नहीं रहे मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन: सबसे कम उम्र में मिला था पद्मश्री, एकसाथ 3 ग्रैमी जीतने वाले पहले भारतीय भी?
नहीं रहे मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन

महान विभूति: मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का रविवार रात को निधन हो गया। उनकी तबीयत बेहद गंभीर होने के बाद एक सप्ताह पहले ही उन्हें अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को में मौजूद एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद रविवार को तबीयत बहुत ज्यादा गंभीर हो गई थी, जिसके बाद कुछ वक्त से उन्हें आईसीयू में रखा गया था। वहीं पर समाचार एजेंसी पीटीआई ने उनके एक मित्र और साथ ही बांसुरी वादक राकेश चौरसिया के हवाले से बताया कि जाकिर हुसैन को हृदय से संबंधी कुछ समस्याओं के बाद अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था।  

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों से जुड़ी है ये बीमारी

बता दें कि जाकिर हुसैन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस हार्ट से जुड़ी हुई समस्या से जूझ रहे थे इसमें फेफड़ों के टिश्यू डैमेज हो जाते है, जिसके बाद सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। सांस फूलना और गले में कफ का आना इसके सबसे शुरुआती लक्षण हैं।
वहीं पर फेफड़ों के टिश्यू डैमेज होने से खून में पर्याप्त ऑक्सीजन भी नहीं पहुंचती है। इससे शरीर के बाकी ऑर्गन्स तक ऑक्सीजन पहुंचने में काफी ज्यादा दिक्कत आने लगती है और इसके बाद धीरे-धीरे ऑर्गन्स भी काम करना बंद कर देते हैं।

रविवार देर रात आई थी निधन की गलत खबर

बता दें कि रविवार को देर रात भी उनके निधन की कुछ खबर आई थी। जिसके बाद भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भी निधन से संबंधी कुछ पोस्ट शेयर की थी, लेकिन बाद में इनको हटा लिया गया था। इसके बाद जाकिर हुसैन की बहन और भांजे आमिर ने जाकिर के उस निधन की खबर को गलत बताया था।

सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे

दरअसल, जाकिर हुसैन के अंदर उनके बचपन से ही धुन बजाने का एक हुनर शामिल था। वे कोई भी सपाट जगह देखते थे तो उंगलियों से धुन बजाने लगते थे। यहां तक कि अपने घर के किचन में बर्तनों को भी नहीं छोड़ते थे। तवा, हांडी और थाली, जो कुछ भी उनको मिलता, वे उस पर अपना हाथ फेरने लगते थे।

ओबामा ने भेजा था व्हाइट हाउस में कॉन्सर्ट के लिए न्योता

वहीं भारत के अलावा अमेरिका में भी जाकिर हुसैन को बहुत ज्यादा सम्मान मिला। साल 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनको ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट के अंदर भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। बता दें कि जाकिर हुसैन पहले इंडियन म्यूजिशियन थे, जिनको यह इनविटेशन मिला था।

एकसाथ तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाले इकलौते भारतीय हैं ज़ाकिर

बता दें कि शास्त्रीय संगीत में तो उनको महारत हासिल थी ही, लेकिन इसके साथ ही कंटेंपररी वर्ल्ड म्यूजिक यानी कि पश्चिम और पूर्व के संगीत को भी एकसाथ लाने के कामयाब प्रयोग की वजह से ज़ाकिर को काफी कम उम्र में ही इंटरनेशनल आर्टिस्ट के रूप में एक मजबूत ख्याति मिली। वहीं मिकी हार्ट, जॉन मैक्लॉफ्लिन जैसे बड़े आर्टिस्ट्स के साथ एक फ्यूजन म्यूजिक बनाने के दौरान ही उन्होंने अपना बैंड जिसका नाम शक्ति भी शुरू किया।
साल 2024 में शक्ति बैंड को पूरे 3 ग्रैमी अवॉर्ड से नवाजा गया था। वे एकसाथ 3 ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाले सबसे पहले भारतीय बने हैं। ये फ्यूजन म्यूजिक बनाने के बाद भी उन्होंने कभी भी तबले को नहीं छोड़ा, क्योंकि उनके मुताबिक जो तबला है वो बचपन से उनके साथ एक दोस्त की तरह और भाई की तरह रहा।

सबसे कम उम्र में पद्मश्री अवॉर्ड मिला, रविशंकर ने कहा था उस्ताद

वहीं पर जाकिर हुसैन को साल 1988 में सबसे कम उम्र में (37 साल) में पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया। उसी समय पहली बार पंडित रविशंकर ने जाकिर हुसैन को उस्ताद कहकर संबोधित किया था। फिर इसके बाद यह सिलसिला कभी भी नहीं थमा। साल 1990 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, इसके बाद साल 1992 में जाकिर के को-क्रिएट किए गए एल्बम, साथ ही प्लेनेट ड्रम को ग्रैमी अवॉर्ड से नवाजा गया। बता दें कि इसमें हिंदुस्तानी और साथ में विदेशी ताल विद्या को मिलाकर एक रिकॉर्डिंग की गई थी, जो उस वक्त बहुत ही दुर्लभ था।

जानें और कौन कौनसे मिल चुके हैं सम्मान

और यही खास वजह थी कि उस वक्त इस एल्बम के तकरीबन 8 लाख रिकॉर्ड्स बिके थे। इसके अलावा उस्ताद को साल 2002 में पद्म भूषण, साल 2006 में कालिदास सम्मान, साल 2009 में उनके 'ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट' एल्बम को भी ग्रैमी अवॉर्ड मिला। इसके बाद साल 2023 में पद्म विभूषण और साथ ही दिनांक 4 फरवरी 2024 को 66वें एनुअल ग्रैमी अवॉर्ड्स समारोह में एकसाथ 3 ग्रैमी अवॉर्ड्स को जीत कर उन्होंने एक इतिहास रच दिया।

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