नई दिल्ली: भारत में बड़े लोन डिफॉल्टर्स के खिलाफ अब फिर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के ताजे आदेश ने रिजर्व बैंक (RBI) और बैंकों को लोन डिफॉल्ट करने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का अधिकार दे दिया है। इस फैसले के साथ ही उन हाई कोर्ट के आदेशों को रद्द कर दिया गया है, जिनके तहत बैंकों और रिजर्व बैंक की कार्रवाई को अवैध करार देते हुए उधारकर्ताओं के खिलाफ की गई एफआईआर (First Information Report) और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लोन डिफॉल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की दिशा को फिर से मजबूती से खड़ा करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया फैसला?
आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस एमएम सुंदरेश और राजेश बिंदल ने शुक्रवार को यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक कार्यवाही और आपराधिक कार्यवाही दो अलग-अलग चीजें हैं। एक मामले में प्रशासनिक अधिकारी की कार्रवाई को रद्द करने से यह नहीं कहा जा सकता कि फिर आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हाई कोर्ट ने अपनी सीमा से बाहर जाकर काम किया था और कई मामलों में यह देखा गया कि उधारकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उन्हें रद्द कर दिया था, जबकि ऐसा करना गलत था।
प्राकृतिक न्याय का नहीं कर सकते उल्लंघन
गौरतलब है कि कोर्ट ने कहा कि यदि प्रशासनिक कार्रवाई को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए रद्द किया जाता है, तो यह इसका मतलब नहीं है कि आपराधिक कार्यवाही को भी रद्द किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एफआईआर दर्ज होने का मतलब है कि कानून ने कार्रवाई शुरू कर दी है, और यह प्रशासनिक फैसले से अलग है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में कहा कि बैंकों और रिजर्व बैंक जैसी संस्थाओं की कार्रवाई और आपराधिक कार्यवाही अलग-अलग प्रक्रिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में एफआईआर को गलती से रद्द किया गया था, क्योंकि सीबीआई को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया या उन्हें मामले में पार्टी भी नहीं बनाया गया था। इसका मतलब था कि कई मामलों में जांच एजेंसियों को अपनी बात रखने का मौका ही नहीं मिला।
उधारकर्ताओं को भी अपना पक्ष रखने का अधिकार
कोर्ट ने यह भी माना कि बैंकों के खाते को धोखाधड़ी घोषित करने से उधारकर्ताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, और उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है, इसलिए पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर मिलना चाहिए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि रिजर्व बैंक और बैंकों को अपने नियमों में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को लागू करना होगा, ताकि प्रभावित व्यक्ति को अपनी बात रखने का अवसर मिल सके।
हाई कोर्ट के फैसले को क्यों किया खारिज?
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जिन हाई कोर्ट ने उधारकर्ताओं के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों को रद्द किया था, वे गलत थे। कोर्ट ने कहा कि बैंक और रिजर्व बैंक की कार्यवाही प्रशासनिक और आपराधिक कार्रवाई को अलग-अलग करने के बजाय इन्हें मिलाकर देखा जा रहा था, जो गलत था। कोर्ट ने इस आदेश के साथ यह भी निर्देश दिया कि जिन उधारकर्ताओं के खिलाफ पहले धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे, उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए।
क्या होगा इसका बैंकिंग सेक्टर पर असर ?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर सीधे तौर पर भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर पड़ेगा। अब बैंक और वित्तीय संस्थान फिर से कर्ज डिफॉल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई तेज कर सकते हैं। इस फैसले से बैंकों को राहत मिलेगी क्योंकि यह उन्हें लोन डिफॉल्टर्स से बकाया वसूलने की प्रक्रिया में मदद करेगा। इससे भारतीय बैंकिंग सिस्टम में पुनः विश्वास बहाल हो सकता है, जो लंबे समय से कर्ज वसूली की प्रक्रिया में रुकावटों का सामना कर रहा था।
अब क्या होगा आगे?
इस फैसले के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि अब बैंकों को लोन डिफॉल्टर्स से बकाया वसूलने में तेजी आएगी और कर्ज डिफॉल्ट करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, इस फैसले से यह भी उम्मीद की जा रही है कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होगा, क्योंकि बैंकों को अपने बकायेदारों से पैसे वसूलने में मदद मिलेगी। अब यह देखना होगा कि रिजर्व बैंक और बैंकों के द्वारा इस फैसले को लागू करते हुए कितनी तेजी से कार्रवाई की जाती है और क्या इससे बैंकिंग सेक्टर को स्थिरता मिलती है।
नए दिशानिर्देशों का प्रभाव:
सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक और बैंकों को आदेश दिया है कि वे अपने नियमों में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को शामिल करें ताकि उधारकर्ताओं को अपना पक्ष रखने का मौका मिले। इससे न केवल बैंकिंग प्रक्रिया पारदर्शी होगी, बल्कि उधारकर्ताओं के अधिकारों का भी सम्मान किया जाएगा।
फैसले से देशभर में हलचल:
अब इस फैसले के बाद सवाल यह उठता है कि क्या इस फैसले से लोन डिफॉल्टर्स के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जाएगी? क्या बैंकों को उनका बकाया पैसा वापस मिलेगा? बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए यह एक बड़ी राहत है, जो लंबे समय से बकाया वसूली में परेशान थे। इस फैसले का असर सिर्फ कर्ज डिफॉल्टर्स पर ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय बैंकिंग सिस्टम पर पड़ेगा, और यह भविष्य में बैंकों को एक मजबूत दिशा में चलने में मदद करेगा।