गौतम बुद्ध नगर: पूर्व घोषित 3 जुलाई को प्रदर्शन के मद्देनजर अपनी मांगों को लेकर आज बडी संख्या में किसानों ने ग्रेटर नोएडा कलेक्ट्रेट ऑफिस पर प्रदर्शन किया, जहां कलेक्ट्रेट परिसर में प्रवेश को लेकर पुलिस तथा किसानों के बीच धक्का मुक्की शुरू हो गई।
दरअसल किसान नेताओं के द्वारा प्रेस वार्ता के माध्यम से इसकी जानकारी दी गई थी कि आज भारतीय किसान परिषद के द्वारा ग्रेटर नोएडा जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया जाएगा।
बता दें कि किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण समेत नोएडा प्राधिकरण तथा दादरी NTPC से नाराज है। दरअसल 10% प्लॉट तथा बढ़े हुए मुआवजे की मांग के साथ आबादी पूर्ण निस्तारण एवं दादरी NTPC से प्रभावित किसानों को रोजगार मिलना जैसे मुख्य मुद्दे केन्द्र में रहे है जिन पर प्रभावशाली कार्यवाही अपेक्षित हैं।
जानते हैं क्या हुआ है आज
बता दें कि प्रेस वार्ता के द्वारा इसकी जानकारी दी गई थी कि प्रदर्शन में हजारों की संख्या में किसान जुटने वाले हैं और वह कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे जिसके बाद प्रशासन के द्वारा वहां की सुरक्षा को चाक चौबंद कर दिया गया।
वहीं आज जब भारी संख्या में किसान वहां धरना प्रदर्शन करने पहुंचे तो थोड़ी देर बाद ही किसान और पुलिस के बीच धक्का मुक्की शुरू हो गई, देखते ही देखते किसानों ने बैरीकेडिंग तोड़ दी और अंदर घुस गए।
अगर देखा जाए तो एक तरह से ग्रेटर नोएडा जिला कलेक्ट्रेट पर किसानों के द्वारा कब्जा तो वही मामले की सूचना मिलने पर भारी संख्या में आला अधिकारियों समेत पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। बता दें कि ज्वाइंट सीपी शिवहरि मीणा स्वयं किसानों को समझाने में जुटे हुए हैं।
हाई पावर समिति का हुआ था गठन
दरअसल बीते 21 फरवरी 2024 को किसान आंदोलन के परिणामस्वरूप प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा अधिग्रहण से प्रभावित सभी किसानों की समस्याओं पर विचार करके अपनी सिफारिशें देने के लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया था।
बता दें कि इस 3 सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष अध्यक्ष रजनीश दुबे हैं जो राजस्व परिषद के भी अध्यक्ष हैं जबकि उनके साथ मंडल आयुक्त तथा गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष कुमार भी कमेटी के सदस्य हैं।
समिति को सौंपे गए थे ये काम
इस कमेटी को तीनों प्राधिकरणों के अंतर्गत अधिग्रहण तथा सीधी खरीद से प्रभावित हुए सभी किसानों के 10% आबादी के प्लॉट दिए जाने तथा नए कानून को लागू करने एवं अधिग्रहित आबादियों को छोड़े जाने से संबंधित अपनी सिफारिशें देने का कार्य सौंपा गया था।
21 मई को सौंपनी जानी थी समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट
बता दें कि समिति को अपनी सिफारिशें 3 महीने के अंदर यानी 21 मई तक सरकार को दे देनी थी लेकिन 3 महीने का समय पूरा हो जाने के बावजूद भी अभी तक किसानों के पक्ष में कमेटी के द्वारा अपनी सिफारिशें नहीं सौंपी गई हैं जिसके विरोध में ही अब किसान प्राधिकरण सहित जिला कलेक्ट्रेट पर धरना देने तथा आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं।
कई किसान नेताओं को किया गया नजरबंद
यद्धपि पुलिस के द्वारा बुधवार की सुबह प्रदर्शन स्थल पर पहुंचने से पहले ही कई किसान नेताओं को नजरबंद किया गया है जिसमे नोएडा में भारतीय किसान यूनियन क्रांति के पदाधिकारियों को भी पुलिस ने नजरबंद कर दिया।
वही भारतीय किसान यूनियन क्रांति के प्रदेश अध्यक्ष परविंदर यादव का कहना हैं कि बुधवार सुबह से ही पुलिस ने उन्हें नजरबंद किया हुआ है। वर्तमान सरकार अब किसानों की आवाज दबाने का भी प्रयास कर रही है।
व्यापारियों का कर्ज हुआ माफ लेकिन किसानों का हक नहीं
किसान नेता परविंदर यादव ने कहा है कि व्यापारियों का हजारों करोड़ रुपए केंद्र सरकार के द्वारा माफ कर दिए गए हैं लेकिन किसानों को हक तथा उनका अधिकार नहीं दिया जा रहा है।
बता दें कि इस अवसर पर विनोद यादव, सौरभ मुखिया, लोकेश पहलवान, सुंदर यादव, विजेंद्र लंबरदार, शेखर लंबरदार, नरेंद्र यादव, मोहित मुखिया, चंदन यादव समेत कई अन्य यूनियन के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
किसानों की मांगे तथा प्रशासन की प्रतिक्रिया
दरअसल किसानों की प्रमुख मांगें 10% प्लॉट तथा 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा देना हैं। उनका यह भी कहना है कि प्रशासन ने कई बार झूठे वादे किए क्योंकि आश्वासन कभी भी पूरा नहीं किए गए। किसानों का यह भी आरोप है कि अफसर तथा जनप्रतिनिधियों ने उन्हें सिर्फ ठगा है।
लोकसभा चुनाव के बाद यह प्रदर्शन का है पहला दिन
किसानों ने अपनी मांगों के लेकर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ कई महीनों तक प्रदर्शन किया था फिर शासन से मिले आश्वासन तथा लोकसभा चुनाव को देखते हुए किसानों ने प्रदर्शन खत्म कर दिया गया था। लेकिन एक बार फिर से अब अपनी मांगों को लेकर किसान ग्रेटर नोएडा कलेक्ट्रेट का घेराव कर रहे हैं।
ऐसा बताया जा रहा है कि इसके बाद भी भारतीय किसान यूनियन 8 जुलाई की तारीख को एक बड़ा धरना प्रदर्शन करने की तैयारी में जुटे हैं जिसमें भी हजारों की संख्या में किसान जुट सकते हैं।