साइबर फ्रॉड के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साजिश का नोएडा पुलिस ने खुलासा किया है। इसके तहत चाइनीज साइबर क्रिमिनल (Chinese Cyber Criminals) कंबोडिया में बैठकर भारत के लोगों के साथ साइबर फ्रॉड कर रहे थे और अब तक 100 करोड़ से अधिक का फ्रॉड किया गया है। इस मामले में नोएडा पुलिस ने चीनी सरगना को नेपाली सहयोगी के साथ गिरफ्तार किया है।
आरोपित पिछले एक साल में 100 करोड़ से अधिक की ठगी कर चुके है। पुलिस का दावा है कि तीनों आरोपितों को तीन दिन की रिमांड पर लेकर गहरे राज निकलवाए जाएंगे। कंबोडिया में बैठे क्रिमिनल के साथी भारतीय लोगों को फोन कर उनके साथ साइबर फ्रॉड करते थे और साइबर फ्रॉड करने के लिए भारतीय लोगों का इस्तेमाल किया जाता था।
ग्रेनो के बिसरख थाने की पुलिस ने सोमवार को साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) करने वाले एक गैंग का खुलासा किया और तीन साइबर आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस गैंग का सरगना चीनी नागरिक (Chinese Citizen) है और उसके साथ एक नेपाली और भारतीय नागरिक भी गिरफ्तार हुआ है। इस साइबर फ्रॉड गैंग का सेंटर कंबोडिया में था और वहीं पर रहकर भारत के लोगों से सोशल मीडिया के जरिए (Social Media)करोड़ों लोगों से कनेक्ट होकर ठगी की जा रही था।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान चीनी नागरिक सू यूमिंग (SU Youming), नेपाली नागरिक अनिल थापा और ग्रेटर नोएडा निवासी विनोद भाटी के रूप में हुई है। नोएडा सेंट्रल जोन की DCP सुनीति ने बताया कि इस अंतर्राष्ट्रीय साइबर गैंग में 20 से अधिक लोग शामिल हैं जो अलग-अलग तरीके से भारतीय नागरिकों को निशाना बनाते थे। इस मामले में संबंधित दूतावासों को भी सूचित किया गया है।
डीसीपी सेंट्रल नोएडा सुनीति ने बताया कि ग्रेनो वेस्ट में स्थित गौर सिटी मॉल के समीप से चीन के रहने वाले शू यूमिंग, नेपाल के रहने वाले अनिल थापा व ग्रेनो के दादरी के रहने वाले विनोद उर्फ अगस्त्या भाटी को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ करने पर पता चला है कि चीन का रहने वाला आरोपित शू यूमिंग गलत तरीके से नेपाल के रास्ते भारत आया था।
अनिल थापा शू यूमिंग को लेकर भारत आया था। यहां उन लोगों ने पहले से ही एक गिरोह बना रखा था जिसमें विनोद भाटी को शामिल किया। उसकी मदद से आरोपित फर्जी आइडी पर सिम कार्ड खरीद कर उसको कुरियर के माध्यम से विदेश भेजते थे।
कंबोडिया में बैठे आरोपितों के साथी भारतीय लोगों को फोन कर उनके साथ साइबर फ्रॉड करते थे। साइबर फ्रॉड करने के लिए भारत से ही युवाओं को भेजा जाता था। उनको यह कहकर विदेश में नौकरी पर भेजा जाता था कि उनकी विदेश में मोटे पैकेज पर नौकरी लगेगी। वहां जाने के बाद वह ठगी करने में शामिल हो जाते थे।
आरोपितों ने नोएडा के सेक्टर 18 में कंसलटेंसी के नाम पर ऑफिस खोला था। यही बैठकर आरोपित ठगी की पूरी योजना तैयार करते थे। फर्जी आइडी पर खरीदे जाने वाले सिम को इसी ऑफिस में एकत्र किया जाता था, उसके बाद कुरियर के माध्यम से विदेश भेजा जाता था। आरोपित ग्रेटर नोएडा वेस्ट में भी ऑफिस खोलने की तैयारी कर रहे थे।
यह साइबर गैंग भारतीय नागरिकों का डाटा विभिन्न सोशल मीडिया (Social Media) व माध्यमों से प्राप्त कर लेते थे और लोगों के इंटरेस्ट, शॉपिंग से लेकर निवेश करने के तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते थे। इसके बाद उन्हें मैसेज भेज कर झांसी में ले लेते थे। फिर व्हाट्सएप या टेलीग्राम ग्रुप पर जोड़कर उनसे ठगी की वारदात को अंजाम देते थे।
पुलिस अब अब ठगी के शिकार लोगों के बारे में जानकारी प्राप्त कर रही है और इन क्रिमिनल्स के पास से जो डाटा मिला है। उन डाटा को खंगाल रही है। इन साइबर क्रिमिनल्स ने ई-कॉमर्स कंपनी( E Commerce ) से भी लोगों का पर्सनल डाटा लिया है और उनसे लोगों के नाम, फोन नंबर से लेकर बैंक डिटेल्स आदि पता किया है। पुलिस को अब तक 500 से अधिक व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप के बारे में जानकारी मिली है।
भारतीय सिम को कुरियर के माध्यम से कंबोडिया भेजा जाता था। मेल के माध्यम से ग्राहकों का डाटा भी भेजा जाता था। मोटे पैकेज पर भारतीय युवकों को इंजीनियर, प्रबंधक की नौकरी देने के नाम पर कंबोडिया भेजा जाता था। वही युवक साइबर फ्रॉड में शामिल हो जाते है।
दरअसल यह साइबर गैंग भारतीय नागरिकों और कंपनियों का डाटा लेकर कंबोडिया भेज देता था और इस डाटा पर सिम एक्टिवेट कर लेते थे। इसके बाद व्हाट्सएप ग्रुप (WhatsApp) और टेलीग्राम(Telegram ) ग्रुप बनाकर भारतीय लोगों को उसमे जोड़ने थे और शेयर बाजार में निवेश करने, वर्क फ्रॉम होम से लेकर कई तरह के लुभावने ऑफर देकर उन्हें इन ग्रुपों में जोड़ लेते थे। इसके बाद इसे लाखों रुपए की ठगी करते थे।
भारतीय सिम का प्रयोग कर लोगों को फोन किया जाता था। पीड़ितों से कहा जाता है कि शेयर मार्केट में निवेश व गेमिंग ऐप के जरिये से वह करोड़ों रुपये कमा सकते है। यह कहकर आरोपित पीड़ित को अपने झांसे में लेते है। उनके मोबाइल पर लिंक भेजते है, जैसे ही पीड़ित लिंक पर क्लिक करता है उनके मोबाइल का एक्सेस आरोपितों के पास चला जाता है। फिर आरोपित मोबाइल पर आने वाले ओटीपी का प्रयोग कर साइबर फ्रॉड कर लेते है।
चीन के नागरिक ने दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग होटल में ठिकाना बनाया हुआ था। वह कभी नोएडा तो कभी ग्रेटर नोएडा के होटल में ठहरता था। वह दिल्ली में भी कुछ दिन ठहरा था। अवैध रूप से क्रिमिनल नेपाल के रास्ते भारत आया था और उसके पास भारत का वीजा भी नहीं है।
दो ड्राइविंग लाइसेंस, चार पासपोर्ट, फर्जी आईडी पर लिए गए 531 सिम कार्ड, नौ मोबाइल, 11435 नेपाली करेंसी, 150 थाईलैंड करेंसी, पांच युआन करेंसी चाइना, दो डालर, पांच दिराम, 2100 कंबोडिया करंसी व 94 हजार रुपये भारतीय रुपये के अलावा तीन चेक बुक, एक नेपाली नागरिका पत्र, एक डायरी, एक एयर इंडिया का टिकट, एक स्टांप मुहर, एक शंघाई होंगेकिआओ का बोर्डिंग पास, दस क्रेडिट कार्ड।
– किसी तरह के अंजान कॉल या मैसेज पर बिल्कुल भरोसा ना करें।
– कोई अज्ञात नंबर से आपको व्हाट्सएप या टेलीग्राम ग्रुप पर जोड़ता है तो उसे तुरंत बाहर हो जाएं।
–शेयर में निवेश, वर्क फ्रॉम होम आदि के नाम पर झांसे में ना आएं।
– अगर साइबर फ्रॉड के शिकार होने पर 1930 पर तुरंत कॉल करें।
आरोपितों के सहयोगी गणेश, घनश्याम, विष्णु, उमेश आचार्य की भूमिका की जांच पुलिस कर रही है। सारे के सारे नेपाल के रहने वाले है। इसके अलावा इमरान की भूमिका की जानकारी पुलिस निकाल रही है। ये सभी वे लोग है जो कि आरोपितों के संपर्क में थे।