चुनाव आयोग ने बीते गुरुवार के दिन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में मिले डेटा को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया है। चुनाव आयोग ने इसमें करीब 763 पेजों की दो लिस्ट अपनी वेबसाइट पर डाली है। जिसमे पहली लिस्ट के अंदर इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने वालों की डिटेल दी गई है तो वहीं दूसरी लिस्ट में राजनीतिक पार्टियों को मिले बॉन्ड का विवरण दिया गया है।
बता दें की चुनाव आयोग के द्वारा अपनी वेबसाइट पर अपलोड की गई सभी जानकारी के अंदर यह मामला 3 मूल्यवर्ग वाले बॉन्ड की खरीद से जुड़ा हुआ है। दरअसल इसमें 1 लाख रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड तथा 10 लाख रुपये के एवं 1 करोड़ रुपये वाले इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए हैं। हालांकि अभी तक की दी गई जानकारी में यह पता नहीं लग पाया है की किस कंपनी के द्वारा किस पार्टी को डोनेशन दिया गया है।
चुनाव आयोग के द्वारा बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक करने के बाद पता चला है की भारतीय जनता पार्टी चुनावी बॉन्ड को पाने वाली सबसे बड़ी पार्टी है। इन बॉन्ड्स के तहत बीजेपी को 12 अप्रैल, 2019 से लेकर 24 जनवरी साल 2024 तक कुल 6,060 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। यह राशि भुनाए गए कुल बॉन्ड की 47.5 प्रतिशत है।
वहीं बीजेपी के बाद देखे तो ममता बनर्जी की पार्टी TMC यानी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस दूसरे नंबर पे रही। दरअसल टीएमसी को चुनावी चंदे के अंतर्गत करीब 1,609 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। TMC के बाद तीसरे स्थान पे कांग्रेस का नंबर रहा। कांग्रेस को बॉन्ड के जरिए कुल 1,421 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
चंदे की इस लिस्ट में अगला नंबर देखें तो भारत राष्ट्र समिति का आता है। उसे चुनावी बॉन्ड के द्वारा कुल 1214 करोड़ रुपये मिले हैं। इसके बाद बीजू जनता दल का नंबर आता है जिसे 775 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। बीजेडी के प्रश्चात DMK यानी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम पार्टी का नाम है, जिसको चुनावी चंदे में 639 करोड़ रूपये मिले हैं।
फ्यूचर गेमिंग एवं होटल सर्विसेज ने करीब 1,368 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया है।
दूसरे नंबर पे मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का नाम आता है। जिसने 966 करोड़ रुपये का चंदा दिया है।
तीसरे स्थान पे 410 करोड रूपये चंदे के साथ क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड का नाम है।
वहीं वेदांता लिमिटेड ने 400 करोड़ रुपये देकर चौथे स्थान पर मौजूद है।
पांचवे नंबर पे हल्दिया एनर्जी लिमिटेड है, जिसने कुल 377 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स दिए हैं
भारती ग्रुप 247 करोड़ रुपये के साथ छठे स्थान पे है।
7वें नंबर पे : 224 करोड़ रूपये के साथ एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड
8वें नम्बर पे: 220 करोड़ रूपये के साथ वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन
9वां स्थान: 194 करोड़ रूपये के साथ केवेंटर फूडपार्क इन्फ्रा लिमिटेड
10वां: वनमदनलाल लिमिटेड तथा 185 करोड़ रुपये
11वां: डीएलएफ ग्रुप का 170 करोड़ रुपये के साथ
12वां: यशोदा सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल तथा 162 करोड़ रुपये
13वाँ स्थान उत्कल एल्यूमिना इंटरनेशनल का 145.3 करोड़ रुपये के साथ
14वे नंबर पे 123 करोड़ रूपए के साथ जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड का नाम है।
इसके बाद देखे तो 105 करोड़ रूपये के साथ बिड़ला कार्बन इंडिया तथा 100 करोड़ रुपए के साथ रूंगटा संस का नाम आता है।
- डॉ रेड्डीज के द्वारा 80 करोड़ रुपये दिए गए
- पीरामल एंटरप्राइजेज ग्रुप ने 60 करोड़ रुपये का चंदा दिया।
- नवयुग इंजीनियरिंग ने भी 55 करोड़ रुपये का चंदा दिया।
- शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स के द्वारा 40 करोड़ रुपये
- एडलवाइस ग्रुप के द्वारा भी 40 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स
- सिप्ला लिमिटेड ने 39.2 करोड़ रुपये चंदे के रूप में दिए।
35 करोड़ रुपये - लक्ष्मी निवास मित्तल ने
33 करोड़ रुपये - ग्रासिम इंडस्ट्रीज
30 करोड़ रुपये - जिंदल स्टेनलेस
25 करोड़ रुपये - बजाज ऑटो
25 करोड़ रुपये - सन फार्मा लैबोरेटरीज
24 करोड़ रुपये - मैनकाइंड फार्मा
20 करोड़ रुपये -बजाज फाइनेंस
20 करोड़ रुपये - मारुति सुजुकी इंडिया
15 करोड़ रुपये - अल्ट्राटेक
10 करोड़ रुपये - टीवीएस मोटर्स
सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर एसबीआई को फटकार लगाई है। दरअसल यह फटकार इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में पूरा डेटा साझा नहीं करने के लिए लगाई गई हैं। बता दें की अदालत के द्वारा इस पूरी योजना को रद्द करते हुए यह कहा गया था की SBI पिछले 5 सालों में किए गए सभी दान पर अपनी पूरी डिटेल चुनाव आयोग के साथ शेयर करे। लेकिन SBI ने अपने विवरण में बॉन्ड की विशिष्ट संख्या को जारी नहीं किया गया है।
फटकार लगाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को कहा है की वह बॉन्ड की विशिष्ट संख्या का खुलासा जल्द करे। इसके लिए कोर्ट ने बैंक को 18 मार्च तक का समय भी दिया है। एक नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने उसके पास संग्रहीत सभी इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा को अब चुनाव आयोग के पास वापस करने की भी अनुमति दी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट हर चुनावी बॉन्ड के उपर छपे हुए यूनिक अल्फान्यूमेरिक कोड को शेयर नहीं करने वाली याचिका पर ही सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा की बैंक 18 मार्च तक यह उपलब्ध करवा दे क्योंकि इस यूनिक नंबर से ही दानदाताओं को राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलाने में मदद मिलती है।
15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों वाली संविधान पीठ के द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड परियोजना को रद्द करते हुए उसकी बिक्री पर भी रोक लगा दी गई थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के द्वारा SBI को मंगलवार शाम तक का समय दिया गया था जिसमे SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा पूरा डेटा चुनाव आयोग को सौंपने को कहा गया था।
कोर्ट के आदेश के बाद 4 मार्च को SBI की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई और इसकी पूरी जानकारी देने के लिए अगले 30 जून तक का समय मांगा गया था। जिसमे SBI का कहना था कि डेटा का पूरा मिलान करने में काफी समय लगेगा। इसलिए 30 जून तक की मोहलत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने SBI की इस याचिका को खारिज करते हुए समय पर विवरण देने को कहा था।
कोर्ट के आदेश पर SBI ने बीते मंगलवार की शाम 5.30 बजे यह डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया था। इसके पश्चात चुनाव आयोग के द्वारा भी गुरुवार को इस पूरे डेटा को अपनी वेबसाईट पर सार्वजनिक कर दिया गया।