मेरठ की जाकिर कॉलोनी में एक 50 साल पुराना तीन मंजिला मकान अचानक ढह गया, जिसमें सात लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। यह मकान लगभग 300 गज के प्लॉट पर बना हुआ था, लेकिन इसकी नींव काफी कमजोर हो चुकी थी। मकान के मालिक और उनके परिवार ने समय-समय पर ऊपरी मंजिलों पर निर्माण तो कराया, लेकिन मकान की नींव की मजबूती पर ध्यान नहीं दिया। यह लापरवाही धीरे-धीरे एक बड़ी समस्या में बदल गई, जो अंततः इस भीषण हादसे का कारण बनी।
मकान में चलाई जा रहीं थीं डेयरी
मकान में एक डेयरी चलाई जा रही थी, जिससे रोज़ाना बड़ी मात्रा में गंदगी पैदा होती थी। इस गंदगी के कारण दीवारों में सीलन बढ़ती गई, और साथ ही पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश ने भी मकान की नींव को कमजोर कर दिया। नींव में लगातार पानी का रिसाव होता रहा, जिससे मकान की संरचना और भी कमजोर हो गई। यह एक चेतावनी थी, जिसे मकान के मालिकों ने अनदेखा कर दिया। छह दिन पहले ही मकान का एक छोटा हिस्सा धंस गया था, लेकिन इस संकेत को नजरअंदाज करते हुए कोई उचित कदम नहीं उठाया गया।
तीन बच्चों के साथ सात लोगों की हुई मौत
घटना वाले दिन, शनिवार की शाम लगभग 4:30 बजे, मकान में रहने वाले चार भाई—साजिद, नदीम, नईम, और शाकिर—अपने परिवारों के साथ ऊपरी मंजिलों पर थे। अचानक तीन मंजिला मकान ढह गया, और पूरे परिवार समेत मकान के नीचे दब गया। मलबे में कुल 14 लोग और कुछ मवेशी फंस गए। इस भयानक हादसे में सात लोगों की मौत हो गई, जिनमें तीन बच्चे भी शामिल थे।
राहत और बचाव कार्य में उठानी पड़ी कठिनाइयां
राहत और बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया, लेकिन मलबे की भारी मात्रा और तंग गलियों के कारण राहत दल को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पुलिस, फायर ब्रिगेड और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं और मलबे को हटाने का काम शुरू किया। आसपास के लोग और परिवार के सदस्य अपने प्रियजनों को मलबे से निकालने की कोशिशों में लगे रहे। घटना के समय वहां अफरातफरी का माहौल था, और हर तरफ चीख-पुकार मची हुई थी। लोग अपने परिजनों की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे थे और बचाव दल से उन्हें सुरक्षित निकालने की गुहार लगा रहे थे। जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, लोगों की उम्मीदें धीरे-धीरे टूटने लगीं।
प्रशासन की नाकामी की वजह से हुआ हादसा
यह हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि एक बड़ी सामाजिक और प्रशासनिक समस्या की ओर इशारा करता है। जाकिर कॉलोनी सहित शहर की कई अन्य कॉलोनियों में अवैध रूप से संचालित डेयरियों की भरमार है। इन डेयरियों से निकलने वाली गंदगी आसपास के क्षेत्रों में जमा हो जाती है, जिससे मकानों की नींव कमजोर होती है और जलभराव की समस्या भी बढ़ती है। यह गंदगी नालियों और सड़कों पर फैलकर न केवल स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है, बल्कि मकानों के ढहने जैसे हादसों का भी कारण बनती है। शहर में जलभराव की समस्या भी एक बड़ी चुनौती बन गई है, जो भवनों की नींव को धीरे-धीरे खोखला कर देती है।
लंबे समय से इस गंदगी और जलभराव से परेशान है स्थानीय नागरिक
स्थानीय नागरिक और पार्षद लंबे समय से डेयरियों की गंदगी और जलभराव की समस्या के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस हादसे ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर समय रहते डेयरियों पर नियंत्रण किया गया होता और जलनिकासी की उचित व्यवस्था बनाई गई होती, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।
इस घटना ने स्थानीय निवासियों की बढ़ाई चिंता
इस घटना ने स्थानीय निवासियों में गुस्सा और चिंता बढ़ा दी है। लोग अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं उनके घर भी इस तरह के हादसे का शिकार न हो जाएं। हादसे के बाद यह देखना होगा कि प्रशासन इन डेयरियों पर कोई सख्त कदम उठाता है या नहीं, और जलभराव की समस्या को हल करने के लिए क्या ठोस उपाय किए जाते हैं।