जयपुर: राजस्थान में अब जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी), डीआईजी और पुलिस कमिश्नर किसी भी पुलिस इंस्पेक्टर को तुरंत निलंबित नहीं कर सकेंगे। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) उत्कल रंजन साहू ने गुरुवार शाम को एक आदेश जारी किया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि पुलिस इंस्पेक्टरों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई बिना ठोस कारण के नहीं की जा सकेगी। आदेश में कहा गया है
कि बिना पर्याप्त वजह के निलंबन करने से पुलिस अधिकारियों का मनोबल गिरता है और सेवा के प्रति अनिश्चितता का भाव बढ़ता है। इस तरह की स्थिति से बचने के लिए अब किसी भी निलंबन की कार्रवाई से पहले डीजीपी से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
कठोर परिस्थितियों में ही हो निलंबन की कार्रवाई
डीजीपी ने अपने आदेश में कहा है कि निलंबन की कार्रवाई अत्यधिक गंभीर परिस्थितियों में ही की जानी चाहिए। लेकिन यह देखा गया है कि अक्सर जिन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, उनका पक्ष सुने बिना ही यह कदम उठाया जाता है। केवल आरोप लगने मात्र से निलंबन की कार्रवाई करना अनुचित है।
इस तरह की कार्रवाई से पुलिस अधिकारियों और कर्मियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, और उनके कार्य करने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए, निलंबन का फैसला सोच-समझकर और आरोपों की पूरी जांच करने के बाद ही लिया जाना चाहिए।
राजनीतिक दबाव में होती रही है अनुचित कार्रवाई
कई बार देखा गया है कि विधायकों, मंत्रियों और अन्य प्रभावशाली नेताओं के दबाव में आकर एसपी, आईजी और पुलिस कमिश्नर पुलिस इंस्पेक्टरों और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई कर देते हैं। इस तरह की कार्रवाई से पुलिसकर्मियों में हताशा का भाव उत्पन्न होता है, वे चाहकर भी इसके खिलाफ कुछ नहीं कर पाते।
लोगों को भी यह पता होता है कि राजनीतिक दबाव की वजह से अमुक अधिकारी या कर्मचारी को हटाया गया है, लेकिन अधीनस्थ अधिकारी और कार्मिक अपने वरिष्ठों के आदेश के खिलाफ आवाज नहीं उठाते हैं। डीजीपी का यह आदेश ऐसे पुलिसकर्मियों के लिए प्रोत्साहित करने वाला है और उन्हें न्याय दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।
हालिया घटना : राजेंद्र कमांडो को लाइन हाजिर करने का मामला
हाल ही में एक घटना में केकड़ी जिले के टोडारायसिंह थाना प्रभारी राजेंद्र कमांडो को लाइन हाजिर कर दिया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने एक महिला परिवादी के साथ दुर्व्यवहार किया। इस दुर्व्यवहार का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें किसी का चेहरा नजर नहीं आ रहा था,
केवल ऑडियो सुनाई दे रही थी। यह आवाज कथित रूप से राजेंद्र कमांडो और महिला परिवादी की बताई जा रही थी। आरोप यह भी था कि पुलिस इंस्पेक्टर ने एक मंत्री के लिए भी अपशब्द कहे थे।
डीजीपी की अनुमति के बिना नहीं होगी निलंबन की कार्रवाई
हालांकि, इस वीडियो की कोई जांच नहीं हुई थी और ना ही पुलिस इंस्पेक्टर राजेंद्र कमांडो पर कोई आरोप साबित हो पाए थे। इसके बावजूद, ग्रामीणों की शिकायत पर केकड़ी एसपी विनित कुमार बंसल ने उन्हें लाइन हाजिर कर दिया। इस घटना के बाद डीजीपी उत्कल रंजन साहू ने यह आदेश जारी किया कि उनकी लिखित अनुमति के बिना किसी भी पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।
डीजीपी का यह आदेश इस तरह की अनुचित कार्रवाइयों को रोकने और पुलिसकर्मियों में विश्वास बहाल करने के उद्देश्य से जारी किया गया है। इससे उम्मीद है कि पुलिसकर्मियों को अपनी सेवा के प्रति अधिक सुरक्षा और प्रोत्साहन मिलेगा, और वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन बिना किसी दबाव के कर सकेंगे।