गौतमबुद्ध नगर: गाजियाबाद में जिला जज की तत्काल रूप से बर्खास्तगी तथा पुलिस की कथित तानाशाही के विरोध में आज गौतमबुद्ध नगर जिले के वकीलों के द्वारा भी हड़ताल का ऐलान किया गया है।
आपको बता दें कि यह विरोध प्रदर्शन पूरे प्रदेश के कई शहरों में चल रहे आंदोलन का ही एक हिस्सा है।
सूरजपुर जिला न्यायालय के बाहर किया रोड जाम:
दरअसल लाठी चार्ज के इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर गौतमबुद्धनगर बार एसोसिएशन के द्वारा भी हड़ताल की जा रही है। जिसके अंतर्गत अधिवक्ताओं के द्वारा सूरजपुर जिला न्यायालय के बाहर प्रदर्शन करके रोड को जाम किया गया है और कार्रवाई की मांग की जा रही है। जिसको देखते हुए वहां सुरक्षा में भारी पुलिस बल भी तैनात की गई है।
पुलिस प्रशासन हाय-हाय" के लगाए गए नारे:
आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर दीवानी तथा फौजदारी बार एसोसिएशन के सैकड़ों वकीलों के द्वारा कोर्ट परिसर के सामने ही सड़क पर एकत्र होकर अपना विरोध भी दर्ज किया गया है। वहीं बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के नेतृत्व में वकीलों के द्वारा सड़क पर बैठकर "पुलिस प्रशासन हाय-हाय" के नारे भी लगाए गए हैं। जिससे पूरे क्षेत्र में यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हुई है।
करीब 22 जिलों के वकील कर रहे हैं हड़ताल:
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के करीब 22 जिलों में आज से वकीलों के द्वारा बेमियादी हड़ताल शुरू की गई है। इसके साथ ही सभी वकीलों के द्वारा आंदोलन का पैटर्न बदलते हुए आज यानि सोमवार को तमाम जिला मुख्यालयों पर जाम भी लगाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त गाजियाबाद जिला मुख्यालय के बाहर भी हापुड़ रोड पर वकीलों के द्वारा जाम लगा दिया गया है।
वहीं ट्रैफिक पुलिस के द्वारा पुराने बस अड्डे समेत हापुड़ चुंगी से सभी वाहनों को डायवर्ट कर दिया गया है। बता दें कि वकील 29 अक्टूबर को कोर्ट रूम में हुए लाठीचार्ज के मामले में जिला जज अनिल कुमार को तत्काल रूप से बर्खास्त करने तथा दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।
शुक्रवार को किया गया था ऐलान:
आपको बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं के द्वारा बीते शुक्रवार को ही गाजियाबाद में बैठक के दौरान कुल 22 जिलों में रोजाना हर डिस्ट्रिक्ट में एक सड़क जाम करने का ऐसा निर्णय लिया गया था।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें कि बीते 4 नवंबर से शुरू हुए इस आंदोलन में अब तक वेस्ट यूपी के अधिवक्ता के द्वारा केवल 4 तथा 8 नवंबर को ही हड़ताल पर गए थे, जबकि गाजियाबाद के अधिवक्ता दिवाली के पश्चात अभी तक काम पर नहीं लौट पाए हैं।
आखिर क्या है पूरा मामला:
दरअसल बीती 29 अक्टूबर की तारीख को गाजियाबाद जिला जज अनिल कुमार की अदालत में वकीलों के साथ हुई तीखी नोंकझोक के पश्चात पुलिस के द्वारा वकीलों पर लाठीचार्ज कर दिया गया था। जिसके बाद कोर्ट रूम में लाठीचार्ज के पश्चात गाजियाबाद समेत पूरे प्रदेश तथा यहां तक की दिल्ली के अधिवक्ता भी बेहद आक्रोशित हो गए।
वहीं मामले को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के साथ साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन एवं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के द्वारा भी बेहद गंभीरता से लिया गया था। वहीं इस घटना के विरोध में वकील 4 नवंबर से ही हड़ताल पर बने हुए हैं।
अधिवक्ताओं ने काम का बहिष्कार कर मनाया विरोध दिवस:
आपको बता दें कि गाजियाबाद के अधिवक्ताओं के समर्थन में ही पहले दिन से पूरे प्रदेश के अधिवक्ताओं के द्वारा काम का बहिष्कार करके विरोध दिवस भी मनाया गया।
वहीं अब विरोध दिवस में इलाहाबाद हाई कोर्ट समेत लखनऊ बैंच तथा दिल्ली के जिला बार एसोसिएशन के द्वारा भी काम से विरत रहा गया। साथ ही गाजियाबाद के वकील भी उसी दिन से हड़ताल करके धरने पर बैठे हुए हैं।
गाजियाबाद बार एसोसिएशन के द्वारा किया जा रहा आंदोलन को लीड:
दरअसल गाजियाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा के द्वारा यह बताया गया है कि बीते शुक्रवार को गाजियाबाद तथा गौतमबुद्धनगर समेत बुलंदशहर, अलीगढ़, हापुड़, मेरठ, अमरोहा तथा मुरादाबाद सहित तकरीबन 22 जिलों के अधिवक्ताओं के द्वारा बेमियादी हड़ताल पर जाने एवं रोजाना दोपहर करीब 12 बजे से 2 बजे तक सड़क जाम करने का भी निर्णय लिया गया है।
16 नवंबर को बुलाया गया है वकीलों का एक बड़ा सम्मेलन:
वहीं अधिवक्ता आज से ही सभी 22 जिलों में मुख्यालय पर सड़क जाम कर रहे हैं। उन्होंने आगे यह भी बताया कि गाजियाबाद बार एसोसिएशन के द्वारा ही इस पूरे आंदोलन का नेतृत्व किया जा रहा है।
दरअसल गाजियाबाद में 16 नवंबर की तारीख को वकीलों का एक बड़ा सम्मेलन बुलाया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त दिल्ली, हरियाणा तथा राजस्थान समेत पंजाब के अधिवक्ता भी शामिल रहेंगे।
जिला जज को हटाने तक जारी रहेगा यह आंदोलन:
इसके साथ ही गाजियाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा के द्वारा यह भी कहा गया है कि गाजियाबाद के जिला जज अनिल कुमार को तुरंत हटाया जाए, अन्यथा तब तक वकीलों का यह आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा। वहीं जरूरत पड़ने पर आंदोलन के दायरे को बढ़ाया भी जा सकता है।
वकीलों के आंदोलन को 1 सप्ताह का समय फिलहाल पूरा हो चुका है। एक सप्ताह के समय गाजियाबाद कचहरी में वकील प्रतिदिन धरने पर जा रहे हैं। इस दौरान कोर्ट तो खुली रही हैं, लेकिन किसी भी मामले की सुनवाई नहीं हो पा रही है। वकीलों के पेश नहीं होने के कारण वादकारियों को कोर्ट में सिर्फ तारीख ही मिल रही है।