जस्टिस बीआर गवई होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश!: नोटबंदी और इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मामलों की कर चुके हैं सुनवाई, जानें जस्टिस बीआर गवई का पूरा न्यायिक सफर?
जस्टिस बीआर गवई होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश!

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के द्वारा औपचारिक रूप से न्यायमूर्ति बी.आर. गवई को अपना उत्तराधिकारी बनाने का प्रस्ताव दे दिया गया है। आपको बता दें कि नियुक्ति प्रक्रिया के अंतर्गत यह सिफारिश विधि मंत्रालय को भेजी गई है।आपको बता दें कि न्यायमूर्ति गवई वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के बाद सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश भी हैं। अब उम्मीद जताई जा रही है कि जैसे ही राष्ट्रपति भवन से इसकी मंजूरी मिलती है तो वह देश के 52वें मुख्य न्यायधीश बन जाएंगे। बता दें कि वह 14 मई को CJI के रूप में शपथ लें सकते हैं। 

आइए जानते हैं कि क्या है परंपरा:

गौरतलब है कि परंपरा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा यानि वर्तमान चीफ जस्टिस के द्वारा है अपने उत्तराधिकारी का नाम सरकार को भेजा जाता हैं और इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है। वहीं कानून मंत्रायल के द्वारा औपचारिक तौर पर जस्टिस खन्ना से उनके उत्तराधिकारी का नाम पूछा गया था, जिसके जवाब में उन्होंने जस्टिस बी आर गवई का नाम आगे बढ़ाया है।

सुप्रीम कोर्ट के दूसरे अनुसूचित जाति के हैं जज:

आपको बता दें कि इसमें एक खास बात यह भी है कि वह सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले केवल दूसरे अनुसूचित जाति यानि SC कास्ट के जज हैं। इससे पहले मात्र जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन ही अनुसूचित जाति के थे, जो साल 2010 में सेवानिवृत्त हुए थे। 

वहीं जस्टिस बी.आर. गवई आने वाली 14 मई को देश के अगले मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ ले सकते हैं। दरअसल वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो जाएगा। हालांकि  बी आर गवई का कार्यकाल केवल 6 महीने का ही होगा क्योंकि वह भी नवंबर 2025 में रिटायर होने वाले हैं।

आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं जस्टिस गवई:

दरअसल जस्टिस गवई को 24 मई 2019 की तारीख को सर्वोच्च न्यायालय का जज नियुक्त किया गया था। वहीं उनका जन्म 24 नवंबर को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था। वह दिवंगत आर.एस. गवई के बेटे हैं, जो बिहार तथा केरल के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

गौरतलब है कि जस्टिस बी आर गवई ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में 14 नवंबर 2003 को अपने न्यायिक करियर की शुरुआत की थी। वहीं बतौर जज वह मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद तथा पणजी के विभिन्न पीठों पर भी काम कर चुके हैं। जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे।

सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं गवई:

1)नोटबंदी पर दिया था फैसला:

दरअसल जस्टिस बी.आर. गवई के द्वारा साल 2016 की नोटबंदी योजना को वैध ठहराते हुए इसपर बहुमत की राय लिखी गई थी। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार के पास में मुद्रा अमान्य घोषित करने का पूरा अधिकार है तथा यह योजना 'प्रोपोर्शनैलिटी टेस्ट' अर्थात संतुलन की कसौटी पर एकदम खरी उतरती है।

2)संविधान से आर्टिकल 370 हटाने वाले मुद्दे पर:

गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 370 हटाए जाने वाले फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं दाखिल की गई थी। वहीं इन याचिकाओं पर 5 मेंबर वाली एक संवैधानिक बेंच के द्वारा सुनवाई की जा रही थी, उनमें जस्टिस गवई भी शामिल थे।

3)बिना प्रक्रिया के बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई रोक:

दरअसल एक ऐतिहासिक फैसले में उन्होंने कहा था कि किसी भी आरोपी की संपत्ति को बिना किसी उचित कानूनी प्रक्रिया के गिराना असंवैधानिक है। साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि कार्यपालिका न तो कोई न्यायाधीश बन सकती है तथा न ही कानून की प्रक्रिया के बिना कोई तोड़फोड़ कर सकती है।  

4)इलेक्टोरल बॉन्ड मामला:

आपको बता दें कि जस्टिस गवई उस पीठ का भी हिस्सा रहे हैं, जिसने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की संवैधानिकता पर सवाल उठाए गए थे और उसकी जांच की बात कही थी। दरअसल यह मामला राजनीतिक चंदों में पारदर्शिता को लेकर उठी कई चिंताओं से जुड़ा हुआ था।

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