हरियाणा के हिसार में शुरू हुआ राखीगढ़ी महोत्सव: 9,000 साल पुरानी सभ्यता को करीब से देखने का मिलेगा मौका, 20 से 22 दिसंबर तक चलेगा महोत्सव
हरियाणा के हिसार में शुरू हुआ राखीगढ़ी महोत्सव

हरियाणा: हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी गांव में 20 से 22 दिसंबर तक तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में आगंतुकों को दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक हड़प्पाकालीन सभ्यता की झलक देखने को मिलेगी। राखीगढ़ी में अब तक की गई खुदाई में 9 हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। यहां पाए गए मकान, पानी की निकासी का प्रबंधन, महिलाओं के आभूषण और अन्य वस्तुएं इस सभ्यता की उन्नत तकनीक और समृद्ध संस्कृति का परिचय देती हैं।

राखीगढ़ी का इतिहास और इसका महत्व

राखीगढ़ी भारत के हड़प्पाकालीन सभ्यता की सबसे बड़ी ज्ञात साइट है जो लगभग 550 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है। इस क्षेत्र में कुल 9 टीले पाए गए हैं जिनमें से 5 टीलों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अधिग्रहित कर लिया है। इन टीलों के आकार को देखकर इनकी तुलना मिस्र के पिरामिडों से की जाती है।

जानें कब-कब की गई खुदाई

  • पहली खुदाई: 1997-98

28 साल पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने राखीगढ़ी की पहली खुदाई शुरू की। 1997-98 में अमरेंद्र नाथ की अगुआई में टीले नंबर 6 और 7 पर काम किया गया। इस दौरान मानव कंकाल मिलने के बाद यह पुष्टि हुई कि राखीगढ़ी में मानव जीवन अस्तित्व में था। इन अवशेषों को दिल्ली स्थित नेशनल म्यूजियम में संरक्षित किया गया है।

  • दूसरी खुदाई: 2013-14

राखीगढ़ी में दूसरी बार खुदाई 2013-14 में डेक्कन कॉलेज, पुणे के वाइस चांसलर वसंत शिंदे की अगुआई में की गई। इस खुदाई में टीले नंबर 1, 2, 6 और 7 पर काम किया गया। यहां से लगभग 60 मानव कंकाल मिले जिनमें से 8-10 कंकाल बेहद अच्छी स्थिति में थे। डीएनए जांच और कार्बन डेटिंग से यह साबित हुआ कि यह सभ्यता करीब 5,500 साल पुरानी है।

खुदाई के दौरान पानी की निकासी की उन्नत प्रणाली, सूखी नदी के अवशेष, बर्तन, कुएं और अन्य प्राचीन वस्तुएं भी मिलीं। यहां की परतों को जांचने पर यह पाया गया कि यह क्षेत्र लगभग 9,000 वर्ष पहले भी बसा हुआ था।

  • तीसरी खुदाई: 2023-24

2023-24 में ASI के अपर महानिदेशक डॉ. संजय कुमार मंजुल की अगुआई में राखीगढ़ी में तीसरी खुदाई की गई। इस दौरान मकानों की दीवारें, कच्ची ईंटें, तांबे के उपकरण, मनके, मोहरें और शंख की चूड़ियां जैसी वस्तुएं मिलीं। ये अवशेष लगभग 6,000 साल पुराने हैं।

सभ्यता के पतन का कारण

राखीगढ़ी साइट सरस्वती नदी के किनारे बसी हुई थी और दृष्टवती नदी यहां से होकर गुजरती थी। यह माना जाता है कि नदी के सूख जाने के कारण यहां की सभ्यता का अंत हो गया। सरस्वती नदी के सूखने से कृषि और जल आपूर्ति प्रभावित हुई जिससे इस उन्नत नगर को त्याग दिया गया।

राखीगढ़ी महोत्सव का आयोजन

हरियाणा सरकार ने राखीगढ़ी के ऐतिहासिक महत्व को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए इस महोत्सव का आयोजन किया है। पर्यटन मंत्री अरविंद शर्मा ने महोत्सव का उद्घाटन किया जबकि समापन मुख्यमंत्री नायब सैनी करेंगे। महोत्सव के दौरान संग्रहालय में नवनिर्मित विश्राम गृह, हॉस्टल और कैफे भवन का उद्घाटन भी किया जाएगा।

हेरिटेज वॉक और आकर्षण

राखीगढ़ी महोत्सव में आने वाले आगंतुक टीले नंबर 1 और 3 पर हेरिटेज वॉक का अनुभव कर सकेंगे। यह वॉक लोगों को हजारों साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों और उनकी उन्नत जीवनशैली के बारे में जानकारी देगी। महोत्सव में प्रदर्शित किए गए वस्त्र, आभूषण और दैनिक उपयोग की वस्तुएं यह दर्शाती हैं कि उस समय की संस्कृति कितनी समृद्ध और उन्नत थी।

राखीगढ़ी: सभ्यता का अनमोल खजाना

राखीगढ़ी की खोज ने यह साबित किया है कि हड़प्पाकालीन सभ्यता केवल सिंधु घाटी तक सीमित नहीं थी बल्कि भारत के अन्य हिस्सों तक भी विस्तृत थी। यहां मिले जल प्रबंधन के प्रमाण यह दर्शाते हैं कि उस समय की नगर योजना बेहद उन्नत थी। महिलाओं के आभूषण और मोहरें यह संकेत देते हैं कि उस समय व्यापार और सौंदर्य का महत्व था।

महोत्सव का उद्देश्य

राखीगढ़ी महोत्सव का उद्देश्य न केवल इस प्राचीन धरोहर को संरक्षित करना है बल्कि इसे आम जनता और शोधकर्ताओं के लिए और अधिक सुलभ बनाना है। यह महोत्सव देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने और भारत की प्राचीन सभ्यता की समृद्धि को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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