Marburg Virus Disease: कोरोना से ज्यादा खतरनाक मारबर्ग वायरस, 10 में से 8 लोगों की ले लेता है जान, जानिए इस घातक बीमारी के लक्षण और उपाय?
Marburg Virus Disease

मारबर्ग वायरस रोग (MVD), जिसे आमतौर पर 'ब्लीडिंग आई डिजीज' कहा जाता है कि वजह से हाल के दिनों में दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। यह संक्रमण अफ्रीका के कई देशों में तेजी से फैल रहा है और अब तक 15 से अधिक लोगों की जान ले चुका है। रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले दो महीनों में यह वायरस 17 से अधिक देशों में फैल चुका है जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह बीमारी एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल बन सकती है।

संक्रामक रोगों का बढ़ता खतरा

पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में संक्रामक रोगों के मामलों में खतरनाक बढ़ोतरी देखी गई है। 2019 के अंत में कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत के बाद से मंकीपॉक्स, इबोला, स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू जैसे रोगों ने पहले ही स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ा दिया था। अब मारबर्ग वायरस ने एक और चुनौती खड़ी कर दी है।

मारबर्ग वायरस का यह प्रकोप नया नहीं है लेकिन इस बार इसका एक नया और अधिक घातक स्ट्रेन सामने आया है। यह स्ट्रेन न केवल अधिक तेजी से फैल रहा है बल्कि इससे संक्रमित होने वाले लोगों में मृत्यु दर भी बहुत अधिक है।

मारबर्ग वायरस का इतिहास

मारबर्ग वायरस पहली बार 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट शहरों और बेलग्रेड (सर्बिया) में पहचाना गया था। यह उन वैज्ञानिकों में पाया गया जो अफ्रीका से लाए गए हरे बंदरों के साथ काम कर रहे थे। तब से लेकर अब तक मारबर्ग वायरस कई बार फैल चुका है खासकर अफ्रीका में।

2003: डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में इसका प्रकोप हुआ।

2012: यूगांडा में 15 लोग संक्रमित हुए और 4 की मौत हो गई।

2023: फरवरी में इक्वेटोरियल गिनी में 16 लोग संक्रमित हुए और 12 की मौत हुई।

हर बार इस वायरस ने अपने घातक प्रभावों से दुनियाभर के स्वास्थ्य अधिकारियों को अलर्ट किया है।

मारबर्ग वायरस के लक्षण और असर

इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में शुरू में सामान्य फ्लू जैसे लक्षण नजर आते हैं, जैसे: तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, खांसी, थकान। हालांकि जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है लक्षण और भी गंभीर और जानलेवा हो जाते हैं जैसे- पेट और सीने में तेज दर्द, उल्टी और दस्त, नाक, मुंह, और आंखों से खून बहना, मल और पेशाब में खून आना। 

यह वायरस रक्त वाहिकाओं और अंगों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है जिससे आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव होता है। इससे अंगों का काम बंद हो सकता है और मरीज की मौत हो सकती है।

चमगादड़ों से मनुष्यों में फैलता है यह वायरस

मारबर्ग वायरस संक्रमित चमगादड़ों से मनुष्यों में फैलता है। यह विशेष रूप से रूसटस फ्रूट बैट नामक चमगादड़ों की प्रजाति में पाया जाता है। वायरस संक्रमित व्यक्तियों के शरीर के तरल पदार्थों (खून, पसीना, लार, आदि) के सीधे संपर्क से भी फैल सकता है।

चूंकि यह वायरस मानव-से-मानव में तेजी से फैलता है इसलिए प्रकोप को रोकने के लिए संक्रमित मरीजों को तुरंत आइसोलेशन में रखा जाता है।

वायरस की मृत्यु दर है 80 प्रतिशत

मारबर्ग वायरस की मृत्यु दर 50% से अधिक है यहां तक कुछ मामलों में यह 80% तक पहुंच सकती है। यह इसे कोविड-19 की तुलना में कहीं अधिक घातक बनाता है। कोविड-19 के लिए वैक्सीन और प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं लेकिन मारबर्ग वायरस के लिए फिलहाल न तो कोई वैक्सीन है और न ही कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा।

वर्तमान में मरीजों का उपचार केवल उनके लक्षणों को नियंत्रित करने और शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करने पर केंद्रित है। इसमें हाइड्रेशन बनाए रखना, ब्लड ट्रांसफ्यूजन और ऑर्गन सपोर्ट शामिल हैं।

मारबर्ग वायरस से बचने के उपाय

मारबर्ग वायरस से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिए:

1 संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें: संक्रमित मरीजों के निकट संपर्क से बचें।

2  स्वच्छता का ध्यान रखें: नियमित रूप से हाथ धोना और संक्रमण नियंत्रण उपायों का पालन करना जरूरी है।

3 चमगादड़ों और बंदरों से बचाव: इन जानवरों के संपर्क में आने से बचें, विशेषकर खदानों और गुफाओं में।

4. सुरक्षात्मक उपकरण पहनें: स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट और अन्य सुरक्षात्मक उपकरण का उपयोग करना चाहिए।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाए जा रहे कदम

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियां मारबर्ग वायरस के प्रकोप पर कड़ी नजर रख रही हैं। प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल टीमें भेजी जा रही हैं ताकि संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके। साथ ही वैक्सीन और एंटीवायरल दवाओं के विकास पर भी तेजी से काम हो रहा है।

मारबर्ग वायरस एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा बनकर उभरा है। इसकी घातकता, तेजी से फैलने की क्षमता, और उपचार की कमी की वजह से इसे और अधिक खतरनाक बनाता है। ऐसे में जागरूकता, त्वरित बचाव उपाय और वैश्विक सहयोग ही इस घातक वायरस से निपटने में मददगार साबित हो सकते हैं।

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