गंगा नदी में प्रदूषण को लेकर एक्शन में योगी सरकार: IAS मनोज सिंह के साथ उनके प्रधान सचिव पर गिरी गाज?
गंगा नदी में प्रदूषण को लेकर एक्शन में योगी सरकार

लखनऊ: गंगा नदी में प्रदूषण के मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की नाराजगी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के शीर्ष अधिकारियों में बदलाव किया है। गंगा में बढ़ते प्रदूषण और तीन स्लाटर हाउस को गलत तरीके से एनओसी जारी करने को लेकर सामने आई गंभीर स्थिति के मद्देनजर यह कार्रवाई की गई है।

मनोज सिंह को उसके पद से हटाया गया?

रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मनोज सिंह को उनके पद से हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया। यह निर्णय एनजीटी की सख्त टिप्पणी के मद्देनजर लिया गया, जिसने गंगा के प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि गंगा का जल अब आचमन लायक भी नहीं बचा है। मनोज सिंह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे और उनकी सेवानिवृत्ति से मात्र 51 दिन पहले यह कदम उठाया गया।

मनोज सिंह के सचिव का भी हुआ तबादला

मनोज सिंह को हटाए जाने के 24 घंटे के भीतर उनके प्रधान निजी सचिव राजीव कुमार को भी विभाग से हटा दिया गया। सचिवालय प्रशासन ने उन्हें तत्काल प्रभाव से केंद्रीय अनुभाग की बाध्य प्रतीक्षा में डालने का आदेश जारी किया। यह आदेश सचिवालय प्रशासन के विशेष सचिव फूल चंद्र की ओर से जारी हुआ।

अनिल कुमार-तृतीय को सौंपा गया विभाग का अतिरिक्त कार्यभार

मनोज सिंह को हटाने के बाद वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का अतिरिक्त कार्यभार प्रमुख सचिव अनिल कुमार-तृतीय को सौंपा गया है। अनिल कुमार-तृतीय वर्तमान में श्रम एवं सेवायोजन तथा भूतत्व-खनिकर्म विभाग के प्रमुख सचिव हैं।

एनजीटी की सख्त टिप्पणी

गंगा नदी के जल की गुणवत्ता पर एनजीटी की सख्त टिप्पणी ने राज्य सरकार को गंभीर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। एनजीटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गंगा जल में प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वह आचमन योग्य भी नहीं रह गया है। एनजीटी ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को चार सप्ताह के भीतर गंगा नदी के प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए गए कदमों और भविष्य की योजना पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गंगा नदी में प्रदूषण को लेकर सरकार गंभीर

सरकार का यह कदम दर्शाता है कि वह गंगा नदी में प्रदूषण को लेकर गंभीर है। एनजीटी की ओर से की गई टिप्पणी के बाद यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया है, और आगे भी गंगा की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाने की उम्मीद है।

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