दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के नगर निगम चुनावों (एमसीडी) में दो साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने शानदार वापसी की है। बीजेपी के सरदार राजा इकबाल सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी मनदीप सिंह को 125 वोटों से करारी शिकस्त दी है। इस चुनाव में राजा इकबाल सिंह को 133 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मनदीप सिंह को महज 8 वोट ही मिल पाए। बीजेपी ने सरदार राजा इकबाल सिंह को मेयर की जिम्मेदारी सौंपकर सिख समुदाय को एक अहम संदेश दिया है।इस जीत ने न केवल बीजेपी को एमसीडी में सत्ता में वापसी दिलाई बल्कि दिल्ली में केंद्र, राज्य और नगर निगम तीनों स्तर पर सरकार बनवाकर बीजेपी को दिल्ली में 'ट्रिपल इंजन' की सरकार बनाने में भी मदद की।
आखिर कौन है राजा इकबाल सिंह? जिनके नाम पर बीजेपी ने खेला था दांव, आइए जानते हैं....
राजा इकबाल सिंह का परिचय
51 वर्षीय राजा इकबाल सिंह का जन्म एक सिख परिवार में हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज से विज्ञान में स्नातक (B.Sc.) की डिग्री हासिल की। इसके बाद इन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (मेरठ) से एलएलबी की पढ़ाई की।
राजनीति में आने से पहले राजा इकबाल सिंह अमेरिका में व्यवसाय से जुड़े हुए थे। हालांकि उनके ससुराल की राजनीतिक विरासत ने उन्हें भारत लौटने और सार्वजनिक जीवन में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। उनके ससुराल पक्ष में एक प्रभावशाली नेता तीन बार पार्षद रह चुके हैं और यही विरासत आगे बढ़ाते हुए राजा इकबाल सिंह ने राजनीति में कदम रखा।
ऐसे थामा था बीजेपी का दामन?
राजा इकबाल सिंह की राजनीतिक पारी की शुरुआत शिरोमणि अकाली दल से हुई थी। उन्होंने 2017 में दिल्ली के जीटीबी नगर से पार्षद का चुनाव अकाली दल के टिकट पर बीजेपी के समर्थन से लड़ा था और पहली बार में ही जीत हासिल की थी। इसके बाद 2022 में वे मुखर्जी नगर से दोबारा पार्षद चुने गए।
2020 में उस समय बड़ा राजनीतिक मोड़ आया जब केंद्र के तीन कृषि कानूनों को लेकर अकाली दल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया। इसी दौरान राजा इकबाल सिंह ने अकाली दल से अलग होकर बीजेपी का दामन थाम लिया क्योंकि अकाली दल ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके कुछ दिन बाद बीजेपी ने उन्हें उत्तरी दिल्ली नगर निगम का मेयर बना दिया।
साफ इमेज के चलते बीजेपी में बनाई पकड़
2021 में एनडीएमसी के मेयर के तौर पर कार्य कर चुके इकबाल सिंह को प्रशासनिक अनुभव अच्छा खासा है। 2020 तक वे सिविल लाइंस जोन के चेयरमैन भी रहे हैं। इसके अलावा वे एमसीडी में विपक्ष के नेता की भूमिका भी निभा चुके हैं। इस दौरान उन्होंने आम आदमी पार्टी की नीतियों की खुलकर आलोचना की और अपनी साफ छवि से जनता के बीच अच्छी पहचान बनाई।
जीटीबी नगर और मुखर्जी नगर जैसे इलाकों में उनके पार्षद कार्यकाल को जनता ने सराहा। 2020 में जहांगीरपुरी दंगों के बाद अवैध निर्माण को हटाने के कड़े फैसलों में भी उनकी भूमिका चर्चा में रही। जिससे बीजेपी समर्थकों के बीच उनकी छवि और मजबूत हुई।
दिल्ली में बीजेपी की बढ़ती ताक
बीजेपी ने राजा इकबाल सिंह को मेयर बनाकर न केवल सिख वोट बैंक को साधने की कोशिश की बल्कि एक अनुभवी और साफ छवि वाले नेता को आगे कर प्रशासनिक कुशलता का भी संदेश दिया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही सिख समुदाय को अपने पाले में लाने की कोशिश में लगे थे ऐसे में राजा इकबाल सिंह की नियुक्ति बीजेपी के लिए एक अच्छा राजनीतिक कदम माना जा रहा है।