ग्रेटर नोएडा: SC/ST आरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में आज यानि 21 अगस्त को पूरे देश में भारत बंद का आयोजन किया जा रहा है। वहीं आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा आह्वान किए जाने पर भारत बंद के दौरान यूपी के नोएडा-ग्रेटर तथा नोएडा में भी बंद का आयोजन किया गया। हालांकि यहां पर कोई विशेष असर नहीं दिखाई दिया।
वहीं कई राजनीतिक दलों तथा दलित संगठनों के द्वारा सूरजपुर स्थित कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। बता दें कि बंद के मद्देनजर पुलिस के द्वारा सुरक्षा के काफी कड़े प्रबंध भी किए गए थे।
ग्रेटर नोएडा में पुलिस रही अलर्ट मोड पर:
बता दें कि भारत बंद के मद्देनजर गौतमबुद्ध नगर जिले में भरी संख्या में पुलिस अलर्ट मोड में है। वहीं सभी संवेदनशील स्थानों के अतिरिक्त प्रमुख भीड़-भाड़ वाले बाजारों, माल, मार्केट, बस अड्डों तथा मेट्रो स्टेशनों पर भी पुलिस बल तैनात किए गए थे।
वहीं ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, शिव हरी मीणा के द्वारा पुलिस बल के साथ सेक्टर 18 के मार्केट में पैदल मार्च भी निकाला गया तथा सुरक्षा व्यवस्था को भी परखा गया।
इसके अतिरिक्त मेट्रो स्टेशन तथा बस स्टॉप की भी निगरानी रखी जा रही है। लेकिन भारत बंद का ग्रेटर नोएडा में कोई असर नही दिख रहा है।
भारत बंद को कई राजनीतिक दलों का मिला समर्थन:
बता दें कि दलित संगठनों के द्वारा किए जा रहे भारत बंद को कई राजनीतिक पार्टी के द्वारा भी समर्थन मिल रहा है। जिसमे प्रमुख रूप से समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा कांग्रेस के द्वारा भी समर्थन देने की घोषणा की गई है।
दलों के नेता और कार्यकर्ता पहुंचे सूरजपुर कलेक्ट्रेट:
वहीं राजनीतिक दलों के नेता तथा कार्यकर्ता भी भारी संख्या में सूरजपुर स्थित कलेक्ट्रेट पहुंचे हैं तथा प्रदर्शन कार्यों का समर्थन भी किया। बता दें कि प्रदर्शन में भीम आर्मी तथा आजाद समाज पार्टी के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के भी कार्यकर्ता शामिल रहे।
जिसके बाद प्रदर्शन को देखते हुए कलेक्ट्रेट ऑफिस में भी भारी पुलिस फोर्स बल को तैनात किया गया था। जिसके बाद दलित संगठनों तथा कई बड़े नेताओं के द्वारा राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन भी सौंपा गया है।
आखिर क्या है सरकार से मांग:
दरअसल आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा एससी/एसटी आरक्षण पर शीर्ष कोर्ट के फैसले के विरोध में ही देशव्यापी प्रदर्शन किया जा रहा है।
वहीं समिति की यह मांग है कि सरकार जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करे। क्योंकि कोर्ट का यह फैसला अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों के लिए एक बड़ा खतरा है।
इसके अतिरिक्त समिति के द्वारा SC/ST आरक्षण पर संसद में एक नए कानून को पारित करने की भी मांग की जा रही है। साथ ही उस कानून को संविधान की नवीं अनुसूची में संरक्षित करने की मांग भी की जा रही है।