ग्रेटर नोएडा ब्रेकिंग: उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े घोटाले का हुआ पर्दाफाश, ग्रेनो प्राधिकरण के अधिकारियों की मिली भगत आई सामने
ग्रेटर नोएडा  ब्रेकिंग

प्राधिकरणो के बारे में शीर्ष अदालत ने एक टिप्पणी करते हुए उन्हें भ्रष्टाचार का अड्डा कहा था। जो वाकई में सच साबित होता दिखाई देता है। नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों में न जाने कितने घोटाले सामने आ चुके हैं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का यह वक्तव्य एकदम सटीक लगता है।

जानते हैं हालिया मामला:

दरअसल हाल ही में ग्रेटर नोएडा में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जमीन घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। जिसमे प्राधिकरण के अधिकारियों की भी मिली भगत सामने आई है। आपको बता दें कि इस घोटाले में तत्कालीन अधिकारियों के द्वारा साल 2016 से लेकर 2023 के बीच कालोनाइजरों के साथ मिलकर बिसरख तथा जलपुरा एवं हैबतपुर गांव में प्राधिकरण की करीब तीन लाख वर्ग मीटर भूमि पर अवैध कॉलोनी तथा विला बनवा दिए गए हैं।

हैरान कर देने वाली बात यह है की इस जमीन की कीमत बाजार में दो हजार करोड़ रुपये से भी अधिक बताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक खराब है की इस घोटाले के बदले में प्राधिकरण के अधिकारियों को भी करीबन 100 करोड़ से भी अधिक रुपये मिलें है तथा इसकी बंदरबांट निचले स्तर से होते हुए ऊपर तक हुई है। बिसरख गांव के एक खसरा नंबर 773 का अधिग्रहण साल 2010 में हुआ।

पॉश जगह होने की वजह से इसकी 51 हजार वर्ग मीटर भूमि को लेने के लिए करीब 15 बिल्डर, तीन अस्पताल संचालक तथा पांच अन्य संस्थाओं के द्वारा कई बार प्राधिकरण में आवेदन भी किए गए, किंतु प्राधिकरण के अधिकारियों ने उन्हें यह जमीन आवंटित नहीं की थी।

लंबे समय से छोड़ रखी थी खाली जमीन

प्राधिकरण ने साल 2010 से 2023 के बीच करीब 13 साल के लंबे समय में जमीन का आवंटन किसी भी संस्था को नहीं किया बल्कि उसे ऐसे ही छोड़े रखा, जिस वजह से प्राधिकरण अधिकारियों पर  सवालिया निशान खड़े होते है। सूत्रों का यह भी कहना है कि कालोनाइजरों के साथ अधिकारियों के सांठगांठ होने की वजह से ही इस जमीन का अब तक आवंटन नहीं किया गया था।

प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों के द्वारा कालोनाइजरों को उक्त भूमि पर विला तथा कालोनी बसाने के लिए भरपूर समय दिया गया था। साल 2016 से लेकर 2023 के मध्य तक कोलोनाइजर विला बनाते रहें लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों ने कोई भी कार्रवाई नहीं की।

एक भी जगह नहीं हटाया अवैध निर्माण:

प्राधिकरण की भविष्य में गर्दन न फंसे इसके लिए धारा-10 का नोटिस तथा थाने में ऐसी ही धारा जिसका कोई भी भय न हो, धारा 188 व 447 में ही मामला दर्ज कराया गया था। आपको बता दें कि इन सभी धाराओं में मामले के दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर ही अवैध निर्माण को हटाकर वहां यथस्थिति बनाने का प्रावधान है।

घोटालों के जिन मामलों में FIR हुई है उनमें एक भी जगह अवैध निर्माण को नहीं हटाया गया है। क्योंकि इन धाराओं में मात्र जुर्माना तथा तीन माह की सजा का ही प्रविधान है। प्राधिकरण के अधिकारियों ने FIR में इसलिए ही यह धाराएं जानबूझकर लिखवाई हैं ताकि कालोनाइजरों पर कोई भी कार्रवाई न हो सकें।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही बिसरख के एक व्यक्ति ने इस पूरे मामले की शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखकर की थी, जिसके बाद ही जांच हुई थी और जांच में सभी आरोप सहीं पाए गए हैं।

प्राधिकरण को करीब दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान:

बिसरख, जलपुरा तथा हैबतपुर गांव में प्राधिकरण की जिस भूमि पर अवैध विला तथा कालोनी बनी हैं। बता दें के उस जमीन की बाजार में इस समय कीमत करीब सवा लाख से लेकर डेढ़ लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर तक है। जमीन को यदि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसी बिल्डर या किसी अन्य संस्था को आवंटित कर देता तो प्राधिकरण के करीब दो हजार करोड़ रुपये का फायदा हो सकता था।

प्राधिकरण को कर्ज चुकाने में मिलती काफी मदद:

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर साल 2014 से करीब 6500 करोड़ रुपये का भारीभरकम कर्ज है। प्राधिकरण बिसरख, जलपुरा तथा हैबतपुर गांव की जमीन का आवंटन बिल्डर अथवा किसी अन्य को संस्था को कर देता तो उससे मिलने वाले धन से उस कर्ज को उतारा जा सकता था। किंतु प्राधिकरण के किसी भी अधिकारी का ध्यान इस तरफ नहीं गया।

800 करोड़ रुपये में खरीदी थी जमीन:

जिस जमीन पर विला तथा अवैध कालोनी बसी हुई है, प्राधिकरण ने उसको जलपुरा गांव में 300 करोड़ तथा हैबतपुर में 100 करोड़ एवं बिसरख गांव में 400 करोड़ रुपये में किसानों के द्वारा खरीदा था। प्राधिकरण को अब यह जमीन न मिलने की वजह से खरीदी गई भूमि तथा इस धनराशि की भी हानि हुई है। कुल मिलाकर देखें तो प्राधिकरण को करीबन 2800 करोड़ रुपये के राजस्व की भारी हानि हुई है।
 

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