दिल्ली: मशहूर तबला वादक और संगीत की दुनिया के महान हस्ती उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने अपनी अंतिम सांस अमेरिका में ली। अपनी अद्भुत कला और विश्व स्तर पर तबले की पहचान बनाने वाले जाकिर हुसैन ने संगीत के क्षेत्र में कई मुकाम हासिल किए। उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। हाल ही में उन्हें तीन ग्रैमी अवॉर्ड्स भी मिले जो उनकी कला के प्रति समर्पण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी मान्यता का प्रमाण है।
विदेशी लड़की पर आया था दिल
जाकिर हुसैन के प्रेम कहानी उनकी कला जितनी ही दिलचस्प है। उनकी निजी जिंदगी में प्रेम, संघर्ष और धैर्य का अनोखा संगम देखने को मिलता है। उन्होंने इटैलियन-अमेरिकन एंटोनिया मिनेकोला से विवाह किया जो एक पेशेवर कथक डांसर थीं। उनकी प्रेम कहानी 1970 के दशक में कैलिफोर्निया में शुरू हुई। उस समय जाकिर तबला वादन का ज्ञान बढ़ाने के लिए कैलिफोर्निया गए थे और वहीं एंटोनिया कथक सीख रही थीं।
रोजाना घंटों इंतजार करते थे जाकिर
जाकिर पहली नजर में ही एंटोनिया के प्रति आकर्षित हो गए थे। शुरुआत में एंटोनिया को रिश्ते में झिझक महसूस हुई लेकिन जाकिर की लगन और समर्पण ने उन्हें राजी करा लिया। जाकिर उनके प्रति इतने प्रतिबद्ध थे कि हर दिन उनके क्लास के बाहर घंटों उनका इंतजार करते रहते थे। अंततः दोनों ने डेटिंग शुरू की और यह रिश्ता शादी तक पहुंच गया।
शादी में आई थी बहुत सारी चुनौतियां
जाकिर और एंटोनिया की शादी आसान नहीं थी। सबसे पहले एंटोनिया के पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे। उनका मानना था कि संगीत आय का स्थिर साधन नहीं हो सकता। लेकिन जाकिर के दृढ़ निश्चय और उनके व्यक्तित्व ने एंटोनिया के पिता का मन बदल दिया। दूसरी ओर जाकिर के परिवार में भी शादी को लेकर समस्याएं थीं। उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा इस रिश्ते के पक्ष में थे लेकिन उनकी मां को यह शादी स्वीकार नहीं थी।
सिमी गरेवाल के साथ एक साक्षात्कार में जाकिर ने बताया किया कि वह अपने परिवार में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने दूसरे धर्म और जाति में विवाह किया था। उनकी मां इस विवाह के सख्त खिलाफ थीं। हालांकि जाकिर के पिता ने बिना मां को बताए उनकी शादी करवाई। इस घटना से उनकी मां बेहद नाराज हुईं और काफी समय तक एंटोनिया को बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया।
अपने पिता की विरासत को विश्व स्तर पर दिलाई पहचान
समय के साथ जाकिर की मां का मन बदला और उन्होंने एंटोनिया को बहू के रूप में स्वीकार कर लिया। जाकिर और एंटोनिया की शादी से दो बेटियां हुईं। जाकिर ने अपनी कला के माध्यम से अपने पिता की विरासत को न केवल आगे बढ़ाया बल्कि वैश्विक स्तर पर तबले को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
जाकिर हुसैन का जीवन सिर्फ संगीत तक सीमित नहीं था बल्कि उन्होंने अपने जीवन में प्यार, समर्पण और संघर्ष के कई रंग देखे। उनकी कहानी न केवल संगीत प्रेमियों के लिए प्रेरणा है बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो अपने सपनों के लिए संघर्ष करता है। उनकी अद्वितीय कला और संघर्ष की कहानी हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगी।