नोएडा के कॉल सेंटर ने अमेरिकी लोगो से की ठगी: माइक्रोसॉफ्ट अधिकारी बन करते थे ठगी, नोएडा पुलिस ने किया पर्दाफाश 76 लोग गिरफ्तार और...?
नोएडा के कॉल सेंटर ने अमेरिकी लोगो से की ठगी

नोएडा: नोएडा में एक बड़े साइबर क्राइम गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने सेक्टर-63 स्थित एक फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मारा। इस छापेमारी में 76 लोगों को गिरफ्तार किया गया। जिनमें 67 युवक और 9 युवतियां शामिल हैं। यह गिरोह अमेरिकी नागरिकों को अपने जाल में फंसाकर ठगी करता था। डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने जानकारी दी कि इन अपराधियों ने अब तक 1,500 से अधिक लोगों को ठगी का शिकार बनाया है।

एक साथ 10000 लोगो को भेजते थे बग

गिरफ्तार किए गए आरोपी अमेरिका के नागरिकों का डेटा खरीदते थे। इसके लिए ये लोग स्काइप ऐप का इस्तेमाल करते थे। डेटा प्राप्त करने के बाद एक साथ 10,000 अमेरिकी नागरिकों के कंप्यूटर में एक बग भेजा जाता था। यह बग उनके कंप्यूटर की स्क्रीन को नीला कर देता और स्क्रीन पर एक नंबर दिखता। जब पीड़ित इस नंबर पर फोन करते तो कॉल इस गिरोह के सर्वर पर पहुंचती।

कॉल सेंटर में बैठे कर्मचारी खुद को माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारी बताते और समस्या का समाधान करने के लिए 99 डॉलर या उससे अधिक की राशि की मांग करते। पेमेंट मिलने के बाद वे पीड़ित को कंप्यूटर ठीक करने की एक कमांड देते।

अपराध के उपकरण और टेक्नोलॉजी

पुलिस ने मौके से 58 लैपटॉप, एक एप्पल मैकबुक, 45 चार्जर, 2 राउटर, 45 हेडफोन और 24 मोबाइल फोन बरामद किए। इन उपकरणों का उपयोग करके ये लोग अमेज़न सपोर्ट, टेक सपोर्ट और लोन देने जैसे झूठे वादों के जरिए ठगी करते थे।

गिरोह ने ठगी के लिए अपनाए कई तरीके:

1. लोन के नाम पर ठगी:

यह गिरोह उन नागरिकों का डेटा खरीदता था जिन्होंने किसी वेबसाइट पर लोन के लिए आवेदन किया हो। फिर उन्हें लोन से संबंधित संदेश भेजा जाता। लोन दिलाने के नाम पर उनसे 100 से 500 डॉलर तक की रकम ली जाती। अगर ग्राहक के पास पैसा नहीं होता तो उन्हें फर्जी चेक भेज दिया जाता।

2. वॉयस नोट के जरिए ठगी:

कॉल सेंटर से ग्राहकों को एक वॉयस नोट भेजा जाता जिसमें उन्हें बताया जाता कि उनका पार्सल डिलीवरी के लिए तैयार है। यदि उन्होंने यह पार्सल ऑर्डर नहीं किया तो इसका मतलब है कि उनका अकाउंट चोरी हो गया है। ग्राहक डरकर संपर्क करता और नया अकाउंट बनवाने के नाम पर उनसे पैसे वसूले जाते।


3. हवाला के जरिए धनराशि का लेन-देन:

यह गिरोह अमेरिका में अपने एजेंट्स के जरिए गिफ्ट कार्ड और डिजिटल पेमेंट को भारतीय मुद्रा में परिवर्तित करता था। फिर हवाला के माध्यम से यह पैसा भारत मंगवाया जाता।


गुजरात और चाइना से कनेक्शन

पुलिस ने बताया कि यह गिरोह पहले गुजरात में भी सक्रिय था। इसके अलावा जांच में चीन से जुड़े कुछ सुराग मिले हैं। डीसीपी ने बताया कि इस मामले की गहन जांच की जा रही है।

पहले भी साइबर क्राइम में जेल जा चुके है आरोपी

पकड़े गए आरोपी कुरुनाल रे, सौरम, सादिक और साजिद अली "इंस्टा सॉल्यूशन" नाम से कॉल सेंटर चलाते थे। यह सभी पहले भी साइबर फ्रॉड के मामले में जेल जा चुके हैं। कॉल सेंटर को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए इसे अलग-अलग विभागों में बांटा गया था।

पुलिस ने जब्त किए गए डेटा और उपकरणों की जांच शुरू कर दी है। साइबर टीम की मदद से इस गिरोह के अन्य नेटवर्क का भी पता लगाया जा रहा है। जांच पूरी होने के बाद और भी जानकारी सामने आ सकती है।

अमेरिकी नागरिक थे मुख्य शिकार

इस गिरोह का मुख्य निशाना अमेरिकी नागरिक थे क्योंकि वे आसानी से इनकी बातों में आ जाते थे। विदेशी ग्राहकों को ठगने से यह फायदा होता कि शिकायत दर्ज कराने में समय लगता और पुलिस का शिकंजा कमजोर रहता।

पुलिस की कार्रवाई

नोएडा पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बड़े साइबर फ्रॉड नेटवर्क को खत्म किया है। ठगी के नए-नए तरीकों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले कनेक्शन को देखते हुए यह मामला साइबर क्राइम के बढ़ते खतरों को उजागर करता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में और कौन-कौन से तथ्य सामने आते हैं।

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