डिजिटल अटेंडेंस का मामला फिर से गरमाया: मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी नहीं बनी कमेटी, 29 को हो सकता है बड़ा प्रदर्शन?
डिजिटल अटेंडेंस का मामला फिर से गरमाया

परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस का मामला अभी भी उलझा हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग ने 8 जुलाई को एक निर्देश जारी कर शिक्षकों की उपस्थिति डिजिटल माध्यम से दर्ज करने की योजना बनाई थी। इस फैसले का मकसद शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाना और शिक्षकों की समय की पाबंदी सुनिश्चित करना था। 

शिक्षक लगातार कर रहे हैं विरोध

हालांकि, शिक्षकों ने इस कदम का जोरदार विरोध किया, जिसका कारण उन्होंने अपनी कई व्यावहारिक समस्याओं को बताया। शिक्षकों का कहना था कि कई ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है, जिससे डिजिटल अटेंडेंस को लागू करना मुश्किल होगा। इसके अलावा, उन्होंने तकनीकी ज्ञान की कमी और अतिरिक्त काम का बोझ बढ़ने की भी चिंता जताई। 

मुख्यमंत्री ने दिया था कमेटी बनाने का निर्देश

इन विरोधों के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हस्तक्षेप करना पड़ा और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने शिक्षक संगठनों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि डिजिटल अटेंडेंस को फिलहाल स्थगित कर दिया जाएगा और इस मुद्दे के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई जाएगी। 

कमेटी का गठन न होने से नाराजगी

लेकिन, एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी इस कमेटी का गठन नहीं हुआ है, जिससे शिक्षकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। शिक्षक संगठन अब 29 जुलाई को प्रदर्शन की तैयारी में जुट गए हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के साथ हुई बैठक में भी कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी और कई मांगों पर सहमति बनी थी। 

26 जुलाई को होगी एस-फोर की बैठक

इस स्थिति को देखते हुए संयुक्त संघर्ष संचालन समिति (एस-फोर) की बैठक 26 जुलाई को बुलाई गई है। इस बैठक में डिजिटल अटेंडेंस और अन्य मांगों को लेकर आगे की आंदोलन की रणनीति पर विचार किया जाएगा। संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह के निर्देश पर राजधानी में होने वाली इस बैठक में आगे के आंदोलन की दिशा तय की जाएगी। 

शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

यह मामला न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि शिक्षा प्रणाली के सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिक्षकों की समस्याओं का समाधान निकाला जाना जरूरी है ताकि शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाया जा सके और शिक्षकों को भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करने में सहूलियत हो। अब देखना यह होगा कि सरकार और शिक्षक संगठन इस मुद्दे का समाधान कैसे निकालते हैं और शिक्षा व्यवस्था में सुधार कैसे लाते हैं।

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