ग्रेटर नोएडा: ग्रेनो प्राधिकरण में हुए घोटाले की जांच के बाद पता चला है कि उसके वित्त विभाग में करीब 7 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। इस घोटाले में बिल्डर और अन्य आवंटियों ने चालान तो जमा करा दिए थे लेकिन उसकी राशि जमा नहीं कराई थी। मामले के सामने आने के बाद प्राधिकरण ने एक टीम गठित करके पिछले 10 साल के आवंटियों द्वारा हुए लेन देन के सत्यापन की जांच भी शुरू कर दी है।
कुछ समय पहले ही प्रदेश में लागू हुई थी अमिताभ कांत समिति की सिफारिशें:
बता दें कि पिछले कुछ दिनों पहले ही प्रदेश सरकार की ओर से बिल्डर तथा खरीदारों की समस्याओं को हल करने के लिए अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशें लागू की गई थीं। इसके बाद ही बिल्डरों की तरफ से जमा की गई राशि के चालान का सत्यापन शुरू किया गया था। सत्यापन के दौरान सामने आया कि बिल्डरों के कई चालान गायब मिले या फर्जी पाए गए।
हालाकि उस समय प्राधिकरण के द्वारा उक्त राशि को छोड़कर बाकी की गणना कर दी गई थी लेकिन अब बिल्डरों से प्राधिकरण द्वारा उनके चालान मांगे जा रहे हैं।
प्राधिकरण द्वारा गठित टीम को अभी तक की जांच में करीब 10 फाइलों में कुल 7 करोड़ रुपये की राशि गायब मिली है। जबकि अभी करीबन हजार फाइलों की जांच और करनी बाकी है। जिसमे बड़ी राशि का खुलासा सामने आ सकता है।
फर्जीवाड़े को रोकने के लिए प्राधिकरण ने लगाया था क्यूआर कोड:
बता दें कि ग्रेनो प्राधिकरण में इस घोटाले की जानकारी करीब 1 महीने पहले हुई थी। इसके बाद ही आला अधिकारियों के द्वारा बैंक के साथ मिलकर चालान पर क्यूआर कोड को लगवाना भी शुरू कर दिया गया था। जिसके बाद अब क्यूआर कोड को स्कैन करते ही मोबाइल पर पूरी जानकारी मिल जाती है।
ग्रेनो प्राधिकरण की ACO मेधारूपम ने बताया कि अमिताभ कांत कमेटी में भी बिल्डरों के चालान के सत्यापन में कुछ गड़बड़ी प्राधिकरण के सामने आई थी। अतः इसका सत्यापन होने के बाद ही उसमे हुए फर्जी चालान की राशि की सही एवं कुल जानकारी मिल पाएगी।
आइए देखते हैं ग्रेनो प्राधिकरण में हुए कुछ बड़े घोटाले:
इस घोटाले के अंतर्गत ग्रेनो प्राधिकरण के द्वारा किसानों की जमीन अधिगृहीत कर ली गई थी। जिसके बाद इसमें असली किसानों की जमीन बहुत कम जबकि वहीं बाहरी तथा पैसे वालों की बहुत बडी ज़मीन छोड़ दी गई थी जिसमें प्राधिकरण के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत होने के आए दिन आरोप भी लगते रहे हैं साथ ही लीजबैक के माध्यम से 30 से 50 बीघा तक जमीन अपात्र लोगों की छोड़कर सीधे फायदा पहुंचाया गया।
आबादी भूखंड घोटाला :
प्राधिकरण के इस घोटाले में करीब 2 साल पहले किसानों को उनकी आबादी भूखंड देने का आदेश दिया था। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने इसमें कोर्ट से आई सूची में फर्जी किसानों की सूची तैयार करके उनके भी नाम शामिल कर दिए। हालांकि इसकी शिकायत मिलने के बाद करीब 125 प्लॉट निरस्त किए गए थे।
प्राधिकरण में भर्ती घोटाला :
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में करीब डेढ़ साल पहले 70 से अधिक अधिकारी एवं कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। इनमें से ज्यादातर सीटों पर प्राधिकरण में तैनात अफसरों तथा कर्मियों के ही रिश्तेदार थे जिनकी भर्ती की गई थी। बता दें कि अभी भी इस घोटाले की जांच चल रही है लेकिन करीब 4 माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी इसमें कोई ठोस कार्यवाही ग्रेनो प्राधिकरण की तरफ से नहीं की गई है। जबकि इसके लिए 2 बार अधिकारियों की जांच कमेटी का भी गठन किया गया है।
जिम्मेदार अधिकारियों के पद और नाम सहित मांगी जानकारी:
प्राधिकरण के सीईओ रवि कुमार एनजी ने बताया कि बिल्डरों की फाइलों में इस तरह की गड़बड़ी की बात सामने आने पर हमने एक टीम गठित की है तथा पिछले 10 साल के दौरान हुए सभी लेन-देन और आवंटियों के हर चालान का सत्यापन कराने का भी निर्देश दिया गया है।
उन्होंने बताया कि वित्त विभाग में फाइलों की जांच भी शुरू कर दी गई है। अभी तक की जांच में कुल 7 करोड़ रुपये की राशि के चालान कम पाए गए हैं। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने बताया कि अब हमने पिछले 10 साल में जमा कराई गई सभी राशियों के चालान का सत्यापन में जिम्मेदार अधिकारियों के पद तथा नाम सहित जानकारी मांगी गई है।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह दावा भी किया जा रहा है कि जिस तरह से फर्जी चालान लगाए गए हैं, उससे साफ होता है कि जांच के बाद यह राशि कई गुना तक पहुंच जाएगी। फिलहाल ऐसा माना जा रहा है कि प्राधिकरण के कुछ कर्मियों की ही मिलीभगत से इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया है। जांच के बाद जल्द ही सारा मामला सामने आ जाएगा जो भी दोषी पाए जायेगे उनके विरूद्ध विधिसम्मत कार्यवाही की जायेगी।