नई दिल्ली: MHA यानि केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा डिजिटल अरेस्ट तथा साइबर ठगी के मामले में एक बड़ा एक्शन लिया गया है। दरअसल हाल ही में यह बताया जा रहा है कि I4C यानि भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र एवं दूरसंचार विभाग (DoT) के द्वारा दक्षिण पूर्व एशिया के साइबर अपराधियों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले कम से कम 17 हज़ार व्हाट्सएप खातों को ब्लॉक कर दिया गया है।
ग्रह मंत्रालय के साइबर दोस्त ने दी जानकारी:
दरअसल गृह मंत्रालय की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट भी किया गया है, जिसमें गृह मंत्रालय की तरफ से संचालित किए जा रहे साइबरदोस्त के द्वारा यह बताया गया है कि इसका मुख्य उद्देश्य आपराधिक नेटवर्क को बाधित करना तथा भारत की डिजिटल सुरक्षा को और अधिक मजबूत करना है।
वहीं मिले सूत्रों के मुताबिक यह पता चला है कि डिजिटल अरेस्ट करने वाले अधिकतर जालसाजों के IPDR यानि इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड का मुख्य ठिकाना कंबोडिया, म्यांमार तथा वियतनाम जैसे देश हैं। यहां पर उनका इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी हेतु किया जा रहा था।
दक्षिण पूर्व एशिया से की जाती है 45 प्रतिशत धोखाधड़ी:
बता दें कि इस साल के मई महीने में, गृह मंत्रालय के द्वारा कंबोडिया समेत म्यांमार, लाओस तथा फिलीपींस जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई के देशों से होने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठित साइबर अपराध में काफी बड़ी बढ़ोतरी की प्रतिक्रिया में एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है।
दरअसल भारत में लगभग 45 प्रतिशत से भी अधिक साइबर-वित्तीय धोखाधड़ी इन्हीं दक्षिण पूर्व एशिया के देशी और स्थानों से ही होती हैं। यह अपराध अधिक खतरनाक तथा बड़े हो गए हैं, जिनमें पीड़ितों को काफी अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है।
कंबोडिया में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को किया गया गिरफ्तार:
आपको बता दें कि I4C के द्वारा हैकर्स की तरफ से उपयोग किए जाने वाले सभी बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। वहीं कंबोडियाई शहर में कर रहे विरोध प्रदर्शन के लिए भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें घर वापस भेजने समेत सुरक्षित रखने के लिए भी कड़े कदम उठाए गए हैं।
आइए जानते हैं कि आखिर क्या है 14C:
दरअसल I4C नागरिकों हेतु साइबर अपराध से संबंधित सभी प्रकार के मुद्दों से निपटने पर अपना ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के कानून प्रवर्तन एजेंसियों समेत हितधारकों के बीच भी समन्वय में सुधार करना शामिल है।
इसके अतिरिक्त साइबर अपराध से निपटने हेतु भी भारत की क्षमता में बदलाव लाना तथा नागरिकों की संतुष्टि के स्तर में भी अधिक सुधार करना शामिल है। बता दें कि भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र योजना यानि I4C को 5 अक्टूबर, 2018 में मंजूरी दी गई थी।
आइए जानते हैं कि इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम के द्वारा साइबर फ्रॉड के कौन-से 14 तरीके बताए गए हैं:
1) डिजिटल अरेस्ट: ठग कानून का दिखाते हैं डर
दरअसल स्कैमर पुलिस अथवा कस्टम अधिकारी बनकर लोगों फोन करते हैं। वह लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग अथवा ड्रग्स कंसाइनमेंट जैसे गंभीर आरोप में शामिल होने का दावा भी करते हैं। जिसके पश्चात लोग डर जाते हैं तथा स्कैमर को पैसे भी भेज देते हैं।
2) फिशिंग स्कैम: इसमें जानी-मानी कंपनियों के नाम पर किए जाते हैं मेल
दरअसल साइबर ठग नामचीन कंपनियों तथा सरकारी विभागों के नाम एवं लोगो का इस्तेमाल करके लोगों को मैसेज भेजते हैं। उसमें केवाईसी (KYC) करें, वर्ना आपका अकाउंट बंद हो जाएगा, जैसी बात करते हैं। साथ ही फर्जी लिंक पर क्लिक करते ही जालसाज के द्वारा लोगों के बैंक खाते बिल्कुल खाली कर दिए जाते हैं।
3) जॉब स्कैम: फर्जी लिंक्स-मैसेज करना
बता दें कि देश में इस वर्ष सबसे अधिक नौकरी के नाम पर ही ठगी के मामले दर्ज किए गए हैं। दरअसल साइबर ठग लोगों को फर्जी नौकरियों की भर्ती के मैसेज अथवा लिंक्स भेजते हैं। वहीं लोग लिंक्स पर क्लिक करके इसमें आवेदन कर देते हैं। इसके पश्चात ठग फीस अथवा ज्वाइनिंग किट के नाम पर उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं।
4) गलती से अपने पैसे भेजने का स्कैम
ऐसे मामलों में साइबर ठग लोगों के पास रुपये गलती से क्रेडिट होने का एक फर्जी मैसेज भेजते हैं। फिर ठग बोलता है कि गलती से पैसे आपके खाते में ट्रांसफर हो गए हैं, उसे इमरजेंसी है, ऐसा करके वह पैसे लौटाने को भी कहते हैं। वहीं छानबीन किए बिना ही पैसे लौटाने के चलते लोग ठगी का शिकार बन जाते हैं।
5) इमोशनल मैनिपुलेशन करके स्कैम करना
ठग मेट्रीमोनियल/डेटिंग एप अथवा सोशल मीडिया पर अपनी फेक प्रोफाइल भी बनाते हैं। फिर धीरे-धीरे से बात कर रिश्तों में सीरियस होने की भी बात कहते हैं। वहीं इमोशनल संबंध बनाने के पश्चात ठग कोई इमरजेंसी होने की बात करते हैं। साथ ही माहौल बनाते हैं कि उन्हें मेडिकल इमरजेंसी है। इस प्रकार झांसा देकर भी ठगी की जाती है।
6) लकी ड्रॉ स्कैम: टैक्स के पश्चात ही आएगा पैसा
साइबर ठग इस स्कैम में लॉटरी अथवा लकी ड्रॉ प्राइज विनर का कई मैसेज भेजते हैं। मैसेज में प्राइज मनी का जितने का लालच दिया जाता है। वहीं जो लोग लालच में आ जाते हैं, वह उस पर क्लिक करते हैं। तब साइबर ठग उनको राशि ट्रांसफर करने से पूर्व करीब 5 से 10 फीसदी टैक्स के तौर पर देने के लिए कहा जाता है।
7) पार्सल स्कैम: ड्रग्स मिलने की भी करते हैं बात
दरअसल साइबर ठग लोगों को फोन कॉल करके भी झांसा देते हैं। वह बताते हैं कि उनका कोई एक पार्सल आ रहा था, जिसमें ड्रग्स मिलने से उनका पार्सल जांच एजेंसी के द्वारा जब्त कर लिया गया है। इस मामले में उन्हें तत्काल रूप से जुर्माना भरना पड़ेगा। जिससे लोग डरकर ठग को पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।
8) कैश ऑन डिलिवरी का स्कैम: भेज देते हैं फर्जी सामान
इसके अतिरिक्त साइबर ठग असली शॉपिंग ऐप जैसी एक मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट भी बनाते हैं। यहां से खरीददारी करने पर लोगों के पास कोई फर्जी अथवा गलत प्रोडक्ट पहुंचता है। जैसे मोबाइल खरीदने पर कभी कभी पत्थर अथवा कुछ और मिलता है।
9) इन्वेस्टमेंट स्कैम: 4 लाख पर 2 करोड़ रिटर्न करने का वादा
दरअसल साइबर ठगों के द्वारा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके पोंजी स्कीम में इन्वेस्ट करने पर काफी बड़े रिटर्न देने जैसे कि 4 लाख जमा करने पर 2 करोड़ देने का झांसा भी देते हैं। वहीं झांसे में आकर लोग इसमें निवेश कर देते हैं तथा कुछ समय तक तो ब्याज मिलता है, उसके पश्चात कंपनी बंद करके ठग उनसे संपर्क खत्म कर देते हैं।
10) लोन अथवा कार्ड स्कैम: बिना डॉक्युमेंट के लोन का झांसा
ठग वेबसाइट अथवा सोशल मीडिया पर कम से कम दस्तावेजों में भी पर्सनल लोन अथवा क्रेडिट कार्ड बनाने का दावा पेश करते हैं। वहीं लोग जब उनसे संपर्क करते हैं तो स्कैमर उनका काम करवाने के लिए उन्हें फीस देने को कहते हैं। जैसे ही वह रकम जमा होती है तो ठग उनसे संपर्क खत्म कर देते हैं।
11) फोन स्कैम: KYC के नाम पर होती है ठगी
इस प्रकार की धोखाधड़ी अक्सर सब्सिडी जैसे मामलों में ही की जाती है। स्कैमर केवाईसी (KYC) के नाम पर कोई सरकारी अधिकारी बनकर आपको कॉल करते हैं तथा दस्तावेज जमा करने को भी कहते हैं। जानकारी हासिल करते ही सभी स्कैमर आपके बैंक खाते को खाली कर देते हैं।
12) सोशल मीडिया पर बदनामी वाला स्कैम
इसके अंतर्गत साइबर ठग किसी लड़की की मदद से कई लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। जैसे कॉल उठाते ही एक न्यूड लड़की नजर आती है। इस प्रकार की आपत्तिजनक वीडियो कॉल की उनके द्वारा रिकार्डिंग कर ली जाती है। तत्पश्चात बदनामी की धमकी देकर उनकी रिकॉर्डिंग के सहारे स्कैमर के द्वारा लोगों को निशाना बनाकर उनसे ठगी की जाती है।
13) टेक सपोर्ट स्कैम: वायरस के नाम पर होती है ठगी
दरअसल साइबर ठग कस्टमर केयर अथवा टेक्निकल सपोर्ट देने वाली कोई फर्जी वेबसाइट के माध्यम से ठगी करते हैं। वहीं इन वेबसाइट पर क्लिक करने के पश्चात स्कैमर कॉल करके यह झांसा देते हैं कि उनके सिस्टम में कोई वायरस आ गया है। वह लोगों को लिंक पर क्लिक करवाकर अथवा सिस्टम तक पहुंच प्राप्त करके सभी जानकारी एकत्र करके लोगों को धोखा देते हैं।
14) फेक चैरिटी अपील वाला स्कैम
इन सभी मामलों में साइबर ठग किसी प्राकृतिक आपदा के नाम पर भी लोगों से ठगी करते हैं। इसमें लोगों से कोई मदद करने के लिए उन्हें दान देने की अपील भी की जाती है। वहीं स्कैमर लोगों की सहानुभूति का लाभ उठाकर क्राउड फंडिंग करके पैसे ठग लेते हैं। इसमें किसी गरीब के इलाज में उनके द्वारा मदद के नाम पर भी लोगों से ठगी की जाती है।