बंगले में बने स्विमिंग पूल में तैरता शव, अंदर बैठी कातिल बीवी!: मिर्च डालकर किया अंधा और फिर...कर्नाटक में पूर्व डीजीपी की सनसनीखेज हत्या के अहम खुलासे?
बंगले में बने स्विमिंग पूल में तैरता शव, अंदर बैठी कातिल बीवी!

 बेंगलुरु: कर्नाटक के पॉश एरिया HSR लेआउट में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब राज्य के पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश नारायण का शव उनके ही बंगले के स्विमिंग पूल में खून से लथपथ मिला। लेकिन जब पुलिस ने इस कत्ल की परतें खोलीं, तो कहानी ने ऐसा मोड़ लिया जिसने पूरे देश को चौंका दिया। इस जघन्य हत्या के पीछे कोई दुश्मन नहीं, बल्कि उनकी पत्नी पल्लवी निकली। और हैरानी की बात ये रही कि हत्या के वक्त उनकी बेटी कीर्ति भी घर में ही थी।

 मिर्च पाउडर फेंककर किया अंधा, फिर चाकू से ताबड़तोड़ वार

सूत्रों के मुताबिक, घटना से पहले घर में तीखी बहस हुई थी। उसी दौरान पत्नी पल्लवी ने पहले पति के चेहरे पर मिर्च पाउडर फेंका, जिससे वह कुछ देख न सके। इसी का फायदा उठाकर उसने हाथ में छुपा रखा तेजधार चाकू निकाला और बेरहमी से ओम प्रकाश पर हमला कर दिया। चाकू के ताबड़तोड़ वारों से ओम प्रकाश ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। फिर उनका शव स्विमिंग पूल में फेंक दिया गया, ताकि यह हादसा लगे।

 'मैंने इस राक्षस को मार डाला!' – हत्या के बाद वीडियो कॉल पर कबूलनामा 

हत्या के फौरन बाद, पल्लवी ने अपने एक दोस्त को वीडियो कॉल कर कहा –
"मैंने इस राक्षस को खत्म कर दिया। अब शांति मिलेगी।"
इस कॉल की जानकारी जैसे ही पुलिस तक पहुंची, पल्लवी और उसकी बेटी कीर्ति को हिरासत में ले लिया गया।

 जमीन विवाद या मानसिक बीमारी?

 बताया जा रहा है कि दोनों के बीच लंबे समय से संपत्ति विवाद चल रहा था। खासकर कर्नाटक के दांदेली इलाके में एक कीमती जमीन को लेकर दोनों के रिश्ते बिगड़ चुके थे। पल्लवी ने कुछ महीने पहले HSR पुलिस स्टेशन में पति के खिलाफ FIR दर्ज करवाने की कोशिश भी की थी, लेकिन जब पुलिस ने मना किया, तो वह धरने पर बैठ गई थी।

सूत्रों का दावा है कि पल्लवी सिज़ोफ्रेनिया नामक गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित है, और उसका इलाज चल रहा था। इस मानसिक अस्थिरता ने ही शायद हत्या को अंजाम देने की हिम्मत दी।

 कौन थे DGP ओम प्रकाश नारायण? 

68 वर्षीय ओम प्रकाश बिहार के चंपारण से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने भूगर्भशास्त्र में मास्टर्स किया था और फिर UPSC क्लियर कर 1981 बैच के IPS अधिकारी बने। वे कर्नाटक में लंबे समय तक अहम पदों पर रहे और 2015 में डीजीपी बनाए गए। सख्त लेकिन न्यायप्रिय अफसर के रूप में उनकी छवि थी।

 घरेलू कलह का ऐसा अंत कहाँ तक जायज?

एक प्रतिष्ठित पुलिस अधिकारी की घरेलू कलह और मानसिक बीमारी के कारण हुई हत्या सिर्फ एक पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि समाज को आईना दिखाने वाली घटना है। यह केस बताता है कि कैसे मानसिक स्वास्थ्य, रिश्तों की दरार और अनसुने अलार्म संकेत, किसी दिन खून-खराबे में बदल सकते हैं। सवाल ये भी उठता है – क्या सिस्टम, ऐसे मामलों को वक्त रहते रोकने में विफल है?

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