ग्रेटर नोएडा: आज यानि रविवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में 136वीं बोर्ड बैठक आयोजित की गई जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए यथा अब नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तथा यमुना प्राधिकरण में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की पॉलिसी एक समान होगी। जिसके लिए तीनों प्राधिकरणों की ओर से सार्क एंड एसोसिएट्स को ज़िम्मेदारी सौंपी दी गई है।
बैठक में कई बड़े अफसर भी रहे मौजूद:
आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन तथा प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में ही बोर्ड की 136वीं बोर्ड बैठक संपन्न हुई जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के CEO एनजी रवि कुमार, नोएडा प्राधिकरण के CEO डॉ. एम लोकेश तथा यमुना प्राधिकरण के CEO डॉ.अरुणवीर सिंह मौजूद रहे।इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ACEO सौम्य श्रीवास्तव, ACEO आशुतोष द्विवेदी, ACEO सुनील कुमार सिंह, ACEO प्रेरणा सिंह तथा ACEO श्री वीएस लक्ष्मी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
बायर्स के हित सुरक्षित, उपलब्ध हो सकेगा एक लीगल डॉक्यूमेंट
बता दें कि इस बोर्ड बैठक में ग्रेटर नोएडा के फ्लैट-खरीदारों तथा निवासियों के लिए भी कई अहम फैसले लिए गए हैं। जिनमेें एग्रीमेंट टू सेल को भी अब पंजीकृत/रजिस्टर्ड कराने वाला फैसला भी शामिल है। दरअसल फ्लैट बायर्स की तरफ से लगातार यह मांग की जाती रही हैं कि खरीदार की ओर से 10 प्रतिशत का भुगतान करने पर बिल्डर तथा बायर के बीच में होने वाले एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड (एग्रीमेंट टू सेल) कराने की अनुमति भी प्रदान की जाए, जिससे बायर्स के पास में स्टार्टिंग से कम से कम एक लीगल डॉक्यूमेंट तो उपलब्ध हो सके जो भविष्य में खासकर बिल्डर की मनमानी से सुरक्षित कर सके।
राजस्व बढ़ोतरी और एग्रीमेंट टू सेल के दौरान स्टांप ड्यूटी के भुगतान की बाध्यता
बता दें कि एग्रीमेंट टू सेल के दौरान ही खरीदार को स्टांप ड्यूटी का पूरा पेमेंट करना होगा। बाद में फ्लैट पर पजेशन मिलते ही एक 100 रुपये के स्टांप पर रजिस्ट्री भी हो जाएगी। दरअसल अब लीगल डॉक्यूमेंट होने की वजह से कोई भी बिल्डर किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं कर पाएगा। इसके साथ ही रजिस्ट्री विभाग को भी स्टांप ड्यूटी अब समय से मिल जाएगी। बता दें कि अभी तक फ्लैट की पूरी कीमत का भुगतान होने के बाद रजिस्ट्री हो पाती है।
अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों ने फूंकी रियल एस्टेट में नई जान
इसके साथ ही आपको बता दें कि अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों पर ही आधारित नई पॉलिसी के द्वारा रियल एस्टेट के क्षेत्र में नई जान आ गई है। बता दें कि अब तक करीब 73 बिल्डर परियोजनाओं को इस पैकेज का पूरा लाभ मिल चुका है जिससे हजारों खरीदारों के अपने घर का सपना साकार होने का रास्ता भी साफ हुआ है।
करीब 547 करोड़ रुपये की प्राप्त हुई बकाया राशि
प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन सभी परियोजनाओं में कुल 62,912 फ्लैट्स शामिल हैं। जिनमें से करीब 30,477 फ्लैट्स की रजिस्ट्री भी पूरी हो चुकी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फरवरी 2024 से लेकर अब तक तकरीबन 8,100 से भी अधिक फ्लैट्स की रजिस्ट्री का काम सम्पन्न किया जा चुका है।
वहीं नई पॉलिसी के अंतर्गत कुल 98 प्रोजेक्ट्स पात्र पाए गए थे। इनमें से करीब 73 परियोजनाओं के बिल्डरों द्वारा 25 प्रतिशत धनराशि भी जमा करा दी गई है जिससे प्राधिकरण को तकरीबन 547 करोड़ रुपये की बकाया राशि भी प्राप्त हुई है। साथ ही आने वाले 1 वर्ष में प्राधिकरण को करीब 1,300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि भी प्राप्त होने की संभावना जताई गई है। वहीं करीब 38,661 फ्लैट्स के लिए कार्यपूर्ति प्रमाणपत्र भी जारी किया जा चुका है तथा शेष यूनिट्स के लिए यह प्रक्रिया लगातार जारी है।
साल 2025 तक रजिस्ट्री पूरा करने का है लक्ष्य
आपको बता दें कि प्राधिकरण के द्वारा मार्च 2025 तक सभी पात्र फ्लैट्स की रजिस्ट्री का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही विशेष राहत देते हुए बोर्ड के द्वारा उन 7 बिल्डरों को भी इसकी अनुमति प्रदान कर दी गई है जिन्होंने निर्धारित 60 दिनों के पश्चात 25 प्रतिशत धनराशि जमा कराई है। बता दें कि यह निर्णय घर खरीदारों के हित में ही लिया गया है।
सीनियर सिटीजन सोसायटी के करीबन 845 फ्लैट खरीदारों को भी मिल सकेगा उनका मालिकाना हक
बता दें कि ग्रेनो प्राधिकरण बोर्ड के द्वारा सीनियर सिटीजन सोसाइटी में अपना घर खरीदने वाले मूल आवंटी के अतिरिक्त सब्सीक्वेंट मेंबर्स को भी काफी राहत प्रदान की गई है। अब ऐसे सभी खरीदारों के नाम भी फ्लैट की रजिस्ट्री की जा सकेगी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड के द्वारा इस आशय के प्रस्ताव पर भी अपनी सहमति दे दी गई है। इस सोसाइटी में कुल मिलाकर 845 फ्लैट हैं जिनमें से करीब 190 फ्लैटों की रजिस्ट्री भी हो चुकी है। वहीं प्राधिकरण की तरफ से सोसाइटी परिसर में ही एक शिविर लगाकर रजिस्ट्री कराई जा रही है।
विवादों के चलते 27 वर्षों से नहीं हो पाई थी लीज डीड
आपको बता दें कि सीनियर सिटीजन सोसाइटी के नाम पर ग्रेटर नोएडा के P-4, बिल्डर्स एरिया में साल 1997 में भूखंड दिया गया था। विवादों के चलते ही करीब 27 वर्षों तक इसकी कार्यपूर्ति नहीं हो पाने के कारण इसके सभी सदस्यों के पक्ष में लीज डीड भी नहीं हो पाई है। वहीं इस पूरे प्रकरण को मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के पश्चात तथा प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह एवं CEO एनजी रवि कुमार के प्रयास से ही विगत वर्ष मार्च 2024 से इसकी रजिस्ट्री भी प्रारंभ हो सकी है।
दिसंबर माह के अंत तक सभी 58 सेक्टरों में होगी गंगाजल की आपूर्ति:
बता दें कि जल विभाग की तरफ से गंगाजल की ताजा स्थिति से भी ग्रेनो प्राधिकरण बोर्ड को अवगत कराया गया। जिसके अनुसार कारण 85 क्यूसेक गंगाजल परियोजना के अंतर्गत कुल 58 आवासीय सेक्टरों में से अब तक तकरीबन 50 सेक्टरों में गंगाजल की आपूर्ति भी की जा रही है। इस वर्ष के अंत तक सभी यानि 58 सेक्टरों में गंगाजल की आपूर्ति भी शुरू कर दी जाएगी। वहीं, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में भी जल्द ही गंगाजल पहुंचाने की योजना पर लगातार काम किया जा रहा है। अर्थात जल्द ही वहां पर भी गंगाजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।वहीं ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेें 3 रिजर्वायर तथा ग्रेटर नोएडा ईस्ट में 1 रिजर्वायर बनाने के लिए भी टेंडर जारी कर दिया गया है। वहीं टेंडर स्वीकृत होने के पश्चात रिजर्वायर बनाने का काम भी चल रहा है। इस वर्ष के अंत तक यह सभी रिजर्वायर बन जाने की पूरी उम्मीद है।
तीनों प्राधिकरणों में अब औद्योगिक भूखंड आवंटन की पॉलिसी होगी एक समान:
आपको बता दें कि बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णयों में यह कहा गया कि नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तथा यमुना प्राधिकरण तीनों में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की पॉलिसी अब एक समान होगी। दरअसल तीनों प्राधिकरणों की ओर से सार्क एंड एसोसिएट्स को इस काम की जिम्मदारी भी सौंप दी गई थी। इससे पहले SOP यानि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर को तैयार करने के लिए भी तीनों प्राधिकरणों की एक समिति बनाई गई थी।बता दें कि इसकी बैठक में तीनों प्राधिकरणों के वित्त नियंत्रक एवं महाप्रबंधक की भी बैठक हुई थी, जिसके आधार पर ही आवंटन की अर्हता, लीज रेंट तथा अन्य सभी प्रक्रियाओं के संबंध में एकरूपता लाने वाले इस विचार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड के द्वारा बैठक में मंजूरी दे दी गई है।