एक अभूतपूर्व मामले में करीब 9 साल पहले किसी दूसरे की जगह पर एक परीक्षा देने के मामले में एक ऐसे इंसान को हुई कार्रवाई के बाद तीन साल की कैद हुई है, जो अब एक आइएएस अधिकारी है।
बता दें कि वर्ष 2019 बैच के बने आइएएस अधिकारी नवीन तंवर के साथ और भी पांच अन्य लोगों को सजा सुनाई गई है। इसके अलावा इन सभी पर 3 साल की कैद के अलावा 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। गुरुवार को ही सीबीआइ कोर्ट में सजा सुनाए जाने के दौरान नवीन तंवर कोर्ट में मौजूद नहीं हुए थे। अब कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया है।
आपको बताते हुए चले की आईएएस अधिकारी तंवर पिछले 10 माह से हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के एक उपमंडल भरमौर में अतिरिक्त उपायुक्त कम सह-परियोजना निदेशक जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) के एक पद पर कार्यरत हैं। और इससे पहले उन्होंने उपमंडल अधिकारी (नागरिक) कांगड़ा व चंबा के पद पर भी कार्य किया हुआ है।
बता दें की 13 दिसंबर, 2014 को गाजियाबाद के अंदर स्थित आइडियल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी में इंस्टीट्यूट आफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन (आइबीपीएस) की एक क्लर्क भर्ती परीक्षा हुई थी। उसी दौरान सीबीआई ने अमित सिंह और अजय पाल के स्थान पर परीक्षा दे रहे नवीन तंवर और उनके साथ सावन को गिरफ्तार किया था।
बता दें की इस दौरान परीक्षा के दौरान सुग्रीव गुर्जर और हनुमत गुर्जर ने दोनों परीक्षार्थियों को साल्वर मुहैया कराने में एक बिचौलिए की भूमिका निभाई थी। वही पर अभियुक्तों को गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से तुरंत जमानत मिल गई थी और अब जाकर इस मामले की अंतिम सुनवाई गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट सीबीआइ शिवम वर्मा के कोर्ट के अंदर जाकर हुई। वहीं पर कोर्ट ने सभी तरह के साक्ष्यों और गवाहों के बयान के आधार पर सभी अभियुक्तों को दोषी करार दिया है। इसके अलावा सजा के खिलाफ अपील के लिए अभियुक्तों को कोर्ट ने एक माह की जमानत भी दी है।