ने उन्हें देश की प्रमुख शतरंज खिलाड़ियों की सूची में अग्रणी स्थान दिलाया है। उनकी इस जीत ने न केवल उनके परिवार और शहर को गर्वित किया है, बल्कि पूरे देश को गर्व और खुशी से भर दिया है।
यह जीत पूरे भारत के लिये प्रेरणा का स्रोत बनी
वंतिका अग्रवाल की इस ऐतिहासिक जीत ने भारतीय शतरंज जगत में एक नई उम्मीद और प्रेरणा की किरण जलाई है। उनके समर्पण और उनकी मां के अटूट समर्थन ने उन्हें इस सफलता तक पहुंचाया है। वंतिका की यह जीत न केवल उनके लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।