ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश का ग्रेटर नोएडा शहर अब विश्वपटल पर औद्योगिक हब के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। वहीं पिछले 10 वर्षों में कई बड़ी बड़ी नई औद्योगिक इकाइयां भी स्थापित हुई हैं।
वहीं दिल्ली से सटे होने की वजह से भी यहां नए सेक्टर तथा सोसायटियों के साथ साथ कई गांवों का भी विस्तार हुआ है। बता दें कि शहर की आबादी भी अब पहले से कई गुना बढ़ गई है। वहीं शहर में NPCL यानि नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड के कंधों पर बिजली आपूर्ति की भी जिम्मेदारी है।
आइए जानते हैं बातचीत के महत्वपूर्ण बिंदु:
बता दें कि बिजली चोरों पर नकेल कसने तथा प्रत्येक उपभोक्ता तक उसकी जरूरत के अनुरूप वहां तक बिजली पहुंचाने को लेकर भी NPCL की क्या रणनीति है? इसको लेकर NPCL के वरिष्ठ वाइस प्रेसिडेंट आपरेशन सारनाथ गांगुली ने मीडिया से बातचीत की है।
सवाल: वर्तमान में बिजली की खपत कई गुना बढ़ गई है। इसलिए आए दिन ग्रामीण अंचलों से लेकर कई सेक्टर तथा सोसायटियों में बिजली कटौती से सारे लोग जूझ रहे हैं। अतः बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो सके, इसके लिए आपकी क्या रणनीति है?
जवाब: सारनाथ गांगुली ने बताया कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। ग्रेटर नोएडा के सभी इलाकों में NPCL की तरफ से खपत के हिसाब से लगातार बिजली आपूर्ति की जा रही है। यदि किसी भी इलाके में कोई फाल्ट आता भी है तो उसे NPCL की टीम के द्वारा तत्काल दुरुस्त किया जाता है।
सवाल: ऐसा देखा गया है कि कई सोसायटियों में प्रीपेड मीटर के द्वारा मेंटेनेंस चार्ज वसूला जा रहा है। AOA अथवा बिल्डर प्रबंधन के द्वारा बिजली के नाम पर मोटा शुल्क निवासियों से वसूला जा रहा है, इसके लिए आप क्या कहेंगे?
जवाब: उन्होंने बताया कि यदि ऐसा हो रहा है तो यह बिल्कुल भी गलत है। लोग इसकी शिकायत बिल्डर अथवा AOA के खिलाफ पुलिस या नियामक आयोग में जाकर करें।
सवाल: नियामक आयोग के द्वारा सोसायटियों में मल्टी प्वाइंट कनेक्शन देने के लिए निर्देश दिए थे। क्या आप बता सकते हैं कि कितनी सोसायटियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में बदलाव करके मल्टी प्वांइट कनेक्शन दिए गए हैं?
जवाब: UPERC यानि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के आदेशानुसार ही मल्टी प्वाइंट कनेक्शन को लेकर NPCL की तरफ से सभी सोसायटियों में सर्वे भी किया जा रहा है। यह प्रक्रिया सितंबर तक पूरी हो जाएगी। वहीं जिन सोसायटियों में 51 प्रतिशत लोगों के द्वारा सहमति मिल जाएगी, वहां पर हम मल्टी प्वाइंट कनेक्शन देने का काम भी शुरू कर देंगे।
सवाल: बिजली चोरी पकड़ने के पश्चात जुर्माना लगाने का क्या मानक है। लोगों का यह आरोप है कि उन्हें भुगतान करने के बाद रसीद भी मुहैया नहीं कराई जाती है। इस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब: सारनाथ गांगुली ने कहा कि ऐसा नहीं है। बिजली चोरी हेतु पकड़े जाने के पश्चात विद्युत नियामक आयोग के यूपी विद्युत आचार संहिता, 2005 के नियम के मुताबिक ही बिल बनाया जाता है। वहीं चोरी पकड़ने के दौरान ही सबूत के तौर पर वीडियोग्राफी भी कराई जाती है। साथ ही भुगतान के पश्चात रसीद भी मुहैया कराई जाती है। वहीं अब लोग आनलाइन भी भुगतान कर सकते हैं।
सवाल: डूब क्षेत्र तथा अवैध कालोनियों में लगातार कनेक्शन दिए जा रहे हैं, जबकि प्राधिकरण से NOC ली जानी चाहिए। अतः बिजली कनेक्शन दिए जाने का मानक क्या है?
जवाब: फिलहाल तो डूब क्षेत्र में कोई भी कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है। वहीं कालोनियों में बिजली कनेक्शन देने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से NOC भी मांगी जा रही है, जिसके पश्चात ही कोई निर्णय लिया जाता है।
सवाल: हालही में घरबरा बिजली सब स्टेशन को लेकर हुआ विवाद सुलझा अथवा नहीं?
जवाब: फिलहाल यह मामला अपीलैट में लंबित है।
सवाल: बिजली चोरी को रोकने के लिए आपकी रणनीति क्या है?
जवाब: बिजली चोरी पर लगाम कसने के लिए ठोस रणनीति अख्तियार की गई है। दरअसल अब हम एडवांस मीटर डाटा एनालिसिस के माध्यम से बिजली चोरों को पकड़ रहे हैं। वहीं सभी ट्रांसफार्मरों पर डाटा स्टोर करने वाले संयंत्र भी लगाए गए हैं।
सवाल: एनपीसीएल की टीम के द्वारा रात में छापेमारी की जाती है, ऐसा क्यो है?
जवाब: फिलहाल ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है। टीम के द्वारा कभी भी रात में कोई छापेमारी नहीं की जाती है। हालांकि शिकायत मिलने पर ही टीम की तरफ से जांच करके सुबह के समय वहां छापेमारी की जाती है। वहीं जांच के दौरान भी टीम के सदस्य घरों के अंदर प्रवेश भी नहीं करते हैं।
सवाल: आप अपने सभी उपभोक्ताओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब: हम ग्रेटर नोएडा में करीब 335 वर्ग किमी में कुल 118 गांवों के साथ सभी सेक्टर तथा हाइराइज सोसायटियों के अतिरिक्त शिक्षण संस्थान एवं औद्योगिक इकाइयों में भी लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
वहीं उपभोक्ताओं से यह अपील भी है कि बिजली चोरी बिल्कुल भी नहीं करें। साथ ही चोरी की तत्काल ही सूचना दें। वहीं अवैध तरीके से तारों को जोड़कर बिजली चोरी करने के कारण लीकेज हो जाने से आमजनों की भी जान खतरे में पड़ सकती है। इस वजह से ईमानदार उपभोक्ताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।