हाथरस कांड से संबंधित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। शासन ने इस रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए एसडीएम सिकंदराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकार सिकंदराराऊ,थाना अध्यक्ष सिकंदराराऊ, तहसीलदार सिकंदराराऊ और चौकी इंचार्ज कचौरा एवं चौकी इंचार्ज पोरा को निलंबित कर है।
क्या है एसआईटी जांच के प्रमुख निष्कर्ष?
➡️ एसआईटी जांच में प्रारंभिक स्तर पर गवाहों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर दुर्घटना के लिए आयोजकों को मुख्य जिम्मेदार माना गया है।
➡️ एसआईटी ने हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया है, बल्कि गहन जांच की जरूरत बताइए।
➡️ आयोजकों के साथ-साथ एसआईटी ने तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी माना है। एसआईटी के अनुसार स्थानीय एसडीएम,तहसीलदार, सीओ,इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज की लापरवाही हादसे का कारण बनी।
➡️ एसडीएम सिकंदराराऊ द्वारा बिना आयोजन स्थल का मुआयना किए हुए ही आयोजन की अनुमति प्रदान की गई। साथी वरिष्ठों को इससे अवगत नहीं कराया गया।
➡️ उपर्युक्त अधिकारियों द्वारा आयोजन को गंभीरता से नहीं दिया गया और वरिष्ठों को इसकी जानकारी नहीं प्रदान की गई।
एसआईटी रिपोर्ट पर विवाद क्यों?
सवाल यह है कि:
➡️ क्या लापरवाही सिर्फ नीचे के स्तर पर हुई?
➡️ नीचे के स्तर से एक-एक बात वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करने के बावजूद वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाना हादसे का कारण बना?
➡️ यदि वरिष्ठ अधिकारी भी हादसे के लिए जिम्मेदार हैं, तो कार्यवाही सिर्फ निचले स्तर के अधिकारियों पर क्यों हुई?
➡️ इतना ही नही एसआईटी जांच में कहीं भी भोले बाबा का जिक्र क्यों नहीं किया गया है?
क्या उच्च अधिकारियों को नहीं थी जानकारी?
➡️ 18 जून को मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर ने एसडीएम के समक्ष पत्र लिखकर सत्संग की अनुमति मांगी थी। SDM ने विभिन्न विभागों से रिपोर्ट लेने के पश्चात सत्संग की अनुमति प्रदान कर दी थी।
➡️ तत्पश्चात 29 जून को सिकंदराराऊ इंस्पेक्टर ने पुलिस के आला अधिकारियों को पत्र लिखकर सूचित किया कि कार्यक्रम स्थल पर एक लाख से अधिक की भीड़ जुट सकती है। यह पत्र एसपी से होते हुए एएसपी के पास तक पहुंचा था और अपर पुलिस अधीक्षक में आयोजन स्थल पर 69 पुलिस कर्मियों की तैनाती की थी।
➡️ इतना ही नहीं लोकल इंटेलीजेंस यूनिट ने भी एक लाख से अधिक भीड़ के एकत्र होने का अनुमान लगाया था और साथ ही अपनी रिपोर्ट आला अधिकारियों को भेजी थी।
➡️ स्पष्ट है कि उच्च स्तर के अधिकारियों को आयोजन स्थल पर एक लाख से अधिक भीड़ होने की सूचना पर्याप्त रूप में मौजूद थी।
क्यों उच्च अधिकारी भी है जिम्मेदार?
➡️ उच्च अधिकारियों ने लोकल इंटेलीजेंस यूनिट की रिपोर्ट को नजरअंदाज किया और आयोजन स्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रबंध नहीं किया।
➡️ सिकंदराराऊ इंस्पेक्टर ने पुलिस के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर एक लाख से अधिक की भीड़ एकत्र होने सूचना दी थी और फोर्स लगने की मांग की थी। इसके बावजूद अधिकारियों ने फोर्स का प्रबंध नहीं किया। आश्चर्यजनक रूप से एक लाख से अधिक की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा 69 पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी।
➡️ 500 बसे और 1500 से ज्यादा छोटे वाहनों से हाईवे के जाम हो जाने के बावजूद ट्रैफिक पुलिस के मात्र चार कर्मचारी ट्रैफिक प्रबंधन के लिए लगाए गए थे।
➡️ आयोजन स्थल पर फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी और मात्र दो एंबुलेंस की तैनाती की गई थी। उल्लेखनीय है कि इस दिन हाथरस में कोई दूसरा बड़ा प्रोग्राम नहीं हो रहा था, फिर भी प्रशासन की सुस्ती सवालों के घेरे में है।
काली वर्दी वाले हैं मुख्य जिम्मेदार?
यह बात ठीक है कि प्रशासन की लापरवाही हादसे का एक कारण थी, पर यह भी सच है कि हादसे का मुख्य कारण काली वर्दी वाले सेवादारों द्वारा की गई धक्का मुक्की है। बाबा के काफिले के निकलने के बाद यदि सेवादारों द्वारा श्रद्धालुओं को धक्का नहीं दिया गया होता और महिलाएं नहीं गिरती, तो शायद भगदड़ नही होती। एसआईटी ने भी अपनी जांच में इन सेवादारों को दोषी ठहराया है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने उठाए सवाल
बसपा सुप्रीमो मायावती ने हाथरस कांड पर एसआईटी पर आरोप लगाया कि एसआईटी ने हाथरस कांड को गंभीरता से नहीं लिया। बसपा सुप्रीमो के अनुसार एसआईटी कड़ी कार्रवाई करने की जगह क्लीनचिट देने का प्रयास कर रही है। मायावती ने मुख्य आयोजक भोले बाबा की भूमिका पर एसआईटी की चुप्पी पर भी सवाल उठाएं।