तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट: बिना स्वतंत्र जांच के नहीं लौटेगा जनविश्वास, गठित होगी SIT?
तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट

धर्म और आस्था: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसादम (लड्डू) में जानवरों की चर्बी पाए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने SIT के गठन का निर्देश दिया है।

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, राज्य सरकार की ओर से मुकुल रोहतगी, तिरुपति मंदिर की ओर से सिद्धार्थ लूथरा एवं कपिल सिब्बल और तिरुपति तिरुमला देवस्थानम के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बारेड्डी की ओर से कपिल सिब्बल ने पैरवी की।

SIT में कौन-कौन होंगे शामिल?

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एक स्वतंत्र जांच कमेटी (SIT) का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में राज्य पुलिस के दो अधिकारी, सीबीआई के दो अधिकारी और FSSAI से एक अधिकारी शामिल होंगे। इस जांच कमेटी की निगरानी सीबीआई के डायरेक्टर द्वारा की जाएगी।

वकीलों ने क्या कहा?

➡️ केंद्र सरकार की ओर से पैरवी करते हुए तुषार मेहता ने कहा कि चर्बी उपयोग के पुख्ता सबूत है। अगर इन सबूतो में थोड़ी भी सच्चाई है, तो यह बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है। 

➡️ तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (TTD) के पूर्व प्रमुख वाईवी सुब्बारेड्डी की तरफ से पैरवी करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है, जहां बताया गया हो कि वह वनस्पति वसा है, एनिमल फैट नहीं। कपिल सिब्बल ने कोर्ट से अनुरोध किया कि जांच के लिए एक स्वतंत्र कमेटी का गठन किया जाए।

➡️ आंध्र प्रदेश सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने SIT से जांच कराने की अपील की और कहा कि राज्य सरकार ने जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही एफआईआर दर्ज की है।

➡️ तिरुपति मंदिर के तरफ से पैरवी करते हुए सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि अब तक हमें पता ही नहीं था कि घी मेंन सप्लायर की तरफ से नहीं आया है। लैब रिपोर्ट सामने आ गई है। 4 जुलाई तक जो घी पहुंचा था, उसमें कुछ नहीं पाया गया है। वही 6 और 12 जुलाई को पहुंचे घी में एनिमल फैट मिला हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि यह घटना एक राजनीतिक ड्रामे में तब्दील हो जाए। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यदि एक स्वतंत्र जांच कमेटी जांच करती है तो लोगों में विश्वास पैदा होगा। इसी टिप्पणी को आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने एक स्वतंत्र जांच कमेटी SIT के गठन का निर्देश दिया है।

कैसे सामने आया विवाद? 

कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन द्वारा पिछले 50 सालों से तिरुपति मंदिर ट्रस्ट को रियायती दरों पर घी प्रदान किया जा रहा था, किंतु जुलाई 2023 के बाद से कंपनी ने रियायती दरों पर सप्लाई देने से इनकार कर दिया। इसके पश्चात जगन सरकार ने पांच फर्मो को घी सप्लाई करने का काम सौंपा। इनमें से एक डिंडीगुल तमिलनाडु की एआर डेयरी फूड्स थी। इसके प्रोडक्ट में जुलाई माह में गड़बड़ी देखने को मिली।

आंध्र प्रदेश में टीडीपी की सरकार आने के बाद जून 2024 में के श्यामला राव को तिरुमला तिरुपति देवस्थानम का एग्जीक्यूटिव ऑफिसर नियुक्त किया गया था। उन्होंने जांच के आदेश दिए और एक कमेटी का गठन किया। इसी जांच में यह बात सामने आई कि घी में एनिमल फैट मिला हुआ था। इसके बाद 18 सितंबर को चंद्रबाबू नायडू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए यह जानकारी सार्वजनिक कर दी और विवाद उत्पन्न हो गया।

खत्म हुई पवन कल्याण की प्रायश्चित दीक्षा 

तिरुपति मंदिर के लड्डू में एनिमल फैट मिलने के बाद आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने 11 दिनों की प्रायश्चित दीक्षा ली थी। 3 अक्टूबर को दीक्षा समाप्त होने के बाद उन्होंने तिरुपति मंदिर में दर्शन किया और एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि "सनातन धर्म के लिए मैं सब कुछ त्याग कर सकता हूं।" पवन कल्याण कहते हैं कि यदि प्रसाद में छोटी सी भी मिलावट की गई है तो इसकी जांच होनी चाहिए।

अब नंदिनी घी से बन रहे है लड्डू 

तिरुपति मंदिर के लड्डू में मिलावट की बात सामने आने के बाद से अब नंदिनी घी से लड्डू का निर्माण किया जा रहा है। घी की सप्लाई करने वाली गाड़ियों की जीपीएस से निगरानी की जा रही है, ताकि किसी भी प्रकार की मिलावट से बचा जा सके। उल्लेखनीय है कि नंदिनी कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से संबंधित एक लोकप्रिय ब्रांड है। 

300 साल पुराना है तिरुपति लड्डू का इतिहास

तिरुपति मंदिर की गिनती दुनिया के सबसे लोकप्रिय और अमीर धर्म स्थलों में की जाती है। इस मंदिर में प्रतिदिन लगभग 70000 से अधिक श्रद्धालु भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करने आते हैं। मंदिर का प्रशासन तिरुपति तिरुमला देव स्थानम के द्वारा संचालित किया जाता है। 

300 साल पहले पोटू नामक किचन में लड्डू बनाने की परंपरा की शुरुआत हुई और यहां देसी घी से लगभग 3.50 लाख लड्डू प्रतिदिन बनाए जाते हैं और यह लड्डू करीब 200 से अधिक ब्राह्मणों द्वारा बनाए जाते हैं। इस लड्डू में शुद्ध बेसन, बूंदी, चीनी, काजू और शुद्ध घी का प्रयोग किया जाता है। उल्लेखनीय है कि ट्रस्ट ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए भी एक लाख लड्डू अयोध्या भेजे थे।

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