रतन टाटा के निधन के पश्चात अब ग्रुप के सबसे बड़े स्टेक होल्डर 'टाटा ट्रस्ट' की कमान उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को मिल गई है। दरअसल शुक्रवार को मुंबई में हुई एक मीटिंग में नोएल टाटा के नाम पर सहमति बनी है।बता दें कि नोएल टाटा अपने पारिवारिक संबंधों तथा ग्रुप की कई कंपनियों में अपनी भागीदारी के कारण ही टाटा की विरासत को लगातार आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। नोएल टाटा इससे पहले से ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट तथा सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं।फिलहाल समूह की सबसे बड़ी कंपनी टाटा संस के वर्तमान चेयरमैन N चंद्रशेखरन हैं, लेकिन टाटा ट्रस्ट इससे भी ऊपर है, जिसकी कमान शुरुआत से ही टाटा परिवार के सदस्य संभालते रहे हैं। बता दें कि निधन से पहले तक रतन टाटा ही टाटा ट्रस्ट के प्रमुख थे।
नोएल टाटा आयरिश नागरिक हैं और उनके तीन बच्चे हैं:
बता दें कि 67 साल के नोएल टाटा, रतन जी टाटा के सौतेले भाई तथा कई वर्षों से टाटा ट्रस्ट समेत टाटा ग्रुप से भी जुड़े हुए हैं। वह नवल टाटा की दूसरी पत्नी के ही बेटे हैं। दरअसल नोएल टाटा एक आयरिश नागरिक हैं तथा नोएल के द्वारा आलू मिस्त्री से शादी की गई है। बता दें कि आलू टाटा संस में सबसे बड़े शेयरधारक पालोन जी मिस्त्री की ही बेटी हैं।उनके कुल 3 बच्चे हैं जिनके नाम लिआ, माया तथा नेविल है। टाटा ट्रस्ट की वेबसाइट के अनुसार ही उनके बच्चे अपने परिवार से जुड़ी कुछ दान संस्थाओं के ट्रस्टी भी हैं। दरअसल नोएल टाटा अपनी लो-प्रॉफिट लीडरशिप वाली स्टाइल के लिए जाने जाते हैं तथा रतन टाटा के मुकाबले मीडिया से काफी दूर रहते हैं।आपको बता दें कि नवल तथा सिमोन टाटा के बेटे नोएल टाटा ट्रेंट, वोल्टास तथा टाटा इन्वेस्टमेंट एवं टाटा इंटरनेशनल के भी चेयरमैन हैं। टाटा स्टील तथा टाइटन के वह वाइस चेयरमैन भी हैं।
साल 2014 में वह बने थे ट्रेंट के चेयरमैन, शेयर 6000% बढ़ा:
आपको बता दें कि साल 2014 से वह ट्रेंट लिमिटेड के चेयरमैन हैं। ट्रेंट जुडियो तथा वेस्टसाइड की ओनर है। इनकी ही लीडरशिप में पिछले 10 वर्षों में कंपनी के शेयरों में करीबन 6,000% से ज्यादा की तेजी आई है। वहीं नोएल की लीडरशिप के द्वारा ही कंपनी ने ऐसे समय में अपने कर्मचारियों तथा स्टोर्स की संख्या बढ़ाई है जब उसके मार्केट पीयर्स लगातार कम हो रहे थे।
13.8 लाख करोड़ रुपए के रेवेन्यू वाले ग्रुप में टाटा ट्रस्ट की 66% हिस्सेदारी:
दरअसल हम टाटा ट्रस्ट की अहमियत तथा उसका आकार इस तरह समझ सकते हैं कि वह टाटा ग्रुप की परोपकारी संस्थाओं का एक समूह है। यह 13 लाख करोड़ रुपए के रेवेन्यू वाले टाटा ग्रुप में लगभग 66% की हिस्सेदारी रखता है।वहीं टाटा ट्रस्ट में सर रतन टाटा ट्रस्ट समेत एलाइड ट्रस्ट एवं सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट तथा एलाइड ट्रस्ट भी शामिल हैं। गरीबी उन्मूलन सहित स्वास्थ्य देखभाल तथा शिक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करने वाले यह ट्रस्ट, रतन टाटा की विरासत का ही अभिन्न अंग हैं।
टाटा संस तथा टाटा ट्रस्ट दोनों के चेयरमैन रहे हैं रतन टाटा:
आपको बता दें कि टाटा ग्रुप के इतिहास में रतन टाटा ही ऐसे आखिरी व्यक्ति रहे हैं जिन्होंने टाटा संस तथा टाटा ट्रस्ट दोनों के चेयरमैन की भूमिका निभाई थी। कंपनी के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में साल 2022 में संशोधन किया गया था, जिसके बाद ही एक ही व्यक्ति के इन दोनों पद पर रहने पर रोक लगा दी गई थी। दरअसल ऐसा गवर्नेस के स्ट्रक्चर में बदलाव लाने के लिए किया गया था।