उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में बीते 4 जनवरी को गौर यमुना सिटी में दर्जनों किसान संगठनों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में 10 प्रतिशत विकसित प्लॉट तथा भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अंतर्गत सभी लाभ एवं आंदोलन के दौरान जेल भेजे गए सभी किसानों के मसलों को लेकर भविष्य की रणनीति तय की गई है। वहीं आगामी 7 जनवरी को जिला प्रशासन तथा प्राधिकरणों के साथ होने वाली वार्ता की भी रूपरेखा को बैठक में तैयार किया गया है
लोगों को दी गई हैं कई जिम्मेदारियां:
वहीं इस बैठक में शामिल सभी किसान संगठनों के पदाधिकारियों के द्वारा आंदोलन को और अधिक सशक्त बनाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही बैठक में आंदोलन के दौरान जेल गए सभी किसानों की वर्तमान परिस्थितियों की भी समीक्षा की गई है। इसके अतिरिक्त भविष्य में आंदोलन को और अधिक मजबूत कैसे किया जा सकता है, इसको लेकर भी कई जिम्मेदारियां तय की गई हैं। इसके अंतर्गत कई कार्यों के लिए कमेटियों का भी गठन किया गया।
आइए जानते हैं कि आखिर क्या हैं किसानों की मांगें:
दरअसल बैठक में किसान संगठनों के द्वारा 10% विकसित प्लॉट तथा भूमि अधिग्रहण कानून साल 2013 के सभी लाभ एवं किसानों के अधिकारों की रक्षा को प्रमुख मुद्दा बनाकर वार्ता की तैयारी की गई है। आपको बता दें कि आने वाली 7 जनवरी की तारीख को जिला प्रशासन तथा प्राधिकरणों के उच्च अधिकारियों के साथ इस संबंध में वार्ता भी आयोजित की जाएगी। इसको लेकर भी सभी में सहमति बनी है।
कई किसान संगठन हुए एकजुट:
बता दें कि इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन टिकैत तथा भारतीय किसान यूनियन महात्मा टिकैत समेत कई किसान संगठन एकजुट हुए हैं। जैसे भारतीय किसान यूनियन अजगर, भारतीय किसान यूनियन संपूर्ण भारत,भारतीय किसान यूनियन कृषक शक्ति, भारतीय किसान यूनियन मंच, भारतीय किसान यूनियन अखंड संगठन के द्वारा हिस्स लिया गया।इसके साथ ही भारतीय किसान यूनियन भानू, भारतीय किसान यूनियन एकता, किसान एकता महासंघ, जय जवान जय किसान मोर्चा, किसान मजदूर संघर्ष जंबो मोर्चा तथा सिस्टम सुधार संगठन किसान आगरा समेत अन्य कई संगठनों के द्वारा भी हिस्सा लिया गया है।
किसान आंदोलन को एक नई दिशा देने का लिया गया संकल्प:
बैठक में सभी संगठनों के द्वारा एक स्वर में किसान आंदोलन को मजबूत करने तथा पहले से अधिक प्रभावी बनाने का संकल्प लिया गया है। साथ हु नेताओं के द्वारा यह कहा गया है कि किसान समुदाय के अधिकारों एवं उनके लाभों के लिए यह संघर्ष जारी रहेगा।साथ ही किसानों का यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं हैं। बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा सरकार तथा प्राधिकरणों से वार्ता में सकारात्मक रवैया को अपनाने की भी अपील की गई है।