केला ऐसे फलों में शामिल है जो भारत में सबसे अधिक खाया जाता है। यही कारण है कि भारतीय बाजार में केले की मांग बहुत अधिक है, जबकि पके केले की आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं है। परिणामस्वरूप केले को पकाने के लिए खतरनाक केमिकल्स का प्रयोग किया जाने लगा है, जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद ही खतरनाक है।
कैसे पकाया जाता है केला?
केले को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड जैसे जहरीले रसायन का प्रयोग किया जाता है, जब कैल्शियम कार्बाइड की थोड़ी सी मात्रा केले के डब्बे में बंद करके रख दी जाती है, तो यह एथिलीन गैस उत्पन्न करता है जिससे कुछ समय बाद केला कृत्रिम रूप से पक जाता है।
भारत में बैन है कैल्शियम कार्बाइड
कैल्शियम कार्बाइड का फलों को पकाने के लिए प्रयोग स्वास्थ्य के लिए कई गंभीर खतरे उत्पन्न करता है। इसमें प्रायः आर्सेनिक और फास्फोरस जैसे तत्व होते हैं। यही कारण है कि कैल्शियम कार्बाइड का भारत में प्रयोग प्रतिबंधित है।
हो सकता है कैंसर?
कैल्शियम कार्बाइड जैसे रसायनों से पके फलों का सेवन करने से कई तरह के से रोग हो सकते हैं, जैसे:-
➡️ खांसी, सांस लेने में तकलीफ और श्लेष्म झिल्ली में जलन जैसी समस्याएं।
➡️ कृत्रिम रूप से रसायनों से पके फलों के सेवन से पेट दर्द, दस्त, जलन और पेट से संबंधित अन्य समस्याएं हो सकती है।
➡️ कैल्शियम कार्बाइड के लंबे समय तक संपर्क में होने की वजह से सर दर्द और चक्कर आना जैसी समस्याएं सामने आती है।
➡️ कैल्शियम कार्बाइड में मौजूद आर्सेनिक और फास्फोरस जैसे तत्व कैंसर कारक होते हैं। इस प्रकार रसायन से पका केला कैंसर पैदा कर सकता है।
➡️ कृत्रिम रूप से पकाए गए फलों में पोषक तत्व का अभाव होता है, जिससे इनका स्वास्थ्य लाभ नगण्य हो जाता है। इससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण होने वाले रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
कार्बाइड से पके केले की कैसे करे पहचान?
➡️ कार्बाइड से पकाया गया केला असमान रूप से पकता है। ऐसे केलों में कुछ भाग पक कर पीले हो जाते हैं, वही अन्य हिस्सा हरा ही रह जाता है।
➡️ कार्बाइड से पकाए गए केले प्राकृतिक रूप से पके केले की तुलना में कम समय में ही खराब हो जाते हैं।
➡️ कृत्रिम रसायनों से पकाए गए केले सामान्य से अधिक पीले और चमकदार दिखाई देते हैं। साथ ही इनका गुदा कम पका हुआ या कड़ा होता है।
➡️ कार्बाइड रसायन से पके केले में वह प्राकृतिक खुशबू नहीं होती है, जो प्राकृतिक रूप से पके केले में होती है।
➡️ कृत्रिम रूप से पका केला प्रायः पीला होने के बावजूद बहुत ही सख्त होता है, वही प्राकृतिक रूप से पका केला छूने में मुलायम होता है।