ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के द्वारा ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों में हो रही पानी की बर्बादी को रोकने के लिए अब अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर लगाने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि जल विभाग के द्वारा इस योजना पर तत्काल रूप से काम भी शुरू कर दिया गया है।
1 महीने तक चलेगा इसका ट्रायल, फिर अन्य सोसाइटियों में लगाए जायेगा:
वहीं पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-1 में स्थित वेलेंसिया होम्स तथा सेक्टर-10 में स्थित अरिहंत सोसाइटी में यह वाटर मीटर लगाया भी गया है। बता दें कि 1 महीने तक इसका ट्रायल चलेगा। वहीं ट्रायल सफल होने के पश्चात इसे शहर की अन्य सोसाइटियों में भी लगाया जाएगा।
आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ (CEO) एनजी रवि कुमार के द्वारा ग्रेटर नोएडावासियों से भी पानी की बचत करने की अपील की गई है। साथ ही इस पूरे प्रोजेक्ट में प्राधिकरण का साथ देने की भी अपील की गई है, ताकि जल्द ही मिलकर पानी की बर्बादी को रोक जा सके।
गंगाजल से की जा रही है पेयजल की आपूर्ति:
आपको बता दें कि गिरते भूजल स्तर को रोकने हेतु ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। प्राधिकरण सिंचाई के लिए एसटीपी (STP) के पानी का उपयोग कर रहा है। वहीं इसके लिए पेयजल की आपूर्ति गंगाजल से की जा रही है। वहीं अब यह मीटर लगाकर पानी की बर्बादी को रोकने के लिए एक सकारात्मक कदम बढ़ाया गया है।
CEO एनजी रवि कुमार ने दिए जल विभाग को निर्देश:
दरअसल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ (CEO) एनजी रवि कुमार के द्वारा जल विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं कि पानी की बचत के लिए प्रत्येक बल्क वाटर यूजर्स अर्थात ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के यहां पर पानी के मीटर जल्द से जल्द लगाए जाए।
साथ ही ग्रेटर नोएडा में लगभग 300 से अधिक सोसाइटियां मौजूद हैं। फिलहाल वेलेंसिया होम्स तथा अरिहंत सोसाइटी में ही यह अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लगाया गया है। वहीं 1 महीने के परीक्षण के पश्चात इसे अन्य सोसायटियों में भी लगाने का निर्णय लिया जाएगा।
आधुनिक उपकरणों से लैस होगा यह मीटर:
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ (ACEO) आशुतोष द्विवेदी के द्वारा यह बताया गया है कि यह सभी मीटर बैटरी से चलेंगे। साथ ही इसमें एक सिम कार्ड और सेंसर भी लगा होगा। जिससे प्राधिकरण को रियल टाइम डाटा प्राप्त हो सकेगा तथा इसके माध्यम से रियल टाइम मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी।
बता दें कि इस मीटर को डीआरडीओ (DRDO) तथा आईआईटी (IIT) चेन्नई के द्वारा मिलकर तैयार किया गया है। वहीं “धारा” नाम की कंपनी के द्वारा इसे लगाया जा रहा है। वहीं इससे अब पानी के खर्च के अनुसार ही बिल प्राप्त हो सकेगा।
समझते हैं कि क्या है धारा मीटर और कैसे करता है यह काम:
दरअसल धारा मीटर एक ऐसा उपकरण होता है जिसका उपयोग करके द्रव के प्रवाह के वेग को मापा जाता है। वहीं उसमें लगे सेंसर और सिम कार्ड के माध्यम से पानी के बहाव और पानी की जरूरत को भी मापा जा सकता है। जिसके माध्यम से हम उतना ही पानी उपयोग में ला सकते हैं, जितनी हमें वास्तव में जरूरत है।
आइए जानते हैं वेग और धारा मीटर में क्या है सम्बन्ध:
दरअसल वेग तथा धारा मीटर के द्वारा पूर्ण क्रांतियों के बीच एक संबंध स्थापित होता है। जिसके माध्यम से यह मीटर पानी के बहाव अथवा उसके वेज को मापता है।
V = a × N + b जहाँ पर V = m/s में वेग तथा N = 1 सेकंड में धारा मीटर के द्वारा किए गए क्रांतियों की संख्या होती है। जबकि a तथा b एक प्रकार के धारा मीटर स्थिरांक होते हैं।
बिजली नहीं मिलने की समस्या से हो रही थी प्रोजेक्ट में देरी:
इसके अतिरिक्त इसके लग जाने के बाद लोग अब जरूरत के हिसाब से ही पानी खर्च करेंगे। इस प्रकार पानी की बर्बादी को रोका जा सकेगा। हालांकि अभी तक एरिया के हिसाब से ही पानी का बिल जमा किया जाता है।
दरअसल इससे पहले भी कई बार वाटर मीटर लगाने का प्लान बना था, लेकिन मीटर को कहां से बिजली मिलेगी, यह परेशानी प्राधिकरण के सामने आ रही थी। जिस वजह से इस प्रोजेक्ट में देरी हो रही थी।