समाज: हिंदी सिनेमा की मशहूर अदाकारा ममता कुलकर्णी जो 90 के दशक में अपनी बेहतरीन अदाकारी के लिए जानी जाती थीं वो अब एक नया अध्याय शुरू करने जा रही हैं। लंबे समय तक फिल्मी दुनिया से दूर रहने के बाद अब ममता कुलकर्णी ने हाल ही में महाकुंभ में संन्यास ले लिया है। इस बात की जानकारी खुद उन्होंने अपने प्रशंसकों को दी थी। अब ममता से जुड़ी एक बड़ी खबर यह है कि उन्होंने किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद ग्रहण किया है।
“यामाई ममता नंद गिरि" के नाम से जानी जाएंगी ममता
53 वर्षीय ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज के संगम तट पर अपना पिंडदान किया। जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं। संन्यास लेने के बाद अब ममता को "यामाई ममता नंद गिरि" के नाम से जाना जाएगा। हालांकि उनका औपचारिक पट्टाभिषेक होना अभी बाकी है। महाकुंभ के दौरान साध्वी के रूप में उनकी मौजूदगी ने काफी ध्यान आकर्षित किया। भगवा झोला कंधे पर और गले में रुद्राक्ष की मालाओं के साथ साध्वी के रूप में उनका नया रूप सभी के लिए चौंकाने वाला था।
ममता कुलकर्णी का फिल्मी सफर
ममता कुलकर्णी ने 1992 में फिल्म तिरंगा से बॉलीवुड में कदम रखा था। इस फिल्म में उनका किरदार छोटा था लेकिन इसके बाद 1993 में आई अशांत, आशिक अवारा, और वक्त हमारा है जैसी फिल्मों में उनकी अदाकारी को खूब सराहा गया। ममता की खूबसूरती और अभिनय ने उन्हें 90 के दशक की प्रमुख अभिनेत्रियों में शामिल कर दिया।
हमेशा चर्चा में बनीं रहीं अभिनेत्री
हालांकि 1993 में एक विवादित फोटोशूट के कारण उनका नाम विवादों में भी आया। एक मैगजीन के लिए कराया गया उनका बोल्ड फोटोशूट काफी चर्चा में रहा और उस समय कई बॉलीवुड सितारे भी इससे हैरान रह गए थे। फिल्मों के साथ-साथ उनकी निजी जिंदगी भी हमेशा चर्चा का विषय रही।
लेकिन अब ममता ने फिल्मी दुनिया से पूरी तरह दूरी बना ली है। महाकुंभ में साध्वी के रूप में उनकी मौजूदगी और किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बनने के बाद उनके प्रशंसकों को यह स्पष्ट हो गया है कि वह अब पूरी तरह अध्यात्म की राह पर हैं। उनका यह नया अध्याय उनके चाहने वालों के लिए भले ही अप्रत्याशित हो लेकिन यह दिखाता है कि उन्होंने अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दी है।