UNESCO में भारत का बढ़ा दबदबा!: भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को मिली वैश्विक पहचान, यूनेस्को ने ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ रजिस्टर में किया शामिल तो पीएम मोदी ने?
UNESCO में भारत का बढ़ा दबदबा!

यूनेस्को (UNESCO) के “मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर” में भारत की अब कुल 14 प्रविष्टियां शामिल हो गईं हैं। बता दें कि इसके अंतर्गत वैश्विक महत्व की दस्तावेजी विरासत को संरक्षित किया जाता है। वहीं गीता तथा नाट्यशास्त्र के इसमें शामिल होने से यूनेस्को में भारत का दबदबा और बढ़ गया है।
 
दरअसल “भगवद गीता” तथा भरत मुनि के “नाट्यशास्त्र” को UNESCO के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया। इसके बाद पीएम मोदी के द्वारा भी खुशी जताई गई। उन्होंने इसे दुनिया भर में हर भारतीय के लिए बेहद गर्व का क्षण बताया। वहीं केंद्रीय संस्कृति तथा पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस पर अपनी खुशी जाहिर की है।

प्रधानमंत्री ने बताया हर भारतीय के लिए बेहद गर्व का क्षण:

गौरतलब है कि पीएम मोदी के द्वारा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा गया कि दुनिया भर में फैले हर भारतीय के लिए यह बेहद गर्व का क्षण है। यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में “भगवद गीता” तथा “नाट्यशास्त्र” को शामिल किया जाना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता तथा समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। उन्होंने आगे लिखा कि गीता और नाट्यशास्त्र के द्वारा सदियों से सभ्यता एवं चेतना का पोषण किया गया है। उनकी अंतर्दृष्टि पूरी दुनिया को प्रेरित करती रहती है। पीएम मोदी के द्वारा केंद्रीय संस्कृति तथा पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के एक्स पोस्ट को भी साझा किया गया है। 

भगवद् गीता एक प्रतिष्ठित धर्मग्रंथ तथा आध्यात्मिक मार्गदर्शक है: गजेंद्र सिंह शेखावत

इसी क्रम में केंद्रीय संस्कृति तथा पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के द्वारा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा गया कि भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए यह एक ऐतिहासिक पल है। “श्रीमद्भगवद्गीता” तथा भरत मुनि के “नाट्यशास्त्र” को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया है।

यह वैश्विक सम्मान पूरे भारत के शाश्वत ज्ञान एवं कलात्मक प्रतिभा के लिए जश्न मनाता है। भगवद् गीता एक प्रतिष्ठित धर्मग्रंथ तथा आध्यात्मिक मार्गदर्शक है। जबकि नाट्यशास्त्र हमारे प्रदर्शन कलाओं पर एक प्राचीन ग्रंथ है। यह लंबे समय से भारत की बौद्धिक तथा सांस्कृतिक पहचान का प्रमुख स्तंभ है। 

यह रचनाएं हमारे साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं: गजेंद्र सिंह शेखावत

इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि यह सभी कालातीत रचनाएं हमारे साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं। वह दार्शनिक एवं सौंदर्यवादी आधार हैं जिन्होंने भारतदेश के विश्व दृष्टिकोण तथा हमारे सोचने, महसूस करने, जीने एवं अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अब हमारे देश के कुल 14 अभिलेख इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल कर लिए गए हैं।

17 अप्रैल को यूनेस्को ने जोड़े थे कुल 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रह:

आपको बता दें कि बीते 17 अप्रैल को यूनेस्को के द्वारा अपने “मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड” रजिस्टर में कुल 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रह जोड़े गए हैं। इससे कुल अंकित संग्रहों की संख्या अब 570 हो गयी। वहीं इस रजिस्टर में 72 देशों तथा 4 अंतरराष्ट्रीय संगठनों की वैज्ञानिक क्रांति, इतिहास में महिलाओं का योगदान एवं बहुपक्षवाद की प्रमुख उपलब्धियों पर भी प्रविष्टियां शामिल की गईं। 

आइए जानते हैं कि आखिर क्या है UNESCO:

दरअसल यूनेस्को (UNESCO) एक प्रकार का संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी है जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से पूरी दुनिया में शांति स्थापित करना है।इसके साथ ही यूनेस्को (UNESCO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी भी है जो शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति एवं संचार में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देती है, साथ ही वैश्विक शांति और सुरक्षा के संरक्षण में अपना योगदान देती है

क्या है UNESCO का “मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड” रजिस्टर:

दरअसल यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर विश्व के तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज धरोहरों की एक सूची है। इसमें दस्तावेजी धरोहरों को अंतरराष्ट्रीय सलाहकार समिति की सिफारिश एवं कार्यकारी बोर्ड की स्वीकृति के बाद चुना जाता है। 

वहीं इस सूची में शामिल होने के पश्चात दस्तावेज़ी धरोहरों के वैश्विक महत्व एवं सर्वकालिक मूल्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया जाता है। इससे शोध, शिक्षा, मनोरंजन तथा संरक्षण को काफी बढ़ावा मिलता है।

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