नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुरुवार को संसद में बताया कि अमेरिका और अन्य विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर समय-समय पर जारी रिपोर्टों के बारे में वह पूरी तरह से अवगत है और सरकार का मानना है कि ये रिपोर्टें अक्सर व्यक्तिपरक होती हैं जिनमें गलत जानकारियां और पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण देखने को मिलता है।
विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह की प्रतिक्रिया
विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उनसे यह पूछा गया था कि क्या सरकार को यूएस कांग्रेस रिसर्च सर्विस की हालिया रिपोर्ट के बारे में जानकारी है जिसमें भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठाए गए हैं खासकर धार्मिक स्वतंत्रता और सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े मुद्दों पर? इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि ऐसी रिपोर्टें अक्सर वास्तविकता से परे और पूर्वाग्रह से ग्रसित होती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार विदेशी संस्थाओं की इन आंतरिक रिपोर्टों का औपचारिक संज्ञान नहीं लेती है।
भारत का संविधान सभी को देता है मौलिक अधिकारों की गारंटी
उन्होंने भारत को एक जीवंत लोकतंत्र बताया जहां संविधान प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है। मंत्री ने यह भी कहा कि भारत की मजबूत न्यायपालिका और स्वतंत्र मीडिया नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत में मानवाधिकारों की स्थिति का मूल्यांकन विदेशी संस्थाओं के बजाय घरेलू न्याय और प्रशासनिक प्रणालियों के आधार पर होना चाहिए।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर जताई चिंता
कीर्ति वर्धन सिंह ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर होने वाली हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। भारत सरकार इस मामले पर बारीकी से नजर रख रही है और आवश्यकता पड़ने पर अपनी चिंताओं को बांग्लादेश सरकार के साथ साझा भी करती है।
विदेश सचिव की ढाका यात्रा
मंत्री की यह टिप्पणी विदेश सचिव विक्रम मिसरी की हालिया ढाका यात्रा के बाद आई है। इस यात्रा में उन्होंने बांग्लादेश के वरिष्ठ राजनीतिक नेतृत्व को भारत की चिंताओं से अवगत कराया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नई दिल्ली, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को लेकर संवेदनशील है।
विदेश में भारतीयों की सुरक्षा है प्राथमिकता
सरकार ने स्पष्ट किया कि वह विदेश में भारतीय नागरिकों, विशेषकर जेलों में बंद कैदियों की सुरक्षा और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। इसके तहत कैदियों के पुनर्वास और उनके स्थानांतरण की प्रक्रिया को सुगम बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
कैदियों के स्थानांतरण पर समझौते
कीर्ति वर्धन सिंह ने यह भी जानकारी दी कि भारत ने अब तक 31 देशों के साथ कैदियों के स्थानांतरण पर द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों के तहत विदेशी जेलों में बंद भारतीय कैदियों को उनकी शेष सजा पूरी करने के लिए भारत स्थानांतरित किया जा सकता है। इसी प्रकार भारतीय जेलों में बंद विदेशी कैदियों को उनके अपने देश भेजा जा सकता है। इन समझौतों में ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, फ्रांस, ईरान, मालदीव, रूस, सऊदी अरब और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं।
भारत का मेट्रो नेटवर्क बनेगा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने बताया कि भारत जल्द ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क वाला देश बनने की दिशा में अग्रसर है। वर्तमान में देश के 23 शहरों में लगभग 993 किलोमीटर लंबा मेट्रो नेटवर्क संचालित है जबकि 28 शहरों में 997 किलोमीटर मेट्रो रेल का निर्माण कार्य चल रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार शहरी परिवहन के नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। मेट्रो के विस्तार से न केवल परिवहन में सुधार होगा बल्कि पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा। मंत्री ने यह भी बताया कि मेट्रो रेल परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए विभिन्न तकनीकी और प्रबंधकीय उपाय किए जा रहे हैं।
सरकार विदेशी रिपोर्ट्स पर नहीं अपने लोकतंत्र पर करती है भरोसा
भारत सरकार विदेशी संस्थाओं की रिपोर्टों को महत्त्व देने के बजाय अपने लोकतंत्र, न्याय व्यवस्था और विकास परियोजनाओं पर भरोसा कर रही है। साथ ही देश के भीतर और विदेशों में भारतीय नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।