जयपुर: राजस्थान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अब प्रदेशवासियों को उनकी संपत्तियों के पट्टे यानी लीज डीड ऑनलाइन उपलब्ध करवाने की सुविधा शुरू कर दी है। अब लोगों को पट्टे के लिए नगर निगम, पालिका या परिषद के चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यह नई व्यवस्था राज्य के 315 शहरी निकायों में लागू की गई है और इसके तहत लोग अपने घर बैठे ही जरूरी कागजात ऑनलाइन जमा कर सकते हैं और डिजिटल रूप में प्रॉपर्टी का मालिकाना हक प्राप्त कर सकते हैं।
ऑनलाइन आवेदन के लिए जरूरी कागजात
ऑनलाइन आवेदन करने से पहले कुछ अहम दस्तावेज़ जुटाना आवश्यक है:
जिस मकान, दुकान या फ्लैट का पट्टा बनवाना है उससे संबंधित खरीद से जुड़े सभी दस्तावेज आपके पास होने चाहिए। जैसे यदि वह संपत्ति किसी सरकारी संस्था से नीलामी या लॉटरी के ज़रिए ली गई है तो उसका आवंटन पत्र जरूरी होगा।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए अगर आपने जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (जेडीए) से कोई प्लॉट लिया है तो आपको जेडीए का आवंटन पत्र, आपका आधार कार्ड, पैन कार्ड, बिजली का बिल, मकान का नक्शा (ब्लू प्रिंट) और साइट प्लान जैसी चीजें अपलोड करनी होंगी।
अगर आप किसी निजी बिल्डर या व्यक्ति से मकान या फ्लैट खरीदते हैं तो आपको उस खरीद का एग्रीमेंट, विक्रेता की ओनरशिप का प्रमाण, पैन-आधार कार्ड और प्रॉपर्टी की लोकेशन से जुड़ा बिजली का बिल जमा करना होगा।
वहीं अगर प्रॉपर्टी पर कब्जा है लेकिन कोई वैध दस्तावेज नहीं है तो उस कब्जे को साबित करने के लिए आपको दो पड़ोसी गवाहों के बयान और कम से कम पांच साल पुराने बिजली-पानी के बिल, बीमा पत्र या उस पते पर आया कोई सरकारी पत्र देना होगा।
ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया
स्टेप-1: ई-पट्टा बनवाने के लिए सबसे पहले www.sso.rajasthan.gov.in वेबसाइट पर जाना होगा। वहां लॉगिन करने के लिए आपके पास SSO ID होनी चाहिए जो जन आधार कार्ड के माध्यम से बनाई जा सकती है।
स्टेप-2: SSO पोर्टल में लॉगिन करने के बाद आपको "Local Self Government (LSG)" एप्लिकेशन पर क्लिक करना है। वहां “लीज डीड” का विकल्प मिलेगा। इस पर क्लिक करने के बाद "न्यू एप्लिकेशन" का ऑप्शन आएगा। जिसमें आपको अपने जिले और नगर निकाय का चयन करना होगा।
स्टेप-3: अब आपको वे सभी दस्तावेज़ अपलोड करने होंगे जो प्रॉपर्टी से जुड़े हैं। दस्तावेज़ स्कैन करते समय ध्यान दें कि वेबसाइट पर जिस फॉर्मेट (JPG, PDF आदि) में फाइल मांगी गई है उसी फॉर्मेट में फाइल अपलोड करनी होगी।
स्टेप-4: इसके बाद मकान या प्लॉट की सही जानकारी जैसे मालिक का नाम, प्रॉपर्टी का पूरा पता, कॉलोनी का नाम, मकान का साइज आदि भरनी होगी। साथ ही आर्किटेक्ट द्वारा तैयार किया गया साइट प्लान या ब्लू प्रिंट अपलोड करना अनिवार्य है।
स्टेप-5: जब सब कुछ अपलोड और भर लिया जाए तो फॉर्म को एक बार अच्छे से चेक करके सबमिट कर दें।
अगले 30 दिन में मिल जाएगा पट्टा
स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक इंद्रजीत सिंह ने बताया कि हर आवेदन की समय-सीमा तय कर दी गई है। पट्टे से जुड़ा आवेदन संबंधित अधिकारी को 30 दिनों के भीतर निपटाना होगा। अगर किसी स्तर पर देरी होती है तो उस निकाय के अफसर के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।
पूरा प्रोसेस डिजिटली तय किया गया है ताकि लोगों को बार-बार दफ्तर न जाना पड़े और प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।
इन कामों के लिए मिल रही है ऑनलाइन सुविधा?
ई-पट्टा के अलावा 13 अन्य सेवाएं भी घर बैठे ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इसमें शामिल हैं:
1. सामुदायिक भवन की बुकिंग
2. फायर एनओसी प्राप्त करना
3. प्रॉपर्टी के नामांतरण की प्रक्रिया
4. लीज डिपॉजिट से जुड़ी कार्रवाई
5. प्रॉपर्टी की यूनिक आईडी बनवाना
6. प्रॉपर्टी टैक्स और यूडी टैक्स भरना
7. ट्रेड लाइसेंस का रिन्यूअल
8. सीवर कनेक्शन लेना
9. साइनेज लाइसेंस के लिए आवेदन
10. किसी प्लॉट को हिस्सों में बांटना
11. अलग-अलग भूखंडों को एक करना
12. नया ट्रेड लाइसेंस लेना
13. स्ट्रीट वेंडर लाइसेंस प्राप्त करना
क्या आवेदन का कोई शुल्क है?
ई-पट्टा के लिए ऑनलाइन आवेदन करते समय कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। लेकिन पट्टा जारी करते वक्त शुल्क लिया जाएगा जो संबंधित निकाय द्वारा तय D.L.C. दरों के अनुसार होगा।
यदि आप यह आवेदन ई-मित्र सेंटर के माध्यम से करते हैं तो वहां का प्रोसेसिंग शुल्क देना पड़ सकता है जो सामान्य होता है।
इन गलतियों को न करें वरना फाइल हो जाएगी रिजेक्ट
स्वायत्त शासन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर दस्तावेजों में कोई गड़बड़ी या फर्जीवाड़ा नजर आता है तो अधिकारी को उसकी जांच के लिए अतिरिक्त समय लेने का अधिकार है। जरूरत पड़ने पर आवेदक को अपने मूल दस्तावेज भी दिखाने होंगे। इसलिए सलाह दी गई है कि आवेदन करते वक्त दस्तावेज पूरी ईमानदारी और सही जानकारी के साथ अपलोड करें।
क्या कहते हैं मंत्री मंत्री झाबर सिंह खर्रा?
स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि इस डिजिटल सेवा की शुरुआत पहले छोटे शहरों में ट्रायल के रूप में की गई थी। सफलता के बाद अब इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे प्रशासनिक प्रक्रियाएं तेज़ होंगी और आम जनता को राहत मिलेगी।
कहां-कहां शुरू हुई ये सुविधा?
राज्य के सभी 315 शहरी निकायों में यह सुविधा शुरू हो चुकी है। इनमें शामिल हैं:
13 नगर निगम
51 प्रथम श्रेणी नगर परिषद
16 द्वितीय श्रेणी नगर पालिकाएं
57 तृतीय श्रेणी नगर पालिकाएं
178 चतुर्थ श्रेणी नगर पालिकाएं
इन सभी स्थानों पर ई-पट्टा सेवा पूरी तरह से कार्यान्वित कर दी गई है और इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है।