बीजेपी हाईकमान द्वारा नायब सिंह सैनी ही सूबे के नए सीएम क्यू ?: एक तरफ ओबीसी वर्ग को साधने तो दूसरी तरफ जाटों सहित अनिल विज की नाराज़गी, क्या हैं बीजेपी के लिए नई चुनौती?
बीजेपी हाईकमान द्वारा नायब सिंह सैनी ही सूबे के नए सीएम क्यू ?

देश में होने वाले लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा जल्द ही हो सकती है। इसी बीच हरियाणा में भाजपा ने अपनी सरकार का चेहरा बदल दिया है। दरअसल बीते दिन हरियाणा में हुए अचानक नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मनोहर लाल खट्टर तथा उनकी पूरी कैबिनेट के द्वारा मंगलवार की सुबह को त्यागपत्र दे दिया गया था। जिसके बाद बीजेपी ने नायब सि‍ंह सैनी को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री बनाया है।

समझते हैं क्यों बीजेपी ने चुना OBC चेहरा:

दरअसल, हरियाणा में देखे करीब 33 प्रतिशत से अधिक आबादी ओबीसी की है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी के द्वारा नायब सिंह सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाकर प्रदेश के ओबीसी मतदाताओं को लुभाने का काम किया गया है।

बता दें की हरियाणा में बीजेपी के ही एक तबके का यह भी कहना है कि प्रदेश में खट्टर के रूप में सीएम के चेहरे को बदलने की यह पहल आज से करीब एक साल पहले से की जा रही थी। इसके पीछे पार्टी की यह कोशिश रही थी कि प्रदेश में ज़्यादा से ज्यादा दलित तथा ओबीसी चेहरों को अब सामने लाया जाए।

जिसके बाद ही अब हरियाणा में मुख्यमंत्री बदलने की यह रणनीति ओबीसी केंद्रित राजनीति के रूप में दिखाई दे रही है। दरअसल बीजेपी जनता को संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस पार्टी भले ही ओबीसी की बात कर रही हो किंतु भारतीय जनता पार्टी उसे हक़ीक़त में करके दिखा रही है। बता दें की वर्तमान में 77 सदस्यों वाले मोदी मंत्रिमंडल में ही सबसे अधिक करीब 27 मंत्री ओबीसी वर्ग के हैं। इसके साथ ही बीजेपी की 303 लोकसभा सांसदों में भी कुल 85 ओबीसी सासंद हैं। 

जाटों की नाराजगी की होगी भरपाई:

बीजेपी की यह भी कोशिश है कि ओबीसी तथा दलित चेहरों को सामने लाकर तथा उसकी बदौलत प्रदेश में जाटों की नाराज़गी से होने वाले नुकसान की भी भरपाई की जा सकेगी।
दरअसल हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों में से करीब 40 सीटों पर वहां के जाटों का दबदबा रहता ही है। बताया जा रहा है कि बीते साल अक्टूबर महीने में बीजेपी के द्वारा ओपी धनखड़ को वहां से अध्यक्ष पद से हटा देने के बाद से ही जाट बेहद नाखुश नजर आए हैं।

इसके साथ ही कुछ महीने पहले ही हरियाणा के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष श्री अशोक तंवर ने भी बीजेपी का हाथ थामा था। जिसके बाद माना जा रहा था की तंवर के रूप में बीजेपी को अब प्रदेश में एक दलित चेहरा मिल गया हैं बता दें की हरियाणा की आबादी में दलितों की हिस्सेदारी करीब 20 फ़ीसदी है।

1967 के बाद अब मिला हरियाणा को OBC सीएम:

हरियाणा में ओबीसी की जनसंख्या करीब 33 प्रतिशत तक है। अतः देखें तो यह किसी भी चुनाव में राजनीतिक दलों की हार अथवा जीत का एक बड़ा कारण भी बनते हैं। भाजपा के द्वारा नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर जहां प्रदेश में ओबीसी जनता का समर्थन हासिल करने की कोशिश रहेगी, वहीं दूसरी तरफ मनोहर लाल के भी नेतृत्व में पंजाबियों को भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का भी काफी लाभ मिलने वाली इस संभावना से बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता।

बता दें की जब नवंबर, 1966 को पहली बार हरियाणा अस्तित्व में आया था। उसके बाद साल 1967 में पहली बार ओबीसी के रूप में राव बिरेंद्र सिंह के द्वारा हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री तथा ओबीसी वर्ग के पहले सीएम के तौर पर शपथ ली गई थी। तब से लेकर साल 2014 तक यहां कई अलग-अलग समुदाय के भी मुख्यमंत्री बने, किंतु ओबीसी का कोई भी व्यक्ति सीएम पद की कुर्सी तक नहीं पहुंच सका। अब ऐसा माना जा रहा है की नायब सिंह सैनी को भाजपा ने सीएम बनाकर प्रदेश की ओबीसी जनता को साधने और उनका भरोसा जीतने की कोशिश की है।

समझते हैं नायब सिंह का राजनीतिक करियर:

वर्तमान में हरियाणा के सीएम बनने वाले नायब सिंह सैनी पिछड़ा वर्ग से आते हैं। वे साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले विधायक भी रह चुके हैं। दरअसल साल 2014 में उन्होंने अंबाला जिले की नारायणगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। यह चुनाव नायब ने करीब 24 हजार से भी अधिक वोटों से जीता था। उसके बाद ही खट्टर सरकार में उनको मंत्री बनाया गया। 

जब साल 2019 का चुनाव आया तब पार्टी के द्वारा नायब को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई तथा कुरुक्षेत्र से उनको टिकट देकर सभी को चौंका दिया गया था। उस समय भी नायब सिंह चुनाव में जीत हासिल कर संगठन के भरोसे पर एकदम खरे उतरे। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उनको कुल 6 लाख 88 हजार 629 वोट मिले थे। उस समय उनके प्रतिद्वंदी रहे कांग्रेस के उम्मीदवार निर्मल सिंह तो आधे वोट भी नहीं पा सके थे। बता दें की निर्मल को सिर्फ 3 लाख 4 हजार 38 वोट ही मिल सके थे।

नायब को साल 2023 के अक्टूबर महीने में हरियाणा के नए प्रदेश अध्यक्ष का पद भी दिया गया। यानी देखा जाए तो 5 महीने बाद ही वे अब सीएम की कुर्सी की रेस तक भी पहुंच गए। इसलिए अब कहा जा रहा है कि बीजेपी ने अपने सभी राजनीतिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए ही सैनी को मुख्यमंत्री बना कर एक बड़ी जिम्मेदारी देने का फैसला किया है। बता दें की सैनी ओबीसी वर्ग से आते हैं तथा खट्टर के भी बेहद करीबी माने जाते हैं वर्तमान में नायब कुरुक्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं।

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