मेरठ में शनिवार को मोबाइल में ब्लास्ट के बाद लगी आग में 4 बच्चों की जलकर मौत हो गई। मां-पिता हॉस्पिटल में भर्ती हैं। घटना पल्लवपुरम थाना के जनता कॉलोनी की है। हादसे के बाद कॉलोनी में मातम पसरा हुआ हैं। कॉलोनी में अब होली की खुशियां दर्द में बदल चुकी हैं। लोगों ने अपनी आंखों के आगे मासूमों को तड़पते-चीखते देखा हैं। हादसे का वो मंजर कॉलोनी वालों की आंखों में बस सा गया है। पानी और जिंदगी के लिए तड़पते बच्चों की चीखें अभी भी पड़ोसियों के कानों में अभी भी गूंज रहीं हैं।
पड़ोसी कैलाशचंद पाल ने बताया कि सारे बच्चे घर के अंदर थे। दरवाजा अंदर से बंद था। अचानक धमाका हुआ और बच्चे बाहर की तरफ भागे। चारों बच्चे लपटों में घिरे हुए थे। उनके शरीर से लपटें निकल रही थीं। बच्चे बाहर निकले और बाहर हम लोगों ने होली खेलने के लिए पानी के ड्रम भरकर रखे थे, उसमें आकर बच्चे कूदने लगे। फिर हम लोग चिल्लाते हुए दौड़े।
दो मिनट में पूरा परिवार जल गया निशा बेगम ने बताया कि हम यहां कुर्सी डालकर बैठे होली सजाने की बातें कर रहे थे। अचानक तेज धमाका हुआ। धमाके को हम समझ पाते, तब तक चारों बच्चे अंदर से दरवाजा पीटते... चीखते हुए बाहर आए। भयंकर मंजर था। दो बेटे, दो बेटियां सभी जा जाकर होली के लिए तैयार ड्रम में जान बचाने के लिए कूद गए। करीबन दो मिनट में पूरा परिवार तबाह हो गया। बच्चों का पिता जॉनी बहुत मुश्किल से मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन पोषण कर रहा था। भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाएं।
जगपाल ने बताया कि जब बच्चे बाहर निकले तो उनके शरीर पर पूरी तरह लपटें लगी थी। पूरे जल चुके थे। अक्सर ये परिवार हमारे साथ बैठता था। बच्चों के बदन पर कपड़े नहीं थे। सब जल चुके थे। स्किन की पहली लेयर जलकर उधड़ चुकी थी। हम सब मोहल्ले वाले तुरंत दौड़कर आए।
अपनी शर्ट उतारकर डाली, फिर अस्पताल ले गया तरुण ने बताया कि मैं छज्जे पर बाहर खड़ा था। अचानक बच्चों के चिल्लाने की आवाज आई। मैं जब तक बाहर आया तो देखा कि बच्ची बिना कपड़ों के जली हुई तड़प रही थी। मैंने फौरन अपनी शर्ट उतारकर उसके बदन पर डाली। अपने दोस्त के साथ हम सभी ने मिलकर उन चारों बच्चों को उठाया और गाड़ी में बैठाकर पास के अस्पताल ले गए। जब तक पुलिस और फायर ब्रिगेड आती, तब तक हम लोग बच्चों को अस्पताल लेकर जा चुके थे। उनको हमने फ्यूचर प्लस अस्पताल में भर्ती कराया।
हिमांशु ने बताया कि मैं सो रहा था। जैसे ही मुझे पता चला, भागकर आए। गाड़ी की व्यवस्था की गई। उन्हें अस्पताल लेकर गए। हालांकि अस्पताल में हमें बहुत अच्छा रिस्पांस नहीं मिला। किसी ने पेशेंट को उठाया भी नहीं, ये सब हमने ही किया। फिर उन्हें निजी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया।
जॉनी के घर के सामने रहने वाली रिया की आंखों के आंसू नहीं थम रहे। रिया ने बताया कि रोजाना चारों बच्चे उसके घर आते। दिनभर यहीं बैठे रहते थे। बातें करते थे। हमें तो भरोसा नहीं हो रहा कि इतना बड़ा हादसा हो गया। वो चारों मासूम हमारे बीच नहीं रहे। चारों बच्चे मेरे बेटे के साथ भी घूमते, खेलते थे।
बबिता के पहले पति के थे चारों बच्चे मरने वाले चारों बच्चे जॉनी और बबिता के नहीं, बल्कि बबिता के पहले पति मिंटू के थे। ये बात मेडिकल अस्पताल में पहुंचे जॉनी के रिश्तेदारों ने बताया। बबिता की ये दूसरी शादी जॉनी से हुई थी। मिंटू जॉनी का तहेरा भाई था। उसकी दोनों किडनी फेल हो चुकी थी। इसकी वजह से उसकी दो साल पहले मौत हो गई।
मुजफ्फरनगर का परिवार यहां किराए पर रहता था मिंटू की मौत के बाद बबिता की शादी घरवालों ने जॉनी से कर दी। शादी के बाद बबिता मेरठ में जॉनी और अपने चारों बच्चों के साथ रहने लगी। दस मकान में जॉनी सात महीने से किराए पर रह रहा था। मूल रूप से जॉनी मुजफ्फरनगर के सिखेड़ा गांव का रहने वाला है।
चार बच्चे जलकर मरे और घर में केवल आधा गद्दा जला चार बच्चों की मौत, मां की हालत गंभीर और पिता भी अस्पताल में भर्ती है। आग से पूरा परिवार खत्म हो गया। बच्चों की लाश उठाने वाला भी कोई नहीं है। इतने बड़े अग्निकांड में केवल बिस्तर पर पड़ा गद्दा आधा जला है। घर में कहीं भी धुआं नहीं है। न आग लगने का बड़ा निशान है। घर में सब कुछ व्यवस्थित है। पुलिस-प्रशासन भी सकते में है कि घर में कुछ भी नहीं जला और इतने लोगों की जान चली गई।
हादसा या साजिश दोनों एंगल पर पुलिस जांच कर रही चारों बच्चों की मौत हो गई... ये कैसे हुआ? ये अग्निकांड हादसे के बजाय कहीं कोई साजिश तो नहीं है? ये सवाल पुलिस के मन में भी है। इसलिए पुलिस हादसा और साजिश दोनों एंगल पर जांच कर रही है। DM ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, SSP रोहित सिंह सजवाण ने सीओ दौराला को मामले की जांच सौंपी है। फोरेंसिक टीम ने भी मौके पर पहुंचकर नमूने लिए हैं। इतना भीषण हादसा कैसे हुआ? इसके हर पहलू की जांच की जा रही है।