उत्तर प्रदेश से इस वक्त की एक बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल यमुना प्राधिकरण के CEO डॉ.अरुणवीर सिंह को एक बार फिर से सेवा विस्तार मिल गया है। फिलहाल अब वह 31 दिसंबर 2024 तक यमुना विकास प्रधिकरण में CEO के पद पर कार्य करते रहेंगे।
बता दें कि ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तथा फिल्म सिटी के प्रोजेक्ट को देखते हुए ही योगी आदित्यनाथ के द्वारा यह फैसला लिया गया है।
आइए जानते हैं कि कौन हैं डॉ अरुणवीर सिंह:
डॉ अरूणवीर सिंह का जन्म वर्ष 1959 में बस्ती में हुआ था। वह उत्तर प्रदेश लोक सेवा (PCS) के एक प्रशासनिक अधिकारी हैं। वह साल 2006 में पदोन्नत होकर IAS अधिकारी बन गए थे।
जिसके बाद डॉ अरुणवीर सिंह 30 जून साल 2019 को ही यमुना प्राधिकरण तथा नियॉल के CEO के रूप में कार्य करते हुए अपने पद से सेवानिवृत हो गए थे। लेकिन इस समय सरकार के द्वारा उन्हें पद से नहीं हटाया गया था। 13 जुलाई 2019 को यमुना प्राधिकरण के CEO के रूप में उन्हें 1 साल का सेवा विस्तार दे दिया गया था।
30 जून 2019 से लगातार बढ़ाया जा रहा उनका कार्यकाल:
दरअसल 30 जून 2019 को जब वह सेवानिृत्त हुए थे, तब उस दौरान नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर जमीन अधिग्रहण का कार्य चलाया जा रहा था। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा डॉ.अरुणवीर सिंह के सेवानिृत्त होने के बाद भी 13 जुलाई 2019 को उन्हें यमुना प्राधिकरण तथा नियॉल के CEO के तौर पर 1 वर्ष तक का सेवा विस्तार करके उन्हें पद पर बनाए रखा गया था।
इसके बाद कई बार उनको सेवा विस्तार मिलता रहा। बता दें कि अब उनका 30 जून को सेवा विस्तार का कार्यकाल भी खत्म हो रहा था, लेकिन उससे पहले ही योगी सरकार के द्वारा उनका एक बार फिर सेवा विस्तार कर दिया गया है। अब वह 31 दिसंबर वर्ष 2024 तक यमुना विकास प्राधिकरण तथा नियाल के CEO बने रहेंगे।
कमान संभालने के बाद प्राधिकरण को दी नई पहचान
साल 2016 में जब डॉ अरुण वीर सिंह ने यमुना प्राधिकरण के CEO के तौर पर कमान संभाली थी तो उस समय प्राधिकरण भारी भरकम कर्ज़ से दबा हुआ था। लेकिन उनकी कड़ी मेहनत तथा कठिन परिश्रम से आज पूरे देश के साथ विदेशो से भी व्यापार तथा लोग निर्यात करने के लिए यमुना प्राधिकरण में लोग आ रहे हैं।
उनके प्रयासों से ही यमुना प्राधिकरण में एशिया के सबसे बड़े नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट अर्थात जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, ट्राय पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क रहा औद्योगिक विकास कंपनी एवं शिक्षण संस्थानों का निर्माण संभव हो सका और प्राधिकरण के क्षेत्र की मांग विश्व पटल पर भी काफी बढ़ी है।