टैरिफ वार के चलते अमेरिकी शेयर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट!: कोरोना काल जैसे हालात और वैश्विक मंदी की आशंका गहराई? वही अमेरिकी राष्ट्रपति ने...
टैरिफ वार के चलते अमेरिकी शेयर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट!

अर्थव्यवस्था: आपको बता दें अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए रेसिप्रोकल टैरिफ की वजह से शुक्रवार को ग्लोबल बाजार में अफरातफरी मच गई। इससे दुनियाभर के निवेशकों में डर का माहौल बन गया और मंदी की आशंका गहरा गई। शेयर बाजार के प्रमुख इंडेक्स डॉव जोन्स, एसएंडपी 500 और नास्डैक में बड़ी गिरावट देखने को मिली। कोरोना काल के बाद पहली बार अमेरिकी शेयर बाजार इतनी बड़ी गिरावट की चपेट में आया है।

शेयर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट

डॉव जोन्स इंडेक्स में 5.50% से अधिक की गिरावट आई जो हाल के वर्षों में सबसे बड़ी मानी जा रही है। वहीं S&P 500 लगभग 6% नीचे बंद हुआ और टेक्नोलॉजी-हैवी नास्डैक इंडेक्स ने 5.73% का नुकसान झेला। वित्तीय विशेषज्ञ अजय बग्गा का कहना है कि ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत से अब तक अमेरिकी बाजार लगभग 9 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप खो चुका है।

स्टैगफ्लेशन की स्थिति पैदा होने का डर

आस्क प्राइवेट वेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार यह नया टैरिफ सिस्टम अमेरिका की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता को बढ़ा सकता है और स्टैगफ्लेशन जैसी स्थिति पैदा कर सकता है जहां मंदी और महंगाई दोनों साथ-साथ मौजूद रहते हैं। रिपोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि व्यापार में ये बाधाएं हमें 19वीं सदी की स्थिति की ओर ले जा सकती हैं।

दुनियाभर के बाजारों में असर

अमेरिका की इस नीति का असर केवल घरेलू स्तर पर ही नहीं बल्कि वैश्विक बाजारों पर भी देखने को मिला। ब्रिटेन का FTSE 100 और जर्मनी का DAX दोनों में लगभग 4.95% की गिरावट दर्ज की गई। एशियाई बाजार भी इससे अछूते नहीं रहे और भारत में भी इसका नकारात्मक असर देखने को मिला।

भारतीय बाजारों की हालत

भारतीय शेयर बाजार पहले से ही बुरे दौर से गुजर रहा है और अब ट्रंप के जवाबी टैरिफ की वजह से हालात और खराब हो गए हैं। फ्राइडे को सेंसेक्स 930.67 अंक यानी 1.22% टूटकर 75,364.69 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 1.49% गिरकर 22,904.45 पर बंद हुआ। दिन के दौरान सेंसेक्स 1,000 अंक तक गिर गया था लेकिन बाद में कुछ रिकवरी देखने को मिली।

ट्रंप की ‘फेयर ट्रेड’ नीति

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में "फेयर एंड रिसिप्रोकल ट्रेड पॉलिसी" के तहत यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका अब अन्य देशों के शुल्कों का जवाब शुल्क के जरिए ही देगा। इस नीति के तहत भारत समेत तमाम व्यापारिक साझेदारों को उच्च शुल्कों का सामना करना पड़ सकता है जिससे वैश्विक व्यापार संतुलन पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है।

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