भारत में M पॉक्स यानि मंकी पॉक्स के खतरनाक स्ट्रेन क्लेड 1B का पहला मामला सामने आया है। दरअसल WHO अर्थात विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा इस स्ट्रेन को पिछले महीने ही सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल घोषित किया गया था। आपको बता दें कि आधिकारिक सूत्रों के द्वारा आज यानि सोमवार को समाचार एजेंसी पीटीआई को यह बताया गया कि पिछले सप्ताह केरल के एक मरीज में इस वायरस के लक्षण पाए गए थे।
संयुक्त अरब अमीरात से लौटा था युवक:
दरअसल अधिकारियों के द्वारा मीडिया एजेंसी को यह बताया गया है कि केरल के 38 वर्षीय व्यक्ति में क्लेड 1बी स्ट्रेन पाया गया है। यह व्यक्ति हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से लौटा था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा बताया गया है कि विदेश से लौटे एक व्यक्ति ने 17 सितंबर की तारीख को मंकीपॉक्स के संदेह के कारण ही खुद को आइसोलेशन में रख लिया था। वहीं सैंपल लेकर जांच कराई गई तो उसमें मंकीपॉक्स के स्ट्रेन क्लेड-1B की पुष्टि हुई है।सूत्रों ने यह बताया है कि मरीज की हालत फिलहाल स्थिर है। उन्होंने यह भी कहा है कि मौजूदा स्ट्रेन का यह पहला मामला है, जिसके कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा पिछले महीने ही एमपॉक्स को दूसरी बार सार्वजनिक स्वास्थ्य हेतु आपातकाल घोषित किया था।
हिसार में मिला था स्ट्रेन क्लेड-2 का मामला:
दरअसल राष्ट्रीय राजधानी में मंकी पॉक्स का पहला मामला 26 वर्षीय हरियाणा के हिसार के एक निवासी में पाया गया था। जो इस महीने की शुरुआत में पश्चिमी अफ्रीकी क्लेड 2 स्ट्रेन के लिए सकारात्मक पाया गया था। वहीं WHO यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा वर्ष 2022 में एमपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया था। जिसके बाद से भारत में इसके कुल 30 मामले सामने आए हैं।
WHO ने मंकीपॉक्स को घोषित किया हेल्थ इमरजेंसी:
दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को एक ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया गया था। वहीं भारत के द्वारा भी 20 अगस्त को देश के सभी पोर्ट्स तथा एयरपोर्ट समेत पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर भी अलर्ट जारी किया गया था।यह 2 साल में दूसरी बार है, जब WHO के द्वारा मंकीपॉक्स को लेकर हेल्थ इमरजेंसी घोषित की गई है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीका के एक देश कांगो से हुई थी। अफ्रीका के 10 देश इसकी बेहद गंभीर चपेट में हैं। इसके बाद यह दुनिया के कई देशों में फैला।वहीं कोरोना की तरह मंकीपॉक्स भी विमान यात्रा तथा ट्रैवलिंग के अन्य साधनों के माध्यम से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लगातार फैल रहा है। WHO इसलिए भी काफी चिंतित है, क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग मामले में मृत्यु दर भी अलग-अलग देखी गई है। बता दें कि कई बार तो यह 10% से भी अधिक रही है।
जानते हैं कि क्या है मंकीपॉक्स:
मंकीपॉक्स वायरस से फैलने वाली एक बीमारी है। आमतौर इस वायरस की वजह से संक्रमण के ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह काफी घातक भी हो सकता है। इसके चलते लोगों में फ्लू जैसे लक्षण भी दिखते हैं तथा शरीर पर मवाद से भरे घाव भी हो जाते हैं। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही एक मेंबर है, जो चेचक अर्थात स्मालपॉक्स के लिए भी जिम्मेदार है।
भारत में मंकीपॉक्स के 2022 से मिले 30 केस:
WHO के अनुसार साल 2022 के बाद से वैश्विक स्तर पर कुल 116 देशों में मंकीपॉक्स के करीब 99,176 मामले तथा करीब 208 मौतें दर्ज की गई हैं। वहीं इस साल अब तक लगभग 15,600 से अधिक मामले एवं 537 मौतें दर्ज की गई हैं। वहीं साल 2022 के बाद से भारत में मंकीपॉक्स (क्लैड 2) के कुल 30 मामले सामने आए हैं। यहां आखिरी मामला मार्च 2024 में देखने को मिला था। आपको बता दें कि भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए कुल 32 लैबोरेटरी हैं।